हरियाणा विधानसभा सत्र मेें भाजपा सरकार कांग्रेस द्वारा उठाये गए किसी भीे सवाल का न तो संतोषजनक उत्तर दे सकी और न ही यह बता पाई है कि विगत दस सालों में भाजपा राज की क्या उलपब्धियां थी : विद्रोही

58 साल तक नौकरी की गारंटीे पाने वाले अनुबंधित कर्मचारी अबे जीवनभर स्थाई कर्मचारियों के मुकाबले में एक तिहाई वेतन पर काम करने को मजबूर होंं : विद्रोही

सरकार ने चुनावी वादों में एक भी वादा अभी तक पूरा नहीे किया है, केवल जुमले, बयानबाजी व आंकडों की हेराफेरी से हरियाणावासियों को ठगा जा रहा है : विद्रोही

20 नवम्बर 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि हरियाणा विधानसभा सत्र मेें भाजपा सरकार कांग्रेस द्वारा उठाये गए किसी भीे सवाल का न तो संतोषजनक उत्तर दे सकी और न ही यह बता पाई है कि विगत दस सालों में भाजपा राज की क्या उलपब्धियां थी। विद्रोही ने कहा कि भाजपा के पास अपने दस साल की उपलब्धियां न होने पर वह केवल कांग्रेस की विगत सरकार पर सरकार पर आरोप लगाते रहे। जो सरकार दस साल के राज के बाद भी विपक्ष की पूर्व सरकार पर आरोप लगाकर अपनी उपलब्धियों से भागती हो, ऐसी सरकार कितनी खोखली, नकारा सरकार है, यह बताना भी बेमानीे है।

विधानसभा सत्र बाद मुख्यमंत्री का यह दावा कि उन्होंने अपने चुनावी वादे पूरे करने शुरू कर दिये है, यही अपने आप में जुमला है। सरकार ने जिन मुद्दों को लेकर विधानसभा सत्र में कानून बनाये है, वे सभी मुद्दे पुराने है, उनका भाजपा के 2024 के चुनावी वादों से कोई लेना-देना नहीे है। विद्रोही ने सवाल किया कि फरवरी 2024 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में भाजपा सरकार के दिये उस वचन का क्या हुआ जिसके अनुसार सरकार कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने की पोलिसी लानी थी? नई पोलिसी के नाम पर कच्चे अनुबंधित कर्मचारियों को 58 साल तक नौकरीे से न हटाने की गारंटी तो दे दी है, पर साथ में उनके सरकारी शोषण की नींव भी रख दीे। 58 साल तक नौकरी की गारंटीे पाने वाले अनुबंधित कर्मचारी अबे जीवनभर स्थाई कर्मचारियों के मुकाबले में एक तिहाई वेतन पर काम करने को मजबूर होंंगे। यह सुप्रीम कोर्ट की समान काम-समान वेतन की रूलिंग के खिलाफ है। वहीं डीएपी खाद की कमी न होने का जुमला उछालने वाली भाजपा सरकार ने स्वयं स्वीकारा है कि खरीफ फसल से पूर्व सरकार के पास केवल 53 हजार टन ही खाद उपलब्ध था। जब सरकार के पास पर्याप्त मात्रा में खाद ही उपलब्ध नही था तो वह किसानों को खाद कहां से देती?  

विद्रोही ने कहा कि प्रदेश की कानून व्यवस्था, बदहाल स्वास्थ्य व शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने हेतु भाजपा सरकार कोई तार्किक जवाब नही दे पाई। प्रदेश में बढ़ती आर्थिक बदहाली, कांग्रेस के उठाये गए सवालों का सरकार केे पास कोई जवाब नही था। जब सरकार खुद ही मान रही है कि हरियाणा की कुल आबादी का 70 प्रतिशत हिस्सा गरीबी रेखा से नीचे है तो फिर प्रदेश का विकास हुआ या बदहाली बढी, बताना भी बेमानीे है। पिछले वर्ष की तुलना में करीब 6 लाख मीट्रिक टन कम धान खरीदकर सरकार ने अप्रत्यक्ष स्वीकारा है कि किसान फसल को एक-एक दाना खरीदना एक जुमला था। विद्रोहीे ने कहा कि सरकार यह दावा तो करती है कि वह 24 फसलों का एमएसपी दे रहीे है, लेकिन यह बताने को तैयार नही कि प्रदेश में कौन-कौनसी कितनी फसल कहां-कहां किन-किन किसानों से एमएसपी पर खरीदी गई है। सरकार ने चुनावी वादों में एक भी वादा अभी तक पूरा नहीे किया है, केवल जुमले, बयानबाजी व आंकडों की हेराफेरी से हरियाणावासियों को ठगा जा रहा है। विद्रोही ने कहा कि सरकारी नौकरियां पारदर्शिता, ईमानदारी से देने का दमगज्जा मारने वाली भाजपा सरकार में यदि दम है तो पिछले दस सालों में की गई प्रथम, द्वितीय श्रेणी की नौकरियों में उम्मीदवार का नाम, उसकी जाति तथा दसवीं की परीक्षा कहां से पास की व स्थाई पता, उसका ब्यौरा सार्वजनिक करे।    

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