दिनांक 18.11.2024 को दर्ज मुक़द्दमा संख्या COMI-739/2024 मुकेश कुल्थिया एडवोकेट बनाम अंकित चौकसे एसडीएम बादशाहपुर

भारत सारथी

गुड़गांव,  20.11.2024 – एसडीएम बादशाहपुर अंकित चौकसे और हरियाणा ट्रांसपोर्ट कमिश्नर यशेंदर सिंह के खिलाफ गुड़गांव दिल्ली एनसीआर में 5 साल पुरानी कारों पर गैरकानूनी प्रतिबंध लगाने के इरादे से माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के साथ फर्जीवाड़े के आरोप में गुड़गांव मजिस्ट्रेट कोर्ट में सबूतों के साथ आपराधिक मुकद्दमा दर्ज करवाया गया है। मुकेश कुल्थिया एडवोकेट ने दस्तावेजी सबूतों के साथ आरोप लगाए हैं कि ट्रांसपोर्ट कमिश्नर यशेंदर सिंह ने दिनांक 06.11.2020 एवं 24.12.2020 को दो विभिन्न विभागीय आदेश जारी कर दिल्ली हरियाणा एनसीआर में 5 वर्ष पुराने वाहनों पर गैरकानूनी पाबंदी लगा दी थी।

आदेशों की तह तक जाने के बाद एडवोकेट मुकेश कुल्थिया ने पाया कि ये दोनों विभागीय आदेश माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दो आदेशों दिनांक 27.03.2020 एवं 13.08.2020 का एक फर्जी रूपांतरण है। एडवोकेट मुकेश कुल्थिया ने ये तथ्य एसडीएम बादशाहपुर अंकित चौकसे और हरियाणा ट्रांसपोर्ट कमिश्नर यशेंदर सिंह के समक्ष प्रस्तुत कर उनसे विभागीय आदेशों में भूल सुधार का आग्रह किया। एडवोकेट मुकेश कुल्थिया ने ये एसडीएम बादशाहपुर अंकित चौकसे और हरियाणा ट्रांसपोर्ट कमिश्नर यशेंदर सिंह के समक्ष माननीय सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2021 के आदेश एवं मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधान भी प्रस्तुत किए। कई बार आग्रह करने बावजूद भी एसडीएम बादशाहपुर अंकित चौकसे और हरियाणा ट्रांसपोर्ट कमिश्नर यशेंदर सिंह ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों एवं मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों का पालन करने से स्पष्ट इनकार कर दिया। जिस से ये साबित हुआ कि दिनांक 06.11.2020 एवं 24.12.2020 को जारी किए गए दो विभिन्न विभागीय आदेश किसी भूल से नहीं बल्कि जानबूझ कर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दो आदेशों दिनांक 27.03.2020 एवं 13.08.2020 के फर्जी रूपांतरण के तौर पर जारी किए गए एवं तमाम तथ्य प्रस्तुत करने के बावजूद भी एसडीएम बादशाहपुर अंकित चौकसे और हरियाणा ट्रांसपोर्ट कमिश्नर यशेंदर सिंह ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों एवं मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों का पालन करने से स्पष्ट इनकार कर दिया।

आख़िरकार एडवोकेट मुकेश कुल्थिया को एसडीएम बादशाहपुर अंकित चौकसे और हरियाणा ट्रांसपोर्ट कमिश्नर यशेंदर सिंह के खिलाफ माननीय न्यायालय में भारतीय न्याय संहिता की धारा 33, 210, 223 एवं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 2(7), 2(24), 2(33), 2(15), 198, 199, 217 316(1), 316(2), 316(5), 336(1)(2)(3), 61(1), 61(2) के तहत कानून का उलंघन, पद का दुरुपयोग, आपराधिक विश्वासघात, आपराधिक साजिश एवं सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के साथ फर्जीवाड़े के अपराध करने का आपराधिक मुकदमा दर्ज करवाने को बाध्य होना पड़ा। माननीय मुख्य न्यायाधीश (चीफ जस्टिस) को भी इस बाबत शिकायत भेज दी गई है। मुकदमे पर संज्ञान लेते हुए माननीय गुड़गांव मजिस्ट्रेट कोर्ट ने गवाही प्रक्रिया शुरू करने के आदेश पारित किए हैं। कानूनी प्रक्रिया लंबी है किंतु सबूतों के आधार पर लगाए गए आरोप अत्यंत गंभीर हैं।

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