राफेल सौदे में मिडिलमैन कौन था, किसे डसॉल्ट द्वारा रिश्वत दी गई थी?
“राष्ट्रीय सुरक्षा”, “राष्ट्रीय गौरव”, “राष्ट्रीय सम्मान” जैसे जुमलों का झुरमुट छांट दें तो उसमें जो दिखेगा तो वो है बोफोर्स जैसी दलाली का शक़।
कोई नई ख़बर फिर इसे ढक देगी इसमें क्या शक़ है।

अशोक कुमार कौशिक

 फ्रांसीसी राफेल जेट लड़ाकू विमानों की भारत में बिक्री के संबध में मीडिया पार्ट एजेंसी ने बड़ा खुलासा किया है उसके मुताबिक 2016 में जब भारत-फ्रांस के बीच राफेल लड़ाकू विमान को लेकर समझौता हुआ, उसके बाद दसॉ ने भारत में एक बिचौलिये को ये राशि दी थी। साल 2017 में दसॉ ग्रुप के अकाउंट से 508925 यूरो ‘गिफ्ट टू क्लाइंट्स’ के तौर पर ट्रांसफर हुए थे। यह मिडिलमैन कौन था ?  अगर पता चल जाए तो यह रिक्त स्थान  भर जाएगा । गली गली में शोर है———–ही चोर है ?

राफेल डील को लेकर फ्रांस की एक वेबसाइट ने कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। फ्रांस की एक वेबसाइट ने ‘राफेल पेपर्स’ नाम की रिपोर्ट जारी करते हुए दावा किया है कि राफेल डील में दसौ एविएशन ने एक भारतीय बिचौलिए को राफेल सौदा के बदले करोड़ों रुपये दिए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय बिचौलिए को 10 लाख यूरो यानि करीब 8 करोड़ 62 लाख रुपये दिए गये हैं, और इन पैसों को लेकिन राफेल कंपनी की तरफ से फ्रेंच एंटी करप्शन अधिकारियों को कोई सही जबाव नहीं दिया गया है। 

फ्रांस की वेबसाइट मीडियापार्ट ने रविवार को राफेल पेपर्स नाम की रिपोर्ट में राफेल सौदे को लेकर कई और खुलासे किए हैं। फ्रांस की वेबसाइट मीडियापार्ट ने खुलासा किया है कि राफेल सौदे के बदले एक भारतीय बिचौलिए को 8 करोड़ 62 लाख रुपये दिए गये। ये रुपये राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसौ एविएशन ने दिए हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कंपनी की तरफ से फ्रेंच एंटी करप्शन अथॉरिटी को इन रूपयों के बारे में कोई सही जानकारी नहीं दी गई है।

 राफेल डील को लेकर पिछले कई सालों से भारत में राजनीति गर्म रही है और फ्रेंच वेबसाइट के खुलासे के बाद एक बार फिर से हंगामा होना तय माना जा रहा है। भारत के कई राज्यों में अभी चुनाव चल रहे हैं, लिहाजा विपक्ष राफेल डील को मुद्दा बनाकर मोदी सरकार को फिर से घेरने की कोशिश करेगी।

 फ्रांस की वेबसाइट ‘मीडियापार्ट’ ने तीन पार्ट के इनवेस्टिगेटिव रिपोर्ट के पहले पार्ट में दावा किया है कि साल 2018 के मध्य अक्टूबर महीने में फ्रांस की एंटी करप्शन ब्यूरो ने सबसे पहले किसी भारतीय बिचौलिए को करोड़ों रुपये दिए जाने की बात को पकड़ा था। जिसके बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने राफेल बनाने वाली कंपनी दसौ एविएशन से इस ‘लेन-देन’ को लेकर जबाव मांगा, लेकिन दसौ एविएशन कंपनी एंटी करप्शन एजेंसी को सही जबाव देने में नाकामयाब रही है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सबसे पहले फ्रांस एंटी करप्शन एंजेसी एएफए को 2016 में इस सौदे पर दस्तखत के बाद गड़बड़ी के बारे में पता लगा। और फिर 23 सितंबर 2016 को राफेल डील पर भारत और दसौ एविएशन के बीच समझौता हो गया था। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि फ्रांस की इनवेस्टिगेशन एजेंसी को पता चला कि एक बिचौलिए को 10 लाख यूरो यानि 8 करोड़ 62 लाख रुपये दिए गये और ये हथियार दलाल एक दूसरे हथियार सौदे में गड़बड़ी के लिए आरोपी है। फ्रांस की वेबसाइट ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा करते हुए डेफसिस सॉल्यूशन के सुशेन का नाम लिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राफेल बनाने वाली कंवनी दसॉ एविएशन ने सुशेन गुप्ता को पैसे दिए हैं। सुशेन गुप्ता वो शख्स हैं, जिन्हें मार्च 2019 में भारत की इनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट यानि ईडी ने अगस्ता वेस्टलैंड डील में गिरफ्तार किया था। सुशेन गुप्ता के ऊपर अगस्ता वेस्टलैंड डील में मनी लॉन्डरिंग का आरोप है। हालांकि बाद में सुशेन गुप्ता को अदालत से जमानत मिल गई थी।

फ्रांस की वेबसाइट ने खुलासा किया है कि फ्रांस की एंटी करप्शन एजेंसी ने इस भ्रष्टाचार, हथियार दलाल के नाम का खुलासा करने के साथ साथ हर सबूत भी कलेक्ट कर लिए लेकिन जांच एजेंसी की तरफ से इस पूरे मामले को सिर्फ दो पाराग्राफ में खत्म कर दिया गया। और फ्रांस एंटी करप्शन एजेंसी के डायरेक्टर चार्ल्स डुकैन ने इस ‘भ्रष्टाचार’ को फ्रांस की बजट मंत्रालय और जस्टिस मिनिस्ट्री के पास भी नहीं भेजा। एजेंसी ने फाइनल रिपोर्ट में पूरे मामले को सिर्फ दो पाराग्राफ में खत्म कर दिया। वहीं, जब मीडियापार्ट ने इस मामले पर फ्रांस की एंटी करप्शन एजेंसी के डायरेक्टर चार्ल्स डुकैन से सवाल पूछा तो उम्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।

भारत-फ्रांस के बीच हुए राफेल लड़ाकू विमान सौदे में एक बार फिर भ्रष्टाचार का जिन्न बाहर निकला है। फ्रांस के एक पब्लिकेशन ने दावा किया है कि राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट को भारत में एक बिचौलिये को एक मिलियन यूरो ‘बतौर गिफ्ट’ देने पड़े थे। फ्रांसीसी मीडिया के इस खुलासे के बाद एक बार फिर दोनों देशों में राफेल की डील को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं।  

अब एक बार फिर से राफेल खरीदने की वो हड़बड़ी, एन राम का खुलासा है कि पीएमओ अलग से हस्तक्षेप कर रहा था। लोकसभा का हंगामा, बोफोर्स से लेकर सारे रक्षा सौदे याद आने लगे हैं । हालांकि कोई नई ख़बर फिर इसे ढक देगी इसमें क्या शक़ है।