एक गुजराती उनके मैदान में उन्हें चुनौती दे गया और विजयी हुआ

– हमे खुश होना चाहिए कि इस बेहद बुरे वक्त में हमारे साथ राहुल गांधी-  प्रियंका है
– राहुल ने शहीद किसानों के लिए मौन रखकर बीजेपी के सांसदों, मंत्रियों सभी को छोटा बेहद छोटा कर दिया।

अशोक कुमार कौशिक

राहुल एवम प्रियंका निर्दोष हैं। लेकिन वे अपने को तब सिद्ध करते तो ज्यादा ठीक रहता जब मोदी के सामने बनारस में चुनाव लड़ते। एक गुजराती उनके मैदान में उन्हें चुनौती दे गया और विजयी हुआ, मध्य युग मे अनेक युद्ध इस कारण हारे गए क्योंकि सेनापति/राजा ही मैदान छोड़ भाग खड़ा हुआ या हाथी से उतर गया। अब बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। बनारस में विपक्ष मैदान छोड़ भाग गया था। इस बार सीधा अडानी अम्बानी पर हमला करके राहुल ने सही किया लेकिन अभी काफी देर हो चुकी है, इस तरह की आक्रामक राजनीति 2014 में हारने के बाद ही शुरू कर देनी थी।

मैं अक्सर सोचा करता हूँ कि इस वक्त देश को कैसे नेताओं की जरूरत है? जब यह सोचता हूँ तो यह भी सोचता हूँ कि देश का बेटा, देश की बेटी कैसे होने चाहिए? न जाने क्यों दो चेहरे सामने आ जाते है। 

जब संसद में राहुल गांधी बोल रहे थे और लगातार “हम दो हमारे दो “कह रहे थे तो ऐसा नही है कि वो केवल मोदी- शाह की जुगल जोड़ी और उनके सब पर कब्जा करने की प्रवृति मित्रों अडानी -अंबानी की ओर इशारा कर रहे थे। वो लगे हाथों भाजपा सरकार के उस इरादे को नंगा कर रहे थे जो जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर  देश के अल्पसंख्यकों के लिए हम दो हमारे दो जैसे कानूनों को लाने के मंसूबे बना  रही थी। यह सच है कि अगर कृषि बिल पर बवाल न होता तो भाजपा जनसंख्यारोधी कानून संसद में ला चुकी होती।

राहुल अपने भाषण में लोकसभाध्यक्ष, पीएम समेत समूची भाजपा को लगातार आईना दिखाते रहे। यह समझ में आ गया कि बिड़ला जब भाजपा के लोग बीच मे बोल रहे थे राहुल गांधी का माइक ऑफ कर दे रहे थे। राहुल ने शहीद किसानों के लिए मौन रखकर बीजेपी के सांसदों, मंत्रियों सभी को छोटा बेहद छोटा कर दिया।बीजेपी के पास केवल शोर ही शेष था।

इस बात से बिल्कुल फर्क नही पड़ता कि कांग्रेस का आने वाले चुनाव में प्रदर्शन कैसा रहता  है? कितने लोग पार्टी छोड़कर जाते हैं या आते हैं? इस बात से भी फर्क नही पड़ता कि सफेद हाफ शर्ट और सफेद होती दाढ़ी वाले राहुल कितना चुनाव जीता पाते हैं ।

 हमे खुश होना चाहिए कि इस बेहद बुरे वक्त में हमारे साथ राहुल गांधी वह प्रियंका वाड्रा है। जर्मनी में जब फासीवाद चरम पर था तो यहूदियों के पक्ष में बोलने वाला कोई न था, नतीजा क्या हुआ हम आज तक याद करते हैं।  आप कांग्रेस के साथ खड़े रहें या न रहे  कोई बात नही है लेकिन राहुल के साथ खड़ा होना इस वक्त की जरूरत है। उनके साथ खड़ा होना देश के साथ खड़ा होना है। राहुल देश की गरीव,वंचित शोषित जनता के साथ खड़े हैं।

 – प्रियंका ही इंदिरा है 

प्रियंका ने यूपी में जो राजनीति कर रही है वो अच्छे से अच्छे पंडितों को हैरान कर रही है वो हाथरस में दलितों के साथ खड़ी दिखती है , CAA प्रोटेस्ट के दौरान मुस्लिम के साथ और अब प्रियंका गांधी ने सहारनपुर में जाटलैंड में जाकर यह बता दिया है कि वो राजनीति को कितना अच्छे से पढ़ने लगी है जब इंदिरा गांधी राजनीति में आई थी तो उन्हें मोम की गुड़िया कहा जाता था। पूरा विपक्ष उनकी आलोचना करता था। लेकिन वो चुपचाप अपनी गलतियों से सीखती रही, ठीक ऐसा प्रियंका के साथ हो रहा है  औऱ वो भी अपनी दादी की तरह फ़ास्ट लर्नर है और यही बात उन्हें लम्बी रेस का घोडा बनाती है।

मुझे कभी यूपी में कांग्रेस से उम्मीद नही रही। प्रियंका हमेशा से एक आस जगाती है। वो जनता से सीधा संवाद करती है। सही मुद्दों पर तीखी बाते करती है। वो एक बहुत बडी नेता बन सकती है बशर्ते वो अपनी इस शैली और सीखने की ललक बनाये रखे। राहुल कभी इस देश के प्रधानमंत्री बनेंगे है या नही, इस पर दो मत हो सकते है लेकिन प्रियंका पक्का बन सकती है क्योंकि उनमें इंदिरा की राजनीति की झलक मिलती है।  2024 में क्या होगा किसी को कुछ पता नही है लेकिन उत्तरप्रदेश के 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को वो एक मुख्य ताकत बना देगी इस पर मुझे कोई शक नही है। 

प्रियंका गाँधी ने बचपन में अपनी दादी इंदिरा गांधी को नृत्य करने पर मजबूर कर दिया था। जिसने पूरे पाकिस्तान और अमेरिका को अपने इशारे पर नाचने पर मजबूर कर दिया था। अब पूरा अंध भक्त रक्तबीज समुदाय सोशल पर मीडिया पर प्रियंका की भद्दी आलोचना करके बेशर्मी से नाच रहा है लेकिन इनका सर्वनाश यह नई दुर्गा ही करेगी इस पर मुझे पूरा विश्वास है ।

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