रक्षाबन्धन का त्यौहार, बहन भाई के रिश्ते का ही त्यौहार नहीं है,पिता-पुत्र, मां-बेटा, गुरु-शिष्य के नातो का भी त्यौहार है : कंवर साहेब जी महाराज सन्त सतगुरु शिष्य को जगाने का और उसकी भटकन मिटा,उसे सत का मार्ग दिखाने का कार्य करते हैं : परमसंत सतगुरु कंवर साहेब जी महाराज जीव पर अनेको बन्धन हैं और सतगुरु इन्हीं जगत बन्धनों को काटते हैं, और उसे परमात्मा के बंधन में बांधने का कार्य करते हैं : कंवर साहेब जी महाराज चरखी दादरी जयवीर फोगाट 21 अगस्त, सन्त सतगुरु शिष्य को जगाने का और उसकी भटकन मिटा कर उसे सत का मार्ग दिखाने का कार्य करते हैं। जीव पर अनेको बन्धन हैं और सतगुरु इन्हीं जगत बन्धनों को काटते हैं और उसे परमात्मा के बंधन में बांधने का कार्य करते हैं। रक्षाबन्धन का त्यौहार भी इसी तरह के पाक पवित्र बंधन का स्मरण कराता है। यह केवल बहन भाई के रिश्ते का ही त्यौहार नहीं है। यह तो पिता पुत्र मां बेटा गुरु शिष्य के नातो का भी त्यौहार है। यह सत्संग वचन परमसंत सतगुरु कंवर साहेब जी महाराज ने रक्षाबन्धन के उपलक्ष में दादरी के बाढड़ा रोड़ पर स्थित राघास्वामी आश्रम में फरमाए। हुजूर महाराज जी ने कहा कि वैसे तो इस त्यौहार की अनेको कहानियां और प्रसंग हैं। हमें प्रसंग चाहे ना पता हो लेकिन हमें इसके महत्व को अवश्य जानना है। हर त्यौहार के पीछे एक संदेश छुपा होता है और वैसा ही प्रेरक सन्देश रक्षाबन्धन के पीछे भी है। रक्षा बन्धन राजा बलि की कथा से भी सम्बन्ध रखता है। राजा बलि ने भगवान विष्णु को पाताल लोक में अपनी पहरेदारी करने के वचन में बांध लिया था। जब लक्ष्मी को इस बात का पता चला तो उसने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांध कर विष्णु को मुक्त करने का वचन ले लिया। तब से रक्षाबंधन का पर्व प्रचलित है। गुरु महाराज जी ने कहा कि बुराई केवल परेशानी नहीं देती बल्कि ये अच्छाई को मन्द करने का भी कार्य करती है। वचन का बंधन बहुत बड़ा होता है। जो वचन को तोड़ता है उसे कष्ट भी उठाना पड़ता है। रक्षाबन्धन का पर्व यह संदेश भी देता कि हमें भाई, पिता, पुत्र, शिष्य सब नाते ईमानदारी और सच्चाई से निभाने चाहिए। हुजूर कंवर साहेब जी ने फरमाया कि जो आपको आपके धर्म से विचलित करता हो उसका अविलम्ब त्याग कर दो। अगर माता पिता आपको धर्म से डिगाते हो, अगर गुरु आपको बुराई की तरफ ले जाता हो तो इनसे तुरन्त किनारा कर लो। बन्धन रखो तो एसे रखो जो आपको इंसान बनना सिखाये। बन्धन ऐसे रखो जो आपको तन से, मन से और कर्म से समर्पण करना सीखा दें। समर्पण ऐसा जैसा एक छोटा बच्चा अपनी मां को करता है। एक बच्चा जब मां को अपना बल समर्पित करता है तो पूर्णतः उसी पर निर्भर रहता है वैसे ही अगर सतगुरु को माना है तो अपना तन और मन उन्हीं को समर्पित कर दो। हुजूर महाराज जी ने उच्च कोटि का अध्यात्म परोसते हुए कहा कि भक्ति करने का अर्थ भी यही है कि आप परमात्मा के रंग में रंग गए। अगर आप अपने आप को दूसरों की निंदा चुगली में ही फँसाये रखोगे तो भक्ति कैसे सम्भव है। मत भूलो कि यह अमोला चोला मिला है जो बार बार नहीं मिलेगा। इस चोले में संग्रह करो तो उस वस्तु का करो जो आपके साथ ही जा सके। साथ जाने वाली एक ही वस्तु है और वो है परमात्मा की भक्ति। जो नेक कर्म करता है वो यहां भी सुखी और वहां भी सुखी। सतगुरु की शरण ली है तो सतगुरु के वचन को मानना सीखो। गुरु महाराज जी ने फरमाया कि ऊपरी बाना तो इतना सुंदर पहन लिया लेकिन बाण वही बुराई वाली रखी तो क्या लाभ। दुसरो की रीस करना चाहते हो तो ऐसे लोगो की करो जो अच्छे हैं। उन्होंने कहा कि इस समाज में बुरे लोग अच्छे लोगो से कम हैं लेकिन फिर भी बुराई ज्यादा दिखती है क्योंकि बदबू खुशबू से ज्यादा दूर तक और ज्यादा देर तक फैलती है। हुजूर ने कहा कि जिस परमात्मा की खोज में लगे हो वो ना आकाश में मिलेगा ना पाताल में। ना जंगलो में मिलेगा ना कन्दराओं में। वो तो इस प्रकृति के कण कण में समाया है। वो तो जन जन में समाया है। उन्होंने कहा कि जैसे इस धरती पर ही खट्टा भी पैदा होता है और मीठा भी। सख्त भी पैदा होता है और नरम भी वैसे ही हमारे मन रूपी जमीन पर भी वही पैदा होगा जो हम बोयेंगे। गुरु महाराज जी ने फरमाया कि ये मन बड़ा शैतान है। ये वहीं टिकता है जहां इसको खुराक मिलती है। इस पर लगाम लगाना बड़ा कठिन है लेकिन सन्त सतगुरु की जुगत से इस पर लगाम डालना आसान है। हुजूर ने कहा कि अनुरागी जीव मन को गुलाम बनाते हैं। सन्त महात्मा को भय नहीं होता। कितने उद्धाहरण हैं इस जगत में जब सन्त महात्माओ को इस जगत ने अनेको कष्ट दिए। कबीर साहब, नानक साहब, पीपा साहब, ऋषि दयानन्द, महात्मा गांधी जैसे महापुरषो को इस जमाने ने अनेको तकलीफे दी लेकिन वे अपने मार्ग से टस से मस नहीं हुए क्योंकि वे निखालिश बन चुके थे।उन्होंने कहा कि लालच इंसान को ले डूबता है। गुरु महाराज जी ने कहा कि आप इंसानी यौनि में आये हो तो आपको पाप पुण्य का भान होना चाहिए। रक्षाबन्धन पर यही संकल्प ले कर जाओ कि हम अपने प्रत्येक नाते को सच्चाई के साथ निभाये। परमात्मा का अगर वास है तो केवल सच्चे दिल में है इसलिए जीवन में दया धर्म धर्य कमाओ। ये गुण आपके पास हैं तो बड़ी से बड़ी विपति भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। उन्होंने कहा कि सच्चाई को परेशानी तो बहुत आएंगी लेकिन आखिर जीत सच्चाई की ही होगी। उन्होंने कहा कि दुष्ट व्यक्ति और श्वान को पलट कर कभी जवाब मत दो। मां बाप की सेवा करो। बच्चों को अच्छे संस्कार दो। अपने व्यवहार को ऐसा बनाओ कि आपको देख कर दूसरे भी अपना बुरा व्यवहार बदलने को मजबूर हो जाये। उन्होंने कहा कि जैसे बालू रेत को अगर हजार बार भी छान लोगे तब भी उसका किरकिरा पन नहीं जाएगा वैसे ही बुरे व्यक्ति को बुराई की इतनी आदत हो जाती है कि उसको कितना ही समझा लो उसकी बुराई नहीं जाती। हुजूर महाराज जी ने बाबा भारती और खड्ग सिंह की कथा सुनाते हुए कहा कि किसी के विश्वास पर चोट मत मारना। उन्होंने कहा कि किसी के विश्वास को तोड़ना परमात्मा के साथ धोखा करने के समान है। 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