कमेटी में तीनों कृषि कानूनों के पक्षधरों की जगह किसानों को शामिल किये जाने की आवश्यकता है जो खेती और किसानी से सीधे जुड़े हैं चंडीगढ़, 12 जनवरी : तीन कृषि कानूनों को लेकर माननीय सुप्रीम कोर्ट के आज आये फैंसले पर टिप्पणी करते हुए किसान आंदोलन में शुरुआत से ही सक्रिय भूमिका निभाते आ रहे महम विधायक बलराज कुंडू ने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन कानूनों पर लगाई गयी अस्थाई रोक का वे स्वागत करते हैं लेकिन साथ ही विनम्रता पूर्वक कहना चाहते हैं कि अस्थाई रोक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जो एक्सपर्ट कमेटी बनाई है उसके सभी सदस्य पहले ही न केवल खुली बाजार व्यवस्था के समर्थक रहे हैं बल्कि इन तीन कृषि विरोधी कानूनों को लाये जाने की वकालत एवं सिफारिश करने वालों में शामिल रह चुके हैं। ऐसे में बिना किसानों को शामिल किए इस कमेटी के गठन का यह फैंसला किसी भी लिहाज से तर्कसंगत नहीं है। वे विनम्रता पूर्वक आग्रह करते हैं कि इस कमेटी में उन किसानों को शामिल किया जाना चाहिए जो सीधे तौर पर खेतीबाड़ी से जुड़े हैं और किसानों के दुख-तकलीफों को समझते हैं। आज किसानों की जो दुर्दशा है वह किसी से छिपी नहीं है और ये तीन नए कानून तो किसानों को बिलकुल बर्बाद करने वाले हैं। इसलिये मजबूरी में किसानों को सड़कों पर आकर आंदोलन करना पड़ रहा है। सरकार हठधर्मिता पर अड़ी हुई है और रोजाना किसानों की शहादतें हो रही हैं जो बेहद दुखदायी बात है। किसान अन्नदाता के साथ यह बेइंसाफी नहीं होनी चाहिए। इन किसान विरोधी कानूनों को बिना देर किए रद्द कर देना चाहिए। कुंडू ने कहा कि अगर कानूनी नजरिये से देखें तो माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई अस्थाई रोक भविष्य में कभी भी हटाई जा सकती है इसलिए किसानों को इसका फायदा नहीं होने वाला। अगर अस्थाई रोक ही लगवानी होती तो किसान खुद ही न सीधे सुप्रीम कोर्ट चले जाते उनको भीषण सर्दी में सड़कों पर आकर आंदोलन करने पर मजबूर ना होना पड़ता। उन्होंने कहा कि तीनों काले कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर शुरू हुआ किसान आंदोलन अब जनांदोलन बन चुका है और यह तब तक यूँ ही चलेगा जब तक केंद्र इन काले कानूनों को रद्द नहीं कर देगा। Post navigation सरकार से आग्रह, शुरूआती चरण में ही छात्रों को मिले फ्री कोरोना वैक्सीन – दिग्विजय चौटाला क्या असल में हलचल है प्रदेश की गठबंधन सरकार में !