• रसायन विज्ञान पुरस्कार पर डा: सुनीता जैन मुख्य वक्ता

“ भविष्य में और बेहतर मेडिकल उपचार की संभावना का आधार है प्रोटीन पर की गई नई खोज “

हिसार – रसायन विज्ञान में 2024 का नोबेल पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों को दिया गया है – जिसमें से आधा हिस्सा डेविड बेकर, वाशिंगटन विश्वविद्यालय, सिएटल, वाशिंगटन, यूएसए, को “कम्प्यूटेशनल प्रोटीन डिज़ाइन के लिए”और दूसरा हिस्सा संयुक्त रूप से डेमिस हसबिस एवम् जॉन जम्पर, गूगल डीपमाइंड, लंदन, यू के को “प्रोटीन संरचना भविष्यवाणी के लिए” दिया गया है- हरियाणा कृषि विश्वविधालय से सेवानिवृत्त डा: सुनीता जैन ने आज वानप्रस्थ में आयोजित रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार 2024 पर व्याख्यान देते हुए कहा । उन्होंने बताया कि इन वैज्ञानिकों ने प्रोटीन की अद्भुत संरचनाओं के लिए कोड क्रैक किया।

डेविड बेकर ने पूरी तरह से नए प्रकार के प्रोटीन बनाने की लगभग असंभव उपलब्धि हासिल की है। डेमिस हसबिस और जॉन जम्पर ने 50 साल पुरानी समस्या को हल करने के लिए एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता ( एआई ) मॉडल विकसित किया है: प्रोटीन की जटिल संरचनाओं की भविष्यवाणी करना।

डा: जैन ने बताया कि इन खोजों में अपार संभावनाएं हैं। प्रोटीन हमारे शरीर में हॉर्मोन्स की तरह काम करते हैं। सिग्नल देने वाले पदार्थ बन जाते हैं, बीमारियों के समय एंटीबॉडी बन जाते हैं। इसके अलावा ऊतकों का निर्माण करने वाले बिल्डिंग ब्लॉक्स भी। प्रोटीन ही दुनिया का सबसे बड़ा बिल्डिंग ब्लॉक है। इससे ही कई प्रकार के जीवन का निर्माण होता है।

प्रोटीन में आम तौर पर 20 अलग-अलग अमीनो एसिड होते हैं, जिन्हें जीवन के निर्माण खंड के रूप में वर्णित किया जा सकता है। 2003 में, डेविड बेकर ने इन ब्लॉकों का उपयोग करके एक नया प्रोटीन डिज़ाइन करने में सफलता प्राप्त की जो किसी भी अन्य प्रोटीन से अलग था। तब से, उनके शोध समूह ने एक के बाद एक कल्पनाशील प्रोटीन निर्माण किए हैं, जिनमें ऐसे प्रोटीन शामिल हैं जिनका उपयोग फार्मास्यूटिकल्स, टीके, नैनोमटेरियल और छोटे सेंसर के रूप में किया जा सकता है।

दूसरी खोज प्रोटीन संरचनाओं की भविष्यवाणी से संबंधित है। प्रोटीन में अमीनो एसिड लंबे तारों में एक साथ जुड़े होते हैं जो एक त्रि-आयामी संरचना बनाने के लिए मुड़ते हैं, जो प्रोटीन के कार्य के लिए निर्णायक है। 1970 के दशक से ही शोधकर्ताओं ने अमीनो एसिड अनुक्रमों से प्रोटीन संरचनाओं की भविष्यवाणी करने की कोशिश की थी, लेकिन यह बेहद मुश्किल था। डेमिस हसबिस और जॉन जम्पर ने साल 2020 में प्रोटीन का ए आई मॉडल बनाया जिसे उन्होंने अल्फा फोल्ड 2 का नाम दिया । इसकी मदद से 20 करोड़ प्रोटीन्स के ढांचे का अध्ययन किया जा सकता है इस मॉडल के द्वारा ही कई प्रोटीन के आकार और आकृति का पता चला है। इसका इस्तेमाल 190 देशों में 20 लाख से ज्यादा लोग कर रहे हैं।

मंच संचालन करते हुए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से रसायन विभाग के सेवानिवृत एवं वानप्रस्थ संस्था के वरिष्ठतम सदस्य प्रो: डा: एम. पी गुप्ता ने बताया कि अब तक ( 1901-2024 ) तक 116 बार केमिस्ट्री में नोबेल पुरस्कार दिया गया है । आठ बार किसी को भी यह पुरस्कार नहीं मिला। उन्होंने कहा कि वास्तव में 2024 का पुरस्कार बायोकेमिस्ट्री में प्रोटीन के शोध पर दिया गया है । उन्होंने कहा कि आज की मुख्य वक्ता डा: सुनीता जैन ने इस विषय पर गहन अध्ययन किया है और अपने समय के श्रेष्ठ बायोकेमिस्ट में से एक हैं।

क्लब के महासचिव डा: जे. के . डाँग ने कहा कि प्रोटीन मानव शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है:
प्रोटीन कोशिकाओं की मरम्मत और निर्माण में मदद करता है, यह मांसपेशियों, हड्डियों, उपास्थि, और त्वचा का निर्माण करता है, बाल और नाखून भी ज़्यादातर प्रोटीन से बने होते हैं, प्रोटीन ऊर्जा प्रदान करता है. यह वज़न नियंत्रण में भी मदद करता है ।
प्रोटीन शरीर के पाचन में मदद करता है और प्रोटीन हार्मोन विनियमन में मदद करता है।उन्होंने कहा कि डेविड बेकर , डेमिस हसबिस एवं जॉन जम्पर द्वारा किए गए शोध द्वारा भविष्य में मानव मात्र के जीवन को सहज बनाने में अपार संभावनाऐं हैं । प्रोटीन सरंचना जैसे जटिल रसायन विषय को सरल भाषा में सदस्यों को समझाने के लिए डा: डाँग ने प्रो: सुनीता जैन का धन्यवाद किया। डा: अमृतलाल खुराना, श्री अजीत सिंह , डा: अजीत कुण्डू , डा : आर. पी. एस . खरब , डा: स्वराज सहित कई सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया। डा: डाँग ने बताया कि नोबेल पुरस्कार की इस शृंखला में अगला व्याख्यान अर्थ शास्त्र पर आयोजित किया जाएगा।

error: Content is protected !!