धर्मपाल वर्मा चंडीगढ़ । लगातार जोर पकड़ रहे किसान आंदोलन का जहां केंद्र सरकार पर दबाव बढता जा रहा है वही इन्हीं कारणों से हरियाणा की गठबंधन सरकार को भी शायद अपनी राजनीतिक परिसंपत्ति को संभाल कर रखने को मजबूर होना पड़ रहा है। सूत्र बता रहे हैं कि गृह मंत्रालय को इस बात की सूचना मिल रही है कि जननायक जनता पार्टी और निर्दलीय विधायकों पर उनके हलकों में त्यागपत्र देने का दबाव बढ़ रहा है। इस मामले में सरकार के लिए सबसे चिंताजनक बात यह है कि कांग्रेस पार्टी के नेता कथित तौर पर ऐसे विधायकों से सीधा संपर्क बनाए हुए हैं जो त्यागपत्र देने की बात सोच सकते हैं । अभी तक तीन या चार विधायकों को लेकर अटकलें लगाई जा रही है कि यह इस्तीफा तो दे ही सकते हैं उपचुनाव में जेजेपी छोड़ कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचने का जुगाड़ बनाने की योजना पर भी काम कर सकते हैं।यह योजना आगे कहां तक जा सकती है इसे हम और आप आसानी से समझ सकते हैं इसीलिए कहा जाता है कि जम्हूरियत दर्जे हक हकीकत है इसमें सिर गिने जाते हैं तोले नहीं जाते । चर्चा है कि जेजेपी के नेताओं से नाराज चल रहे कई विधायक यह मानकर चल रहे हैं कि वे अब त्यागपत्र दे तो उपचुनाव के समय कांग्रेस की टिकट पर निश्चित तौर पर चुनाव जीत सकते हैं ।ऐसा कदम कांग्रेस की टिकट की पक्की गारंटी के बाद ही उठाया जा सकता है वरना गोद वाले को छोड़कर पेट वाले की आस कोई नहीं करता। यही कारण है कि जो जेजेपी की कमजोर कड़ी हैं उन्हें कांग्रेस हाथों-हाथ लेने की योजना पर काम ना करें यह कैसे हो सकता है । इस मामले में लगभग सारे कांग्रेस के नेता एक राय बना चुके बताए गए हैं । बता दें कि सरकार के एक एमएलए को पिछले दिनों उसके हलके के लोगों ने जिले में चल रहे धरने पर बुलाया और उसे यह संदेश देने की कोशिश की कि वह विधायक पद से त्यागपत्र दे कर उनके बीच में आए। बताते हैं कि इस पर विधायक ने कहा कि उनके त्यागपत्र से कोई हल निकलता है या हल्के का भला होता है तो वे ऐसा करने को भी तैयार हैं । असल में यह एक बड़ी राजनीतिक योजना हो सकती है । लोग मानकर चल रहे हैं कि जेजेपी के विधायक त्यागपत्र देते हैं तो फिर वे उपचुनाव जेजेपी की टिकट पर नहीं लड़ेंगे बल्कि ऐसा हो सकता है कि त्यागपत्र देने से पहले अगला चुनाव जीतने की व्यवस्था करके चले और व्यवस्था कांग्रेस की टिकट ही हो सकती है । बताया गया है कि सरकार अब निर्दलीय विधायकों पर भी नजर रखकर चल रही है और पता चला है कि सरकार उनका विशेष ख्याल रखने लगी हैं। सूचना मिली है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों इन्हीं कारणों से मुख्यमंत्री मनोहर लाल को दिल्ली बुलाया था और वह अब उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला तथा जेजेपी के विधायकों को भी निकट भविष्य में दिल्ली बुला सकते हैं। जिस तरह से इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय सिंह चौटाला ने चौधरी देवी लाल के स्टाइल में त्यागपत्र देने की बात कही है उसे देखते हुए राज्य में कई और राजनीतिक शुरुआत हो सकती है । हरियाणा ऐसा प्रदेश है जिसकी व्यवस्थाएं देखकर लोग कहा करते हैं कि हरियाणा में जहां उत्तरोत्तर विकास हुआ है वही राजनीति में निरंतर गिरावट आई है ।यहां राजनीति में कई नाटकीय मोड़ आते रहे हैं । इसीलिए महीने भर से चर्चा चली हुई है कि कांग्रेस के कुछ नेता हरियाणा सरकार को गिराने और अपनी सरकार बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं ।जाहिर है कि वे विपक्ष के विधायकों को यह सब्जबाग जरूर दिखाएंगे कि मौजूदा सरकार कैसे गिरगी और उनकी सरकार कैसे बनेगी । वैसे किसी भी चीज की शुरुआत बहुत महत्व रखती है और यह शुरुआत पहले सोमवीर सांगवान ने की अब अभय सिंह चौटाला ने कर दी है । कहते हैं दीवार में से एक ईंट निकल जाए तो फिर और भी निकलने लगती हैं । यद्यपि उपरोक्त संभावना अभी हवा में हैं परंतु राजनीति में एक कहावत बहुत महत्व रखती है किलगता तो नहीं पर हो भी सकता है । Post navigation माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गयी अस्थाई रोक स्वागत योग्य फैंसला लेकिन किसानों की समस्या का यह स्थायी समाधान नहीं – बलराज कुंडू अमित शाह से मुलाकात के बाद बोले मुख्यमंत्री मनोहर लाल