कितलाना टोल पर 103वें दिन अनिश्चितकालीन धरना जारी। चरखी दादरी जयवीर फोगाट केंद्र और राज्य सरकार ने जिस तरह से देश के अन्नदाता के साथ अमानवीय व्यवहार किया है उसने सिद्ध कर दिया है कि ये सरकारें लोकतंत्र की हत्या करने पर जुटी हैं। यह बात किसान वक्ताओं ने कितलाना टोल पर चल रहे अनिश्चित कालीन धरने को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि सरकार का किसान, मजदूर, व्यापारी और कर्मचारियों के हितों से कोई लेना देना नहीं है उसका ध्यान महज अम्बानी, अडानी जैसे बड़े घरानों को लाभ पहुंचाने पर है। उन्होंने कहा कि ये तीनों काले कानून किसानों को तो नुकसान पहुंचाने वाले तो हैं ही इसकी बड़ी मार मजदूरों और व्यापारियों पर भी पड़ेगी। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि जब मंडी ही नहीं रहेंगी तो मजदूर कहां जाएंगे। बड़े बड़े माल आने पर छोटे दुकानदार तबाह हो जाएंगे। यही वजह है कि सभी वर्ग किसानों के साथ आ खड़े हुए हैं और ये आंदोलन जनांदोलन बन गया है। बेहद शांतिपूर्ण ढंग से 133 दिन से चल रहे इस आंदोलन में 300 से ज्यादा किसान शहादत दे चुके हैं उसके बाद भी किसानों ने धैर्य नहीं खोया है। उन्होंने कहा कि बिजली संशोधन अधिनियम 2020 के भी घातक परिणाम होंगे। सरकार को मुद्दे की गंभीरता को समझना चाहिए और किसान संगठनों से अविलंब बातचीत कर यह मसला सुलझाना चाहिए। कितलाना टोल पर धरने के 103वें दिन खाप 40 सांगवान के सचिव नरसिंह, बिजेंद्र बेरला, गंगाराम श्योराण, गोधड़िया खाप 40 के प्रधान ईश्वर पंडित, हवासिंह फौगाट, दिलबाग ढुल, रामानंद धानक, रतन्नी देवी, कृष्णा छपार ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने संपत्ति क्षतिपूर्ति विधेयक बनाकर अपनी मानसिकता दिखा दी है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री और पूरे मंत्रिमंडल पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए जिनके निर्देश पर किसान आंदोलन के दौरान प्रदेश के कई राष्ट्रीय राजमार्ग खोदे गए। धरने का मंच संचालन कामरेड ओमप्रकाश और गंगाराम श्योराण ने किया। इस अवसर पर धनखड़ खाप बारह के प्रधान डॉ ओमप्रकाश धनखड़, जागेराम डीपीई, दलीप सिंह सांगवान, राजू मान, दिलबाग ग्रेवाल, बलबीर बजाड़, कप्तान रामफल,अजित सिंह सांगवान, ऋषिराम, होशियार सिंह, डॉ राजू गौरीपुर, परमजीत फतेहगढ़, प्रोफेसर जगमिंद्र सांगवान, मंगल सुई, नरेश कादयान, जगदीश हुई, रत्तन सिंह बलाली, पूर्व सरपंच समुन्द्र सिंह इत्यादि मौजूद थे। आज भी टोल फ्री रहा। Post navigation खाप और संगठनों के विरोध के चलते जजपा बैकफुट पर किसानों ने फूंकी संपत्ति क्षति वसूली कानून की प्रतियां