किसानों को अपने उत्पादों के मूल्य संवर्धन के प्रति करना होगा जागरूक : प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज
एचएयू कुलपति ने किसानों से किया आह्वान, उत्पादों के मूल्य संवर्धन संबंधी हासिल करें प्रशिक्षण

हिसार, हांसी : 13 अगस्त – किसानों को उनकी आमदनी में इजाफा करने के लिए उत्पादों के मूल्य संवर्धन के प्रति जागरूक करना होगा। वैज्ञानिकों को भी इस दिशा में आगे बढक़र किसानों की मदद करनी होगी तभी जाकर किसानों का उत्थान संभव है। ये विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहे। वे गांव उमरा में आयोजित किसान गोष्ठी के दौरान बतौर मुख्यातिथि किसानों से रूबरू हो रहे थे। कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर किसान नेता स्वर्गीय मांगेराम की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई व पौधारोपण भी किया गया। मुख्यातिथि ने कहा कि  युवा व किसान चुनौतियों में अवसर खोजकर समाज में बदलाव ला सकते हैं। साथ ही किसान को वैज्ञानिक सलाह, किसान की मेहनत व सरकार की सुविधाओं का भरपूर फायदा उठाना चाहिए तभी जाकर उसे सफलता हासिल हो सकती है।

प्रदेश व केंद्र सरकार किसानों के हित के लिए नित्त नई कल्याणकारी योजनाएं लागू कर रही हैं ताकि किसानों का अधिक से अधिक फायदा हो सके। इसके अलावा किसानों को भी अपनी फसलों से अधिक उत्पादन हासिल करने के लिए परम्परागत खेती की बजाय समन्वित खेती पर ध्यान देना होगा। साथ ही फसल विविधिकरण को अपनाना आज के समय की मांग है जिससे न केवल आमदनी बढ़ेगी बल्कि पर्यावरण संरक्षण भी होगा। किसानों को अपने उत्पादों को बेचने के लिए व बिचौलिया प्रथा को खत्म करने के लिए किसान उत्पादक समूह बनाकर काम करना होगा ताकि स्वयं की एक मार्केट स्थापित कर सीधे ग्राहकों से जुड़ा जा सके और अधिक लाभ हासिल किया जा सके। किसान दुध व उसके उत्पाद तैयार करने के अलावा गेहूं, बाजरा व अन्य फसलों के उत्पाद बनाने का विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण हासिल कर सकते हैं और स्वरोजगार स्थापित कर सकते हैं। इसके लिए विश्वविद्यालय लगातार किसानों के हित के लिए निरंतर इस तरह के प्रशिक्षण प्रदान करता रहता है। 

किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए लगातर फील्ड में हैं वैज्ञानिक

कुलपति प्रोफेसर बीआर काम्बोज ने कहा कि इस बार लगातार विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम फील्ड में जाकर किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए जुटी हुई है ताकि किसानों को गत वर्षों की भांति कम से कम समस्याओं का सामना करना पड़े। इसके अलावा राज्य सरकार व माननीय कृषि एवं किसान कल्याण मन्त्री जय प्रकाश दलाल भी विश्वविद्यालय के साथ मिलकर लगातार किसानों की समस्याओं को लेकर विचार विमर्श कर रहे हैं और भविष्य की योजनाओं की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कपास की फसल में बेहतर उत्पादन के लिए कीट व रोगों का एकीकृत प्रबंधन जरूरी है। इसके लिए समय-समय पर वैज्ञानिकों द्वारा फसलों संबंधी जारी हिदायतों व सलाह का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। किसान गोष्ठी के विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा लगाए गए प्रदर्शनी प्लांट का निरीक्षण कर फसलों का जायजा है।

उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे फसलों में किसी भी प्रकार के कीटनाशकों व रसायनों का प्रयोग करने से पूर्व कृषि वैज्ञानिकों से विचार-विमर्श अवश्य कर लें ताकि फसलों की समस्याओं को उचित समय पर सही समाधान हो सके। कार्यक्रम के दौरान पौधारोपण भी किया गया। विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास ढांडा ने कृषि वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे किसानों के साथ मिलकर समय-समय पर उनकी समस्या के निदान के लिए जुटे रहें। अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके सहरावत ने कहा कि किसानों को कृषि वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर दी जाने वाली सलाह व कीटनाशकों को लेकर की गई सिफारिशों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान डॉ. अनिल यादव, डॉ. ओमेंद्र सांगवान, सस्य वैज्ञानिक डॉ. करमल मलिक, कीट वैज्ञानिक डॉ. अनिल जाखड़ व पौध रोग विशेषज्ञ डॉ. मनमोहन सिंह ने कपास की फसल की अधिक पैदावार हासिल करने के लिए अपनाई जाने वाली सस्य क्रियाओं, बीमारियों व कीटों के प्रति जागरूक करते हुए अपने व्याख्यान दिए। कार्यक्रम में कृषि उपनिदेशक डॉ. विनोद फोगाट, गुरू हवासिंह मलिक, राकेश मलिक, मंजीत मलिक, अजय मलिक, सतीश वत्स, संजय कोच, डॉ. सुनील ढांडा, डॉ. सूबे सिंह, सहित अनेक वैज्ञानिक, क्षेत्र के कई गांवों के किसानों ने हिस्सा लिया।

error: Content is protected !!