-कमलेश भारतीय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पश्चिमी बंगाल के विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी अपनी भविष्यवाणियां कर रहे हैं । प्रधानमंत्री ने तो बड़े आत्मविश्वास से जनसभाओं में कहा कि पश्चिमी बंगाल में भाजपा की सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में वे जरूर आयेंगे । हद है न ? है न अतिविश्वास? तभी तो प्रशांत किशोर कहते हैं कि यदि भाजपा सौ से ज्यादा सीट ले गयी तो वे चुनाव विश्लेषण छोड़ देंगे । खासतौर पर यदि पेरामिलिट्री फोर्सेज पर हमला न हो जाये । यह बात एक माह पहले की है जो वायरल हो रही है । दूसरी ओर पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी कह रही हैं कि मोदी भगवान् या महामानव नहीं कि वे नतीजों की भविष्यवाणियां करने लगें । अभी छह चरण के चुनाव होने बाकी हैं और तीन चरणों में ही भाजपा जीत भी गयी? उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सिंडीकेट वन हैं तो अमित शाह नम्बर टू । ये कभी अभिषेक के घर तो कभी सुदीप के घर तो कभी तमिलनाडु में स्टालिन की बेटी के घर एजेंसियों को भेज कर दवाब बना रहे हैं । लगातार पुलिस अधिकारियों को बदल रहे हैं । इस तरह ये दोनों सिंडीकेट अपने अपने तरीके से काम करने में लगे हैं ।

हरियाणा में सरकार अस्थिर न हो जाये इसलिए कभी बलवीर कुंडू तो कभी धर्मपाल छोक्कर के आवासों पर भी एजेंसियां छापे मारने पहुंच जाती हैं और यदि भाजपा की सदस्यता शुभेंदु की तरह ले लें तो सब माफ और ऐसे जैसे गंगा स्नान कर सारे पाप धो लिए हों , जैसा हो जाता है । यह आज से नहीं , पुराने समय से कर रहा है । हिमाचल के मंडी के कांग्रेस नेता पंडित सुखराम के संचार घोटाले पर सुषमा स्वराज संसद में खूब हंगामा करती रहीं लेकिन बाद में उन्हीं सुखराम ने भाजपा का कमल थाम लिया तो सब माफ और साफ । इनके बेटे अनिल शर्मा तक जयराम ठाकुर की सरकार में मंत्री रहे लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में पंडित जी ने फिर पलटी मारी और पोते के लिए कांग्रेस का टिकट ले आए । बेशक पोता हार गया और रामकिशन शर्मा जी ही दूसरी बार सांसद बने लेकिन अब उनके निधन के बाद कैसा और कौन प्रत्याशी आता है? यह देखना होगा । क्या पंडित जी का पोता फिर से मैदान में आएगा ? छोड़िए बड़ी बात कि भाजपा की कमल थामो लक्ष्मी मुस्करायेगी और भाजपा का विरोध करने पर लक्ष्मी के लिए छापे पड़ेंगे भैया । सोच लो किधर जाना है ? ईबीएम का खेला भी खुल गया । तो दीदी अकेली विपक्ष का मोर्चा संभाले है । हां , कांग्रेस और भाजपा ने ज्यादा जोर न लगाकर दीदी को वाकओवर जैसा सहयोग दे दिया । देखते हैं कि भविष्यवाणी किसकी सही निकलती है ?

इधर हरियाणा में पांच सौ से ज्यादा लोग एकत्रित नहीं हो सकेंगे । यह बहुत अच्छा फरमान लेकिन क्या सत्ताधारी दल के नेता इसका पालन करेंगे या विरोधियों की गतिविधियों पर ही अंकुश लगाने का यह एक तरीका है, खासतौर पर मुख्यमंत्री के हेलीकाप्टर की लैंडिंग में बाधा ईए बाद ,,,;?
नक्सली हमले में मारे गये फौजी जवानों को नमन् । पर ये आग कब बुझेगी ?

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