मामला हेलीमंडी के विवादित तरुण त्रिवेणी वार्ड 7 और 8 परिसर का.
दोपहर एक बजे लगी आग दिन ढले 6 बजे तक निकलता रहा धुंआ

फतह सिंह उजाला

पटौदी ।   नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सख्त और कठोर निर्देश है कि कूड़े करकट के ढेर में आज नहीं लगाई जानी चाहिए।  लेकिन फिर भी दर्जनों ट्रक जितने कूड़े करकट के ढेर में रहस्य में तरीके से आग सुलग गई । लाख टके का सवाल यही है कि यह आग लगी या फिर लगवाई गई ? अब इसका जवाब तो देना ही पड़ेगा । यह मामला हेलीमंडी नगरपालिका के एमआरएफ सेंटर और डंपिंग यार्ड के विवादित स्थल तरुण त्रिवेणी परिसर वार्ड नंबर 7 और 8 का है ।

इस स्थान पर कूड़ा करकट डाले जाने को लेकर पहले ही एसडीएम पटौदी के द्वारा अपनी जांच में साफ-साफ लिखा हुआ है, इस स्थान पर कूड़ा करकट डालने से सार्वजनिक उपद्रव होने की प्रबल संभावना है । लेकिन इसके बावजूद भी इसी स्थान पर हेलीमंडी के विभिन्न इलाकों से कूड़ा करकट लाकर डाला जा रहा है । 2 दिन पहले ही यहां पर कथित रूप से कूड़ा डालने के लिए पालिका द्वारा अधिकृत क्षेत्र से अलग अनुसूचित वर्ग की बस्ती के सामने जेसीबी से गहरे लंबे-चैड़े गड्ढे खोदकर कूड़ा करकट दबाया जाने को लेकर स्थानीय नागरिकों के द्वारा विरोध किया गया। इसके 1 दिन बाद ही बड़े ही रहस्य में तरीके से दर्जनों ट्रक यहां जमा कूड़े करकट के ढेर में रहस्यमय तरीके से आग लग गई । इसकी सूचना तत्काल स्थानीय दमकल विभाग को दी गई और दमकल विभाग के द्वारा सुलगते कूड़े को जैसे-तैसे  बुझाया गया । लेकिन फिर भी दिन ढले तक सुलगते कूड़े करकट के ढेर से धुएं के गुबार निकलते देखे गए ।

कुछ दिन पहले ही हेलीमंडी नगरपालिका के एमई अनिल कुमार की तरफ से लोगों को चेतावनी दी गई थी कि सार्वजनिक स्थल पर कूड़ा ना डालें और ना ही आग लगाए । अवहेलना किया जाने वालों के खिलाफ एनजीटी के दिशा निर्देशों के मुताबिक कार्यवाही सहित जुर्माना भी किया जाएगा । वही अनिल कुमार के द्वारा साफ-साफ कहा गया था कि शहर में कहीं भी पूरा करकट ना डाला जाए और कूड़ा करकट डाला जाने के लिए पालिका प्रशासन के द्वारा तरुण त्रिवेणी परिसर का स्थान निर्धारित किया हुआ है । आज हालात इसके एकदम विपरीत है, हेलीमंडी पालिका क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर पालिका प्रशासन के द्वारा स्वयं ही कूड़ा करकट डाले जाने के लिए प्लास्टिक के डस्टबिन लगाए गए हैं । वही ऐसी भी चर्चा है कि पालिका प्रशासन शहर भर से एकत्रित किए जा रहे कूड़े करकट को शहर से बाहर पहले की तरह बंदवाडी या अन्य किसी डंपिंग यार्ड पर भिजवाने के मामले में पूरी तरह बैकफुट पर आ चुका है । यही कारण रहा है कि अब तरुण त्रिवेणी परिसर में कोरोना जैसी महामारी के साथ-साथ डेंगू और मलेरिया के पांव पसारने के दौरान यहां कूड़े का अंबार बढ़ता चला जा रहा है ।

इस प्रकार की भी चर्चा है कि कूड़े के अंबार का नामोनिशान मिटाने के लिए ही कथित रूप से आग लगाने का खेल रचा गया। अब इस आग लगने अथवा लगाने के खेल में कौन मास्टर माइंड है ? यह भी एक गंभीर और बड़ा सवाल तत्काल जांच का विषय बन गया है। जिस स्थान पर कूड़ा करकट के सड़ांध मारते ढेर का अंबार लगा है , पास में ही अनुसूचित वर्ग की बस्ती के अलावा अन्य काफी लोगों के आवास भी हैं। जिनका जीवन कूड़े करकट की दुर्गंध के कारण नारकीय बना हुआ है , वही आसपास के बस्तियों में डेंगू मलेरिया जैसे रोग के अनेक पीड़ित भी मौजूद  है । स्थानीय निवासियों की जिला उपायुक्त , पटौदी प्रशासन और नगर निगम आयुक्त गुरुग्राम से मांग है कि एसडीएम की रिपोर्ट के मुताबिक तथा एनजीटी की गाइडलाइन के मुताबिक आवासीय बस्ती के आसपास लगाए जा रहे कूड़े के अंबार की समस्या से जल्द से जल्द निजात दिलाई जाए ।

वायरल ऑडियो हुआ चर्चित

इसी पूरे प्रकरण को लेकर एक दिन पहले हुए विवाद के दौरान मौके पर पुलिस तो पहुंची और पुलिस ने मौके पर कूड़ा करकट दबा रहे जेसीबी चालक सहित फरियादियों को पुलिस चैकी पहुंचने के निर्देश दिए। फरियादी उस समय हैरान रह गए कि चालक जेसीबी सहित मौके से ही गायब है । इसी मामले को लेकर फरियादियों और पुलिस के बीच सवाल जवाब भी हुए कि आखिर जैसीबी और चालक कहां गायब हो गया ? वायरल ऑडियो में साफ-साफ सुना जा सकता है कि पुलिस टका सा जवाब दे रही है की जेसीबी को पुलिस ने ही भगा दिया। पुलिस ने तो यहां तक कहा कि, पुलिस चैकी इंचार्ज के ही खिलाफ मुकदमे दर्ज हो रहें हैं। पुलिस अपने खिलाफ कार्यवाही का आप्शन दे रही है, लिख दो कि जेसीबी पुलिस ने भगा दी।

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