प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा से लेकर कालेज शिक्षा तक के हालात बेहद नाजुक: अभय सिंह चौटाला

शिक्षा बच्चे की नींव होती है जो उस बच्चे का भविष्य तय करती है
बहुत से प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहां बच्चों की संख्या के हिसाब से शिक्षक कम हैं, स्कूल में बच्चों को किताबें उपलब्ध नहीं हैं, वहीं ऐसे स्कूल भी हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं है
भाजपा-गठबंधन सरकार बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ न करे और गंभीरता से शिक्षा के स्तर को सुधारने की तरफ ध्यान दे

चंडीगढ़, 13 अगस्त: पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं इंडियन नेशनल लोकदल के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने भाजपा-गठबंधन सरकार पर बच्चों की शिक्षा को चौपट करने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा से लेकर कालेज शिक्षा तक के हालात बेहद नाजुक हैं। हमारे समाज की संरचना में शिक्षा का सबसे अधिक महत्व है। अगर नींव मजबूत होगी तभी इमारत भी मजबूत बनेगी लेकिन अगर नींव कमजोर होगी तो इमारत भी कमजोर बनेगी। शिक्षा बच्चे की नींव होती है जो उस बच्चे का भविष्य तय करती है। भाजपा-गठबंधन सरकार में शिक्षा की अहमियत कितनी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेश में अधिकतर स्कूलों एवं कॉलेजों में शिक्षकों की कमी है, बच्चों को पढ़ाने के लिए किताबें नहीं है और 40 प्रतिशत शिक्षण संस्थानों की  बिल्डिंग जर्जर हालत में हैं।

अच्छी शिक्षा देने का दम भरने वाली भाजपा-गठबंधन सरकार के राज में आज प्रदेश में शिक्षकों के 34 हजार से अधिक पद खाली पड़े हैं जो सरासर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है। बहुत से प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहां बच्चों की संख्या के हिसाब से शिक्षक कम हैं, स्कूल में बच्चों को किताबें उपलब्ध नहीं हैं, वहीं ऐसे स्कूल भी हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं हैं। चार हजार के करीब आंगनवाड़ी केन्द्र कारपोरेट घरानों को बेच दिए गए हैं।

अभय सिंह चौटाला ने कहा कि भाजपा-गठबंधन सरकार शिक्षा के प्रति कितनी गंभीर है इसकी पोल तब खुल जाती है जब बारिश के दिनों में जलभराव के कारण बच्चों और अध्यापकों का स्कूलों में घुसना भी नामुमकिन हो जाता है और जर्जर हो चुकी स्कूलों की बिल्डिंग के छतों से जल रिसाव के कारण कमरों में बैठना दूभर हो जाता है। एक सर्वे के अनुसार बरसाती पानी की निकासी न होने के कारण 37 प्रतिशत स्कूलों की छतों पर घास व पेड़ उगे हुए हैं।

जहां स्कूलों के हालात बेहद खराब हैं वहीं सरकारी कालेजों के हालात भी बेहद चिंताजनक हैं। प्रदेश के राजकीय महाविद्यालयों में 60 प्रतिशत से ज्यादा प्रिंसिपल के पद रिक्त हैं जिसमें सबसे अधिक मुख्यमंत्री के गृह जिले में हैं जहां 10 में से आठ पद रिक्त हैं। भाजपा-गठबंधन सरकार दावे तो टेबलेट देने के करती है पर हकीकत यह है कि दो बार घोषणा करने के बावजूद भी आज तक टेंडर तक नहीं हो पाए हैं।

हरियाणा की भाजपा-गठबंधन सरकार बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ न करे और गंभीरता से शिक्षा के स्तर को सुधारने की तरफ ध्यान दे ताकि बच्चों को की नींव को मजबूत किया जा सके।

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