
रेवाड़ी, 14 फरवरी – 2021स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने आरोप लगाया कि भाजपा-संघी सासंद, विधायक, मंत्री, नेता किसान विरोध व किसानों के प्रति अपनी घृणा का प्रदर्शन करने की सभी हदे पार कर रहे है। विद्रोही ने कहा कि पहले तो संघीयों ने आंदोलरत किसानों को खालिस्तानी, नक्सली, आंतकवादी, पाकिस्तानी, चीनी एजेंट सहित जो भी गालिया दे सकते थे, वह दी। अब जब राहुल गांधी ने लोकसभा में गुरूवार को अपने भाषण के बाद किसान आंदोलन में शहीद हुए 200 से ज्यादा किसानों को दो मिनट खड़े होकर कांग्रेस सहित विपक्ष के सांसदों के साथ श्रद्धाजंली दी तो सदन में ही भाजपा सांसदों ने शेम-शेम के नारे लगाये, शोर-शराबा करके मृतक किसानों का अपमान किया और अब सत्ता अहंकारी भाजपा-संघी सांसद राहुल गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लोकसभा में लाकर किसानों को श्रद्धाजंली देने को संसद व लोकसभा का अपमान बताते हुए राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता को समाप्त करने की मांग कर रहे है।
विद्रोही ने भाजपा-संघी सांसदों को खुली चुनौती दी कि यदि उनमें दम है तो राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त करने की हिम्मत दिखाये। वहीं हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने किसान आंदोलन में 217 से ज्यादा शहीद हुए किसानों का मजाक उड़ाते हुए उन्हे सडक़ छाप बताकर व मीडिया के सामने मजाक उड़ाते हुए ठहाके लगाकर उनकी मौत का मजाक उड़ाया। भारतीय सभ्यता-संस्कृति में यदि कोई दुश्मन भी मर जाता है तो दिवंगत आत्मा के प्रति लोग आदर दिखाने सिर झुकाते है। वहीं हिन्दुओं के स्वयंभू आलम्बदार, सभ्यता-संस्कृति के स्वयंभू पहरूआ बने हुए संघी किसान अंादोलन में हुई किसानों की मौत पर संवेदना प्रकट करने की बजाय सार्वजनिक रूप से उनका मजाक उडा रहे है। भाजपाई-संघीयों का बेशर्मीभरा यह आचरण बताता है कि उनके मन में किसानों के प्रति कितना जहर भरा हुआ है और वे किसान वर्ग से कितनी घृणा करते है।
विद्रोही ने कहा कि घोर किसान विरोधियों से किसान हित की आशा तो दूर इनसे किसान मौत पर संवेदना प्रकट करने की आशा भी बेमानी है। दूसरों की मौत का मजाक उड़ाकर मृतकों पर सार्वजनिक अठ्ठास करने वाले संघीयों को इंसान कहना भी इंसानियत का अपमान है। एक ओर प्रधानमंत्री मोदी आंदोलन करने वाले किसानों को आंदोलनजीवी परजीवी अर्थात दूसरों का खून पीकर जीने वाले बताते है और उनकी ही नकल करके हर छोटा बड़ा भाजपाई-संघी किसानों के प्रति जहर उगलकर उनकी मौतों को भी मजाक बनाते है। ऐसी सरकार से किसान हित ही क्यों, समाज व देश के किसी भी हित आशा ही मृगतृष्णा है।
मोदी सरकार रसोई गैस सिलेंडर, पैट्रोल-डीजल के अंधाधुंध भाव बढ़ाकर आमजनों की जेब काट रही है। वहीं सरकारी सम्पत्तियों को औनपौने दामो में बेचकर सत्ता दुरूपयोग से मोदी मित्र चंद पंूजीपतियों की तिजौरियां भरने पर तुली है। ऐसी स्थिति में विद्रोही ने देश के सभी नागरिकों, किसान, मजदूरों, मेहनतकश, आमजनों से आग्रह किया कि वे तय करे कि आजाद लोकतांत्रिक भारत में वे सिर उठाकर सम्मान से जीना चाहते है या संघी फासीजम को बढावा देकर सामंतवादी, तानाशाही व्यवस्था को बढ़ावा देकर संघी गुलाम बनना चाहते है।