भारत सारथी 

तिरुपति मंदिर में लड्डू विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मामले में एक के बाद एक नई जानकारी सामने आ रही है। जिस तरह से प्रसाद के तौर पर वितरित होने वाले लड्डुओं में पशु वसा मौजूद होने की बात सामने आई है उसके बाद से यह मामला सुर्खियों में है।‌ मंदिर प्रबंधन कमेटी ने भी इस बात की पुष्टि की है कि लड्डू में एनिमल फैट मिला है।

यह पूरा विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया कि पूर्व की जगन मोहन रेड्डी की सरकार के कार्यकाल में तिरुपति मंदिर में वितरित होने वाले लड्डुओं में एनिमल फैट पाया गया है। हालांकि जगन ने इन आरोपों को खारिज किया है।

तिरुपति मंदिर के प्रबंधन को संभालने वाली तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम भी इस बात की पुष्टि की है कि लैब रिपोर्ट में मिलावट की बात सामने आई है। यहां के एग्जेक्युटिव अधिकारी जे श्यामला राव ने कहा कि मंदिर में सप्लाई करने वाले को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है और इस मामले में कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

इस मामले में केंद्र सरकार ने भी हस्तक्षेप किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इस मामले में आंध्र सरकार से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। नड्डा ने भरोसा दिलाया है कि मामले की जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।

दशकों से वितरित हो रहा लड्डू

इस बीच तिरुपति लड्डू को लेकर एक नया मामला भी सामने आया है। दरअसल यहां के लड्डू पर जियोग्रिफल इंडिकेशन (आईजी) का टैग लगा होता, इस लड्डू को इसके खास स्वाद के लिए जाना जाता है, जिसे कई दशकों से यहां भक्तों के बीच वितरित किया जा रहा है।

ऐसे में इस लड्डू को लेकर उठे सवाल ने ना सिर्फ मिलावट बल्कि लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ का भी मुद्दा उठाया है। ऐसे में इन लड्डुओं में एनिमल फैट का मुद्दा काफी तूल पकड़ गया है।

पीएम मोदी को भी मिल चुका है लड्डू

वर्ष 2019 से 2024 के बीच आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने पीएम मोदी को मंदिर का लड्डू प्रसाद के तौर पर दिया था। जब भी पीएम यहां जाते थे तो पूर्व सीएम जगन ने पीएम मोदी को यहां के लड्डू भेंट किए थे।

अयोध्या भेजे गए थे 1 लाख लड्डू

यही नहीं इस वर्ष की शुरुआत में तकरीबन एक लाख लड्डू को कार्गो से अयोध्या भेजा गया था। अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान इन लड्डुओं को यहां भेजा गया था।

आचार्य सत्येंद्र दास जो कि अयोध्या मंदिर के मुख्य पुजारी हैं, उन्होंने इस घटना के सामने आने के बाद आश्चर्य जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि अगर एनिमल फैट प्रसाद में मिलाया गया तो इसे माफ नहीं किया जा सकता है। जो लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

वैष्णव संत और भक्त लहसुन और प्याज तक का इस्तेमाल नहीं करते हैं। ऐसे में प्रसाद में पशु का फैट मिलना अक्षम्य है। यह हिंदू आस्था का मजाक है। इस मामले की जांच शीर्ष एजेंसी को करनी चाहिए, जो भी दोषी पाया जाए उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

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