यह देश का बजट न होकर चार चुनावी राज्यों का बजट : विद्रोही

1 फरवरी 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने वित्तमंत्री द्वारा प्रस्तुत बजट को पंूतपतियों का व पंूजीपतियों के लिए बजट बताया जिससे पंूजीपतियों की तिजौरियां भरेगी व आमजनों की जेबे कटेगी। विद्रोही ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने बजट में देश के सभी राज्यों व नागरिकों के हितों पर ध्यान रखने की बजाय असम, बंगाल, तमिलनाडू व केरल में जनता को गुमराह करके ऐसा बजट रखा है कि मानो यह देश का बजट न होकर चार चुनावी राज्यों का बजट हो। मोदी सरकार का यह कदम बताता है कि सरकार की असली नीति व नीयत देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की बजाय चुनाव कैसे जीता जाये, है।

इस साल बजट घाटा 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान वित्तमंत्री बता रही है, पर मेरी राय में यह बजट घाटा 10 प्रतिशत के आसपास होगा जिससे महंगाई बढ़ेगी और विकास योजनाओं पर ब्रेक लगेगा। बजट में बीमा क्षेत्र में एफडीआई को 49 से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करके एक तरह बीमा क्षेत्र को बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के रहमो-करम पर छोड दिया है। वहीं सरकार ने एलआईसीे सहित विभिन्न सरकारी संस्थानों को बेचकर 1.75 लाख करोड़ रूपये कमाने का लक्ष्य रखा है जिसका अर्थ है कि वर्षो से कड़ी मेहनत से बनाये पीएसयूज को सरकार अपने चहेते पूंजीपतियों को औनेपौने दामों में बेचकर सत्ता दुरूपयोग से उनकी तिजौरियां भरने की फिराक में है। सरकार ने एयरपोर्ट, सडक़, बिजली ट्रांसमिशन लाईन, वेयर हाऊस बेचने का फैसला किया है। 

विद्रोही ने आरोप लगाया कि सरकार पहले ही सरकारी एयरपोर्ट अडानी को सौंपकर देश के साथ धोखा कर चुकी है। अब उसकी मंशा कड़ी मेहनत व काफी धन खर्च करके देश के बनाये गए बंदरगाह भी अडानी जैसे पूंजीपतियों को सौंपने की है ताकि सरकारी सम्पत्तियों को लूटकर सत्ता दुरूपयोग से मोदी चहेते पूंजीपतियों की झोली में डाला जा सके। असम व बंगाल में चाय बागान मजदूरों की विधानसभा चुनाव में वोट हडपने इन चाय बागानों की विशेष सहायता की है। एकबार फिर बजट भाषण में वित्तमंत्री ने विभिन्न फसलों का एमएसपी लागत से डेढ़ गुणा ज्यादा देने का जुमला उछाला है जो सच से कोसो दूर है। खेती व किसानों के लिए यह बजट निराशाजनक है।

सरकार किसानों को कर्ज बाटने की राशी तो बढ़ा रही है, पर उनकी आय बढ़े इस पर किंचित मात्रा में भी ध्यान नही दिया गया है। कर्ज बाटने से किसान पर कर्ज का बोढ तो बढ़ जायेगा, पर वह इस बोझ को उतारेगा कैसे, इस पर बजट मौन है। सैनिक स्कूलों में निजी उद्योगपतियों की भागीदारी करना कोई अच्छा संकेत नही है। विद्रोही ने कहा कि बजट में आमजनों को आयकर में कोई छूट नही मिली है। सरकार ने ऐसा कोई कदम नही उठाया जिससे आमजन की आर्थिक स्थिति मजबूत हो और उसका आर्थिक बोझ कम हो।

कुल मिलाकर यह बजट निजीकरण को बढ़ावा देने वाला, पूंजीपतियों की तिजौरियां भरने वाला, आमजन की जेबे खाली करने व बेरोजगारी बढ़ाने वाला बजट है। इस बजट से महंगाई, बेरोजगारी बढेगी व आमजन की आर्थिक स्थिति और विकट होगी। यह दिशाहीन, विकासहीन व आमजनों के हितों से कोसों दूर का बजट है। विद्रोही ने आर्थिक संकट से जूझ रहे आमजनों के लिए बहुत ही निराशाजनक बजट बताया।

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