चरखी दादरी जयवीर फोगाट
![](https://i0.wp.com/bharatsarathi.com/wp-content/uploads/2021/05/New-Image.jpg?resize=336%2C598&ssl=1)
![](https://i0.wp.com/bharatsarathi.com/wp-content/uploads/2021/05/IMG-20210514-WA0020.jpg?resize=272%2C363&ssl=1)
14 मई – ,वर्तमान कोरोना काल के संकट ने एक बार फिर से संयुक्त परिवारकी अवधारणा को पूरी तरह से प्रासांगिक साबित किया है। भारत विकास परिषद प्रांतीय अध्यक्ष मंजू वत्स ने कहा कि संयुक्त परिवार में शक्ति एकत्रित हो जाती है जबकि एकल में यह बंट जाती है। वर्तमान कोरोना काल में कोरोना से पीड़ित एकल परिवारों में कोई खाना पकाने वाला, सेवा करने वाला नहीं है। जबकि संयुक्त परिवार में ऐसा कभी महसूस ही नहीं होता था। सभी एक साथ रहते थे, मिलकर सुख दुख बांटते थे। वैसे भी परिवार समाज की महत्वपूर्ण इकाई है।
संयुक्त परिवार से सकारात्मक संदेश समाज में जाता है। लड़ाई झगड़े कम होने की संभावना रहती है। समाज विरोधी ताकते जल्दी से हरकत नहीं कर सकती, जबकि एकल परिवार बस अपने तक ही सिमट कर रह जाते हैं, पति पत्नी और एकाध बच्चा। कई बार देखने में आता है कि एकल परिवार का बच्चा उच्च शिक्षा प्राप्त कर अपने सुनहरे कैरियर के लिए विदेश में जाकर बस जाता है, पीछे बचे हुए मां बाप अक्सर बुढापे में केवल उसका इंतजार करते हुए अपना जीवन कष्टों में व्यतीत कर देते हैं। मंजू वत्स ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों से निजात पाने के लिए एक बार फिर हम सभी अपने पूर्वजों के दिखाए मार्ग पर चले, आइएं मिलकर संयुक्त रहे, समाज व देश को मजबूत बनाएं।