सीबीआई कोर्ट ने 5 और अधिकारियों को जारी किए सम्मन

रमेश गोयत

पंचकूला, 01 दिसम्बर। हरियाणा के बहुचर्चित मानेसर लैंड स्कैम मामले में मगलवार को विशेष सीबीआई कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले में मुख्य आरोपी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा वीडियो कॉन्फ्रेंस के मार्फत सीबीआई कोर्ट में पेश हुए। जबकि अन्य सभी आरोपी प्रत्यक्ष रूप से कोर्ट में पेश हुए। सीबीआई कोर्ट ने मामलें में 5 अधिकारी और नए आरोपी बनाए है। मगलवार को इस मामले में सीबीआई कोर्ट ने 5 आरोपियों को सम्मन भी जारी किए। जिसमें 5 नए आरोपी आइएस राजीव अरोड़ा, डीआर ढिंगरा, सुरजीत सिंह, धारय सिंह और कुलवंत सिंह लांबा हैं। वही आरोपी एमएल तायल, जसवंत सिंह और सुदीप ढिल्लों द्वारा दायर की गई डिस्चार्ज की अर्जी कोर्ट ने खारिज कर दी। 5 नए आरोपियों को पेश होने के लिए अगली तारीख लगाई गई है। मामले की अगली सुनवाई 17 दिसम्बर को होगी। अगली सुनवाई में नए 5 आरोपियों को पेश होना होगा। आरोप तय होने पर फैसला अब इन 5 नए आरोपियों की पेश होने के बाद होगा। मानेसर लैंड स्कैम मामले में चार्ज पर आर्डर के लिए अभी और इंतजार करना होगा।

इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा सहित सभी आरोपियों पर बचाव पक्ष की ओर से आरोपों को लेकर पहले ही पूरी बहस हो चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित 34 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की गई थी। अब इस मामले में पंचकूला की विशेष सीबीआई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। जिसमे हुडडा के अलावा एमएल तायल, छतर सिंह, एसएस ढिल्लों, पूर्व डीटीपी जसवंत सहित कई बिल्डरों के खिलाफ चार्ज शीट में नाम आया है। मानेसर जमीन घोटाले को लेकर सीबीआइ ने हुड्डा सहित 34 के खिलाफ 17 सितंबर 2015 को मामला दर्ज किया था। इस मामले में ईडी ने भी हुड्डा के खिलाफ सितंबर 2016 में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। ईडी ने हुड्डा और अन्य के खिलाफ सीबीआइ की एफआइआर के आधार पर आपराधिक मामला दर्ज किया था।  कांग्रेस लगातार इस कार्यवाही को  सियासी रंजिश का नाम दे रही है।

इस मामले में आरोप है कि अगस्त 2014 में निजी बिल्डरों ने हरियाणा सरकार के अज्ञात जनसेवकों के साथ मिलीभगत कर गुड़गांव जिले में मानसेर, नौरंगपुर और लखनौला गांवों के किसानों और भूस्वामियों को अधिग्रहण का भय दिखाकर उनकी करीब 400 एकड़ जमीन औने-पौने दाम पर खरीद ली थी। कांग्रेस की तत्कालीन हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान करीब 900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर उसे बिल्डर्स को औने-पौने दाम पर बेचने का आरोप है।

error: Content is protected !!