..लाचित बोड़फुकन की जयंती पर भाजपाइयों नेे किया नमन भिवानी – लाचित बोड़फुकन का नाम असम के इतिहास में बड़ा ही महत्त्वपूर्ण है। इन्हें अपनी वीरता और कुशल नेतृत्व क्षमता के लिए याद किया जाता है। लाचित अहोम साम्राज्य के सेनापति और बोड़फुकन थे। सराईघाट की लड़ाई में इन्होंने बेहतरीन सूझबूझ का परिचय दिया था। इन्होंने कामरूप पर पुनः अधिकार प्राप्त करने के लिए रामसिंह प्रथम के नेतृत्व वाली मुगल सेनाओं का प्रयास विफल कर दिया गया था। आज लाचित बोड़फुकन की जयंती पर भाजपाइयों ने माल्यार्पण करके उन्हें नमन किया ! नमन करते हुए भाजपा नेता रीतिक वधवा एवं धार्मिक सामाजिक संगठन के संयोजक विनोद अत्री ने कहा कि लाचित बोड़फुकन, मोमाई तामुली बोड़बरुआ के पुत्र थे, जो कि प्रताप सिंह के शासन-काल में पहले बोड़बरुआ थे। लाचित बोड़फुकन ने मानविकी, शास्त्र और सैन्य कौशल की शिक्षा प्राप्त की थी। उन्हें अहोम स्वर्गदेव के ध्वजवाहक का पद सौंपा गया था, जो कि किसी महत्वाकांक्षी कूटनीतिज्ञ या राजनेता के लिए पहला महत्वपूर्ण कदम माना जाता था। बोड़फुकन के रूप में अपनी नियुक्ति से पूर्व लाचित अहोम राजा चक्रध्वज सिंह की शाही घुड़साल के अधीक्षक, रणनैतिक रूप से महत्वपूर्ण सिमुलगढ़ किले के प्रमुख और शाही घुड़सवार रक्षक दल के अधीक्षक[ के पदों पर आसीन रहे थे। राजा चक्रध्वज ने गुवाहाटी के शासक मुग़लों के विरुद्ध अभियान में सेना का नेतृत्व करने के लिए लाचित बोड़फुकन का चयन किया। राजा ने उपहारस्वरूप लाचित को सोने की मूठ वाली एक तलवार और विशिष्टता के प्रतीक पारंपरिक वस्त्र प्रदान किए थे। लाचित ने सेना एकत्रित की और 1667 ई. की गर्मियों तक तैयारियां पूरी कर लीं गईं। लाचित ने मुग़लों के कब्ज़े से गुवाहाटी को पुनः प्राप्त कर लिया और सराईघाट की लड़ाई में वे इसकी रक्षा करने में सफल रहे। ब्रम्हपुत्र नदी के किनारे सरायघाट पर मिली उस ऐतिहासिक विजय के करीब एक साल बाद माँ भारती का यह अद्भुद लाड़ला सदैव के लिए माँ भारती के आँचल में सो गया ! उनका मृत शरीर जोरहाट से 16 किमी दूर हूलुंगपारा में स्वर्गदेव उदयादित्य सिंह द्वारा सन 1672 में निर्मित लचित स्मारक में विश्राम कर रहा है। माँ भारती के ऐसे अद्वितीय पुत्र को कोटि-कोटि नमन। इस अवसर पर जिला सचिव सुनील चौहान , डा. योगेश, पंकज शर्मा, पंकज कुमार, नवीन कुमार, हेमंत, धीरज कुमार, जोगेंद्र, कमल, प्रेम कुमार, मुकेश कुमार, नरेंद्र, प्रदीप, राजेश, राजन, दीपक कुमार, ने भी माल्यार्पण करके उन्हें नमन किया। Post navigation रक्तदान कर राष्ट्र के लिए युवा अपना योगदान दे: सत्यनारायण इंसान बल बुद्धि चतुराई में गाफिल हो परमात्मा को भूल गया : हजूर कंवर महाराज