चरखी दादरी जयवीर फोगाट

20 अगस्त,अंधेरी रात में अंधेरा ही अंधेरा, ठीक इसी प्रकार कृषि कानूनों में काला ही काला है। यह बात सांगवान खाप के पूर्व प्रवक्ता राजेंद्र सिंह डोहकी ने प्रेस को जारी बयान में कही। 

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार खेत और खेती को विश्व की मुठ्ठी भर कंपनियों के हाथों में व्यापारिक वस्तु बनाना चाहती है। जिससे देश में गरीबी, भूख, असामाजिक असंतुलन बढ जाएगा। 1990 के दशक में अमेरिका की सरकार ने इन कानूनों को लागू किया था। अमेरिकन सरकार ने अपने नागरिकों से वायदा किया था कि वे खेत को तो नहीं बचा सकेगी परंतु किसानों को अवश्य बचा लेगी। आज के दिन अमेरिका में कंपनियों की मार से न तो किसान बचा हुआ है और न ही खेत बचा हुआ है। वहा की जनता अब सरकार से भविष्य के प्रति गंभीर प्रश्न पूछने लगी है।

आज अमेरिका सहित यूरोप के सभी देशों में किसान आंदोलन के स्वर उठने लगे हैं। हमारे देश ज्यों ज्यों किसान आंदोलन जोर पकड रहा है इसका प्रभाव यूरोप ही नहीं विश्व के सभी देशों में कमोबेश असर पड रहा है। अब यह आंदोलन नहीं अपितु विश्व के मजदूरों, गरीबों, किसानों के लिए धर्मयुद्ध बन चुका है।

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