करीब डेढ़ सौ छात्र और एक दर्जन अध्यापक कोविड-19 पॉजिटिव.कोविड-19 की पहल या फिर छात्र और अध्यापकों की कोताही फतह सिंह उजाला अभी तक यही खबरें आ रही थी और सुनी जा रही थी कि इस गांव, इस कस्बे या फिर उस जिले में कोरोना कोविड-19 अपनी घुसपैठ कर चिंता का कारण बन रहा है । कोरोना कोविड-19 के प्रचंड रूप को ही देखते हुए शिक्षा विभाग और सरकार के द्वारा यही फैसला लिया गया था कि जब तक कोविड-19 की स्थिति सामान्य अथवा संतोषजनक ना हो जाए राज्य में सभी शिक्षण संस्थानों को पूरी तरह बंद रखा जाए। हालात किसी हद तक सुधरे और इन दिनों सबसे अधिक मामले जिला गुरुग्राम में ही कोरोना कोविड-19 के सामने आ रहे हैं । इसके विपरीत चैंकाने वाली और हैरान करने वाली बात यह है कि अचानक से कोरोना कोविड-19 स्कूलों में कैसे पहुंच गया ? इससे भी बड़ा सवाल यह है कि स्कूलों में करोना कोविड-19 की एंट्री ऑफलाइन हुई या ऑनलाइन हुई ? जैसे ही किसी हद तक कोरोना कोविड-19 को लेकर हालात काबू में महसूस किए गए तो सरकार के द्वारा सभी हालातों को देखते हुए विद्यार्थियों के आवागमन पर भी छूट प्रदान कर दी गई । यह छूट भी कोरोना प्रोटोकॉल को पूरी तरह पालन करने की शर्त के बाद ही प्रदान की गई । जैसे ही हरियाणा के 2 जिलों में विभिन्न स्कूलों में अनेक छात्रों सहित अध्यापकों के कोरोना कोविड-19 पॉजिटिव होने का मामला सामने आया तो एक बार फिर से बहस का मुद्दा बन गया । इस मामले को लेकर सरकार सहित सत्ता पक्ष को विपक्ष ने अपने निशाने पर ले लिया। इस दौरान सरकार के द्वारा राज्य के विभिन्न जिलों में कुल 271 स्कूलों को बंद करने का फैसला भी किया गया । इनमें 228 प्राइमरी स्कूल और 43 प्राइमरी बताए गए हैं । इन स्कूलों को बंद करने का फैसला अन्य तकनीकी कारणों से किया गया । अब बात करते हैं सीधी कोरोना प्रभावित जिलों के स्कूलों की। इनमें मुख्यतः अहीरवाल के लंदन कहलाने वाले जिला रेवाड़ी और जींद जिला के स्कूल शामिल हैं । यह दोनों जिले आज के हालात में ऐसे हैं जहां गुरुग्राम के मुकाबले कोरोना कोविड-19 के पाॅजिटिव केस की संख्या बहुत कम है । सीधा और सपाट सवाल यही है कि आखिर ऐसे वह कौन से और क्या कारण रहे हैं कि इन जिलों के ही छात्र करोना कोविड-19 की चपेट में आए ? जब कि जो भी स्कूल खुले हुए हैं और वहां जो भी छात्र आ रहे हैं कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया और करवाया जा रहा है । लंबे लॉकडाउन के साथ-साथ करोना कोविड-19 महामारी को देखते हुए स्कूलों में अवकाश के कारण एक प्रकार से छात्र वर्ग और पढ़ाई के बीच में बहुत लंबी दूरी जैसी भी बन गई है। पढ़ाई प्रभावित ना हो उसका विकल्प छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाने के रूप में निकाला गया। जिस अनुपात में छात्र वर्ग की उपस्थिति शिक्षण संस्थानों में होनी चाहिए थी, उस अनुपात में नहीं है । आज भी अनगिनत छात्र ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था सहित सुविधा का लाभ ले रहे हैं । फिर भी विभिन्न स्कूलों में अध्ययनरत छात्रों के साथ साथ अध्यापक वर्ग का कोरोना कोविड-19 पॉजिटिव पाया जाना चिंता के साथ-साथ एक बड़ा सवाल भी सामने बन गया है । अब देखना यही होगा कि जब करोना कोविड-19 ने छात्र और अध्यापकों के जरिए स्कूलों में एंट्री ले ली है तो फिर ऐसे में शिक्षा विभाग और सरकार किस प्रकार से कोरोना कोविड-19 और अधिक छात्र वर्ग के साथ साथ अध्यापकों को भी अपनी चनेट में ना ले सके, इसके लिए क्या और कैसी रणनीति अमल में लाई जाएगी । वैसे यह बात कहने में कोई गुरेज नहीं कि युवा छात्र वर्ग समाज, प्रदेश और राष्ट्र का भविष्य है। Post navigation ओबीसी वर्ग को लुभावनी रेवड़ियां बांट रहे हैं डिप्टी स्पीकर : माईकल सैनी 150 ग्राम गोल्ड ज्वेलरी लूट के पांच आरोपी दबोचे