-मोटी हिस्सा पत्ती का चल रहा है खेल

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। दो दिन से पुरानी कचहरी के पास पुलिस विभाग द्वारा जमीन पर कब्जा कार्रवाई की बहुत चर्चा है। पुलिस विभाग के कागजातों में इस जगह 2000 गज से भी ज्यादा जमीन उनसे संबंधित है, जिसकी तारबंदी के आदेश पुलिस अधीक्षक ने दिए थे। विभाग द्वारा यहां पर पुलिस चौकी के निर्माण का प्रस्ताव है। 

लेकिन जिस तरह से किशोरी सैनी नामक व्यक्ति ने उक्त जमीन को अपना बताया है उससे यह स्पष्ट हो गया है कि पुलिस विभाग के ही किसी कर्मचारी या अधिकारी की मिलीभगत के चलते उक्त लोगों ने  कोर्ट से यह जमीन अपने नाम करवा ली। जबकि पुलिस विभाग द्वारा सम्बंध में कोई अपील भी नहीं की गईं। अब भी करोड़ों रुपये की जमीन में हिस्सा पत्ती का खेल चल रहा है। इसीलिए कुछ प्रोपर्टी डीलर भी समाज का नाम लेकर मामले को उछालने में लगे हैं।

अब पुलिस अधीक्षक चन्दरमोहन ने इस 200 गज जमीन के अलावा आसपास की अन्य जमीन और कार्यालयों के भी कागजात एकत्रित करने के आदेश पुलिस अधिकारियों को दिए हैं। इस जमीन  पर किशोरी सैनी के कब्जे में जो भी तत्कालीन कर्मचारी या अधिकारी सम्मिलित पाया जाएगा उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। पुलिस अधीक्षक ने स्पष्ट कहा है कि पुलिस की एक गज जमीन पर भी अवैध कब्जा नही रहने दिया जाएगा। शीघ्र ही जमीन की सफाई करवाकर तारबंदी करवाई जाएगी।

उधर पुलिस निरीक्षक पद से सेवानिवृत्त राजकुमार कौशिक का कहना है कि हमारा जिला पुलिस एक्ट के अनुसार 1836 में बना था। पुराने थाने जो सिटी है इसकी बिल्डिंग के ऊपर भी 1836 लिखा हुआ था।  फिलहाल सतनाली थाने के गेट के ऊपर पत्थर लिखा है जिसमें 1836 में बने होने की जानकारी मिलती है। उसी समय जिले बने तो एसपी भी नारनौल में बैठते थे। पुरानी जो कचहरी है किला था, चारों तरफ से दीवारें थी। इसके पीछे जहां पानी की टंकी बनी हुई है वह वह पुरानी सुपरीडनटी अभी भी कहलाती है। बड़े बुजुर्गों ने इसे पुरानी सुपरहिट नाम बोलचाल भाषा में दे रखा हैं।  रिकॉर्ड में यह जमीन पुलिस विभाग की ही है। जिसमें आज भी पीछे खंडहर बने हुए हैं जिसका रिकॉर्ड 1990 में तत्कालीन एसपी पंडित गिरधर गोपाल ने पुराने पटवारी और गिरदावर भेजकर पटियाला से पेप्सू स्टेट का रिकॉर्ड मंगवाया था। जितनी भी नारनौल जिले में पुलिस की जमीन पड़ी है सब का रिकॉर्ड बनवाया था। 

अब वर्तमान कब्जाधारी वकील साहब ने कोर्ट में गलत तथ्य पेश करके रेडक्रास को पार्टी बनाकर इसकी कब्जा कार्रवाई की है। पानी की टंकी के आगे एक कमरा बना हुआ है जो तब के पुलिस कप्तान गिरधर गोपाल ने बनवाया था। उस पर कई दिनों तक पुलिस चौकी लिखा हुआ था। परंतु समय के साथ साथ वाटर सप्लाई वालों ने कबजा कर लिया। आगे से लेकर पीछे तक यह पुलिस महकमा की जमीन है। वकील साहब ने जो कब्जा किया है वह रेडक्रास को पार्टी बना कर लिया है इसमें पुलिस की भी लापरवाही रही है। आगे पांच दुकान की रेडक्रास ने नींव भरी थी। उस समय दुकान बनाने से रेडक्रास को रोक दिया गया था। आगे से लेकर पीछे तक यह सारी जमीन महकमा पुलिस की है।

 इस मामले में पूर्व बार प्रधान मनीष वशिष्ठ का कहना है कि पुलिस अधीक्षक एक प्रकार से परोक्ष रूप से न्यायालय पर आरोप लगा रहे हैं। इसके अतिरिक्त वो यह भी गलत बयानी कर रहे हैं कि इस प्लाट बारे कोई अपील नहीं कि गई है। पुलिस विभाग ने माननीय उच्च न्यायालय में अपील की हुई है। पुलिस विभाग RSA 2565 of 2010 में हाईकोर्ट गया है। उसका फैसला आने तक तो सब्र करना चाहिए। उन्हें अपने विभाग की ही जानकारी नहीं है, पहले उन्हें उन कर्मचारियों/अधिकारियों पर कार्रवाई करनी चाहिए, जो उन्हें अंधेरे में रख रहे हैं।

 एडवोकेट मनीष वशिष्ठ ने कहा कि  किशोरी लाल सैनी के पौत्र राजेश सैनी एडवोकेट नारनौल बार एसोसिएशन में उनकी साथी सदस्य है। उनके साथ गत दिवस जिस प्रकार की प्रशासनिक कार्रवाई को गलत तरीके से अंजाम दिया जा रहा था, जिसके चलते उन्होंने इस कार्रवाई का डटकर विरोध किया था और आगे भी करते रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि  पुलिस और प्रशासन का काम कानून के दायरे में लोगों को कब्जा दिलाना है ना कि खुद किसी दबंग की तरह कानून के खिलाफ जाकर कब्जा कार्रवाई को अंजाम देना है।

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