किसानों ने उठाये सवाल- कानून की आड़ में सरकार की मंशा आंदोलन को कुचलने की

चरखी दादरी जयवीर फोगाट

हरियाणा सरकार द्वारा गत विधानसभा सत्र में पास किये गए संपत्ति क्षतिपूर्ति विधेयक के विरोध में विभिन्न खाप और संगठनों ने एक बार फिर से आवाज बुलुन्द करते हुए महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन नायब तहसीलदार अंकित कुमार को सौंपा। उन्होंने इस कानून को रद्द करने के साथ किसान आंदोलन में बने सभी केसों को निरस्त करने के साथ किसानों की सभी मांगें पूरी करने की मांग की है।                   

इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर इलाके की सभी खापों, किसान, मजदूर, सामाजिक, व्यापारी और कर्मचारी के जुड़े गणमान्य किला मैदान में सुबह 10 बजे जुटना शुरू हो गए थे। उसके बाद ठीक 11.20 बजे सभी लोग नारेबाजी कर प्रदर्शन करते हुए मिनी सचिवालय पहुंचे। विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों ने अपनी बात रखते हुए कहा कि ये कानून हरियाणा सरकार सिर्फ किसान आंदोलन को दबाने और मानसिक व आर्थिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए बनाया है। उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार ऐसा अंधा कानून बनाया है जिसमें पुलिस ही शिकायत और जांच कर्ता होगी। यह न्याय के मूल सिद्धांत के पूरी तरह खिलाफ है। इसने अंग्रेजों के राज को पीछे छोड़ दिया है।                         

उन्होंने कहा कि इस कानून में पुलिस और कार्यपालिका को असीमित शक्तियां दी गई हैं जो लोकतंत्र पर कुठाराघात है और अभिव्यक्ति के अधिकारों का हनन है। इस कानून में आंदोलन करने वालों, समर्थकों, योजना बनाने वालों, सलाहकारों को संपत्ति क्षति का दोषी का दोषी करार कर वसूली जैसा निरंकुश प्रावधान है। इसकी आड़ में सरकार अपने विरोधियों पर निशाना साधना चाहती है। हकीकत यह है कि किसान आंदोलन पूरी से पिछले 147 दिन से 350 से ज्यादा शहादत देने के बाद शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है। इसलिए आम जनता में इसको लेकर बेहद आक्रोश है इसलिए इसको रद्द किया जाए।                   

इस अवसर पर सर्वजातीय फौगाट खाप उन्नीस के प्रधान बलवन्त नंबरदार, सांगवान खाप 40 के सचिव नरसिंह डीपीई, बिजेंद्र बेरला, राजबीर शास्त्री, राजू मान, सुरेश फौगाट, राजकुमार घिकाड़ा, कमलेश भैरवी, धर्मपाल महराणा, सुशील धानक, विनोद मोड़ी, कृष्ण फौगाट, सुरजभान सांगवान, रणधीर कुंगड़, आचार्य देवी सिंह, सुरेश फौगाट, शमशेर फौगाट, रणधीर घिकाड़ा, प्रवीण चैयरमैन, पार्षद सतबीर चौहान, डॉ ओमप्रकाश, विद्यानन्द कमोद, धर्मेन्द्र पीटीआई, लीलाराम, मास्टर ताराचंद चरखी, अधिवक्ता आंनद गोदारा, दीपक श्योराण, नरेश कुमारी, सुरेंद्र कुब्जानगर, जगदीश हुई, सत्यवान कालुवाला इत्यादि मौजूद थे।

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