धर्मपाल वर्मा

चंडीगढ़ – जब यह खबर आई कि पूर्व उप प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी देवीलाल के एक पोते इनेलो के नेता और विधायक अभय सिंह चौटाला ने एक शर्त के साथ त्यागपत्र देने की पेशकश की है तो किसानों और किसान संगठनों के नेताओं के जेहन में एक सवाल एक बार फिर खड़ा हो गया है कि संवैधानिक पदों पर आसीन चौधरी देवी लाल के वंशज कहां हैं जो कॉख पीट-पीट कर यह दावा करते हैं कि इस बार के हरियाणा विधानसभा चुनाव में चौधरी देवी लाल के परिवार के 5 लोग विधायक बन कर आए हैं और सारे के सारे खुद को उनका राजनीतिक वारिस बताकर अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने की कोशिश में लगे रहते हैं। किसान और किसान संगठन अब सीधे तौर पर एक सवाल उठाते हैं कि चौधरी देवी लाल के परिवार का जो व्यक्ति इस लड़ाई में मैदान में नहीं आता किसानों के साथ आकर भी खड़ा नहीं होता वह उनका राजनीतिक उत्तराधिकारी कैसे हो सकता है। इस समय चौधरी देवी लाल के पुत्र चौधरी रंजीत सिंह उनका पोता दुष्यंत चौटाला हरियाणा सरकार में हैं । एक पोते की बहू विधायक हैं और भारतीय जनता पार्टी की नीतियों के समर्थन में खड़े हैं । जिन्हें सारे के सारे किसान काले कानून बता रहे हैं उनको लेकर चौधरी देवी लाल का परिवार चुप्पी साध कर चल रहा है तो इसकी आलोचना होना स्वाभाविक है ।

किसान और किसान संगठन इस बात को कभी नहीं भूल सकते कि चौधरी देवीलाल ने किसानों के हित को देखते हुए मुख्यमंत्री का पद दाव पर लगा दिया था और कहा था कि वे किसान पहले हैं और मुख्यमंत्री बाद में । जबकि चौधरी रंजीत सिंह दुष्यंत चौटाला नैना चौटाला आदि की स्थिति ऐसी हो गई है की जैसे वह यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि वह नेता पहले हैं किसान बाद में ।उनके लिए किसानों का हित नहीं खुद का हित प्राथमिक है ।इन सभी लोगों को यह मानकर चलना चाहिए कि आने वाले वक्त में उनकी राजनीतिक परिस्थितियां बहुत विकट रूप धारण कर सकती हैं उन्हें प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ सकता है ।

चौधरी देवीलाल तो यह कहा करते थे कि लोकतंत्र में जो व्यक्ति लोगों के बीच में रहेगा वही सरवाइव करेगा।चौधरी देवीलाल ने किसानों के हितों के लिए कितनी बार त्याग किए, त्यागपत्र दिए ।

1982 में वह महम से विधायक चुने गए थे ।अचानक त्यागपत्र देकर लोगों के बीच में आ गए । किसी ने पूछा कि आप ने त्यागपत्र क्यों दिया है तो उन्होंने जवाब दिया कि मैं हरियाणा के हितों के साथ खिलवाड़ कर रहे भजनलाल और बंसीलाल की छाती पर मूंग दलूंगा ।

कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन चला रहे किसानों और उनके 40 से अधिक संगठनों को आज स्वर्गीय चौधरी देवीलाल की याद इसलिए भी आ रही होगी कि उन्होंने अपने राजनीतिक दांवपेच वक्तव्यो और रणनीतियों से कई बार सरकारों को घुटने टेकने पर मजबूर करके दिखाया था।

अभय सिंह चौटाला ने यह जरूर कह दिया है कि 26 जनवरी तक समझौता नहीं हुआ तो वे 27 जनवरी को त्यागपत्र दे देंगे ।अब देखने वाली बात यह है कि 27 जनवरी को होता क्या है ।आप यह मानकर चलें कि यदि उनका इस्तीफा होता है तो फिर ऐलनाबाद में उपचुनाव भी होगा और यह उपचुनाव और इसकी हार जीत हरियाणा, किसान, जिला सिरसा की राजनीतिक तासीर वहां के लोगों की अपने पराए की सोच को परिलक्षित करने का काम करेगी । समझा जा सकता है कि इन सभी चीजों को जेहन में रखकर ही अभय सिंह चौटाला ने उपरोक्त ऐलान किया होगा । राजनीतिक दृष्टि से देखें तो ऐसा करके अभय सिंह चौटाला ने जननायक जनता पार्टी के नेताओं और उनकी स्थिति को एक्सपोज करने का ऐसा तीर छोड़ा है कि वह आर पार जा सकता है। बेशक जननायक जनता पार्टी के नेता और उन्हीं के परिवार के लोग यह मानकर चल रहे होंगे कि अभी सरकारों के 4 साल पड़े हैं मतलब 4 साल तक कोई चुनाव होने वाला नहीं है और वह सत्ता का सुख त्यागने की गलती क्यों करें परंतु जिस तरह से लोगों में उनके प्रति आक्रोश नफरत और गुस्सा बढ़ता जा रहा है वह उनके लिए उनकी राजनीति के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकता है । आंदोलन जितना लंबा चलेगा भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी दोनों की मुश्किलें इतनी ज्यादा बढ़ जाएंगी । लोग बहिष्कार की मुद्रा अपनाने की स्थिति में आ जाएंगे।

चौधरी देवी लाल के एक प्रपौत्र आदित्य चौटाला सिरसा जिला भाजपा के अध्यक्ष हैं । यद्यपि वे संवैधानिक पद पर नहीं है परंतु ऐसा महसूस किया जाता है कि वे किसानों के प्रति अपनी बात कहने को छटपटा रहे हैं ।शायद पार्टी उन्हें इस बात के लिए इजाजत नहीं दे रही परंतु जहां तक विचार जज्बे और किसान हित का सवाल है मुझे लगता है कि वह जल्दी ही कोई धमाका कर सकते हैं । देखते हैं आगे आगे होता है क्या !

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