हिसार में 29 नवंबर को होने वाले पिछड़ा वर्ग सम्मेलन में मुख्यमंत्री जी का अभिनंदन कराने बाबत सभी जिलों में कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु पंचायतों में आरक्षण की लुभावनी रेवड़ियां बांट न्यौता देते फिर रहे है रणबीर गंगवा डिप्टी स्पीकर साहब  उनका कहना हैं कि ओबीसी वर्ग के लोगों को सरपंचों के चुनावों में 8% आरक्षण देने से उनकी राजनीतिक, समाजिक, आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सकता है अर्थात कहीं न कहीं वह मानते हैं कि राजनीति में हिस्सेदारी होने पर उनकी मलिन हालात सुधर जाएगी

– क्या यह राजनीति में भृस्टाचार के होने की स्वीकार्यता तो नहीं ,रणबीर गंगवा जी सरकार के प्रतिनिधि बन तथाकथित आरक्षण के लाभ बता रहे हैं या जजपा के यही स्पस्ट नहीं , सरकार के प्रतिनिधि हैं तो उन्हें बताना चाहिए कि सरकार ने विभिन्न घोषणाएं पहले से जो कर रखी हैं उनकी सफलता का क्या हुआ  और जो घोषणाएं अब कर रही है उनकी प्रमाणिकता क्या है और कितने समय में पूर्ण रूप दिया जाएगा उन्हें ?

तीन नए कृषि कानून बना किसानों के हितों की अंदेखियाँ करने वाली और पंचायतों को अपने प्रभाव में रखने के लिए राइट टू रिकॉल कानून बनाने वाली सरकार इन ओबीसी कोटे के सरपंचों का शोषण नहीं करेगी क्या गारंटी है ?

8% आरक्षण का लॉलीपॉप पंचायत चुनावों में देकर दयालु खट्टर सरकार की उपलब्धियाँ गिना रहे रणबीर गंगवा जी को बताना चाहिए कि निजी उद्योगों व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में जो 75प्रतिशत आरक्षण वाला कानून बनाया गया है उसके अंतर्गत ओबीसी वर्ग की हिस्सेदारी कितनी होगी  और क्या यह 75%सरकारी नोकरियों में लागू किया जाएगा क्या  क्योंकि आईएएस आईपीएस कैडर के अधिकारियों को बाहर से लाकर भर रखा जो है लगभग सभी जिलों में ।

अब आपके दौरे चल रहे हैं तो लोगों में बड़ी उत्सुकता है तथा टकटकी लगाए बैठे है प्रदेशवासी , आपने उन्हें बताया क्या कि नोकरियों में धांधलियां कब समाप्त होँगी ?

 ओबीसी वर्ग भी आपसे जानना चाहता है कि आपकी सरकार ने बैकलॉग को भरने का कोई नियम बनाया है क्या  जिसके तहत उनके हिस्से की रिक्त पड़ी नोकरियों की भर्तियां पूरी हो सकें  या उन फाइलों को और अधिक दिन धूल फांकने के लिए नहीं छोड़ा जाएगा , यदि ऐसी कोई व्यवस्था आपकी सरकार ने की है तो हमे भी बताएं जिन्हें आप संदेशवाहक बन बता रहे हैं जगह-जगह घूमकर  सम्भवतः सराहनीय कार्य की प्रशंसा करने तथा मुख्यमंत्री जी के अभिनंदन समारोह में और अधिक लोग पहुंच जाएं ।

बकौल तरविंदर सैनी ( माईकल ) यह सिर्फ ओबीसी वोटबैंक में सेंधमारी है , उन्हें झूठे वायदों के फेर में उलझाए रखना चाहती है ताकि वह अपने हिस्से की रिक्त पड़ी नोकरियों की मांग न करने लगें  क्योंकी बड़े बड़े कॉरपोरेट घरानों की यह सरकार कभी भी ओबीसी वर्ग का भला नहीं चाहती गर ऐसा होता तो सर्वप्रथम बैकलॉग को पूरा करती , ईस वर्ग के युवा बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने की बात करती जिससे उन्हें जीवन जीने में सहूलियतें होती  मगर नहीं इन्हें तो मोर्चेबंदी कर पार्टी का वोटबैंक बढ़ाकर पार्टी का दबदबा और पार्टीफ़ंड बढ़ाने में दिलचस्पी है ।

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