चंडीगढ़, 8 अक्तूबर- हरियाणा के चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय,सिरसा के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्राध्यापक डॉ. अमित सांगवान ने कहा कि भारत में कृषि पत्रकारिता के क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। जो लोग इस क्षेत्र में कार्यरत हैं या कैरियर बनाना चाहते हैं उनको व्यवहारिक रूप से दक्ष होने के साथ-साथ अपने लेखन कौशल में भी वृद्धि करनी होगी।
डॉ. सांगवान भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि विस्तार शिक्षण संस्थान,नीलोखेड़ी द्वारा देश भर के कृषि विस्तार प्रोफेशनल्स के लिये आयोजित ऑनलाइन ट्रेनिंग कार्यक्रम में दूसरे दिन बतौर वक्ता के रूप में बोल रहे थे। ‘एग्रीकल्चर जर्नलिज्म फॉर एक्सटेंशन प्रोफेशनल्स’ के लिए आयोजित इस ऑनलाइन ट्रेनिंग में अनेक प्रदेशों के कृषि विस्तार प्रोफेशनल्स ने अपनी प्रतिभागिता दर्ज की।

इस अवसर पर इस ऑनलाइन ट्रेनिंग के समन्वयक डॉ. सुखराम वर्मा ने वक्ताओं का स्वागत किया और बताया की कृषि विस्तार शिक्षण संस्थान नीलोखेड़ी द्वारा क्षेत्रीय निदेशक प्रोफेसर नसीब सिंह के दिशा-निर्देश में यह कार्यक्रम हो रहा है। इस ट्रेनिंग का मुख्य उद्देश्य प्रतिभागियों को कृषि पत्रकारिता के नवीनतम पहलुओं बारे अवगत करवाना और कृषि विस्तार कार्यक्रमों में संचार के महत्व के बारे में संवेदनशील बनाना है।

सिरसा से जुड़े मीडिया एजुकेटर डॉ. सांगवान ने प्रभावशाली मीडिया लेखन विषय पर अपने व्याख्यान में कहा कि लेखन कौशल विकसित करने के लिए सतत् अभ्यास अत्यंत आवश्यक है। एक अच्छा लेखक अध्ययनशील होने के साथ-साथ दूरदर्शी , मनोवैज्ञानिक व समाजशास्त्री भी होता है। वह पाठक की सूचना संबंधी आवश्यकताओं के बारे में भली-भांति जानता है और उसी के अनुसार अपनी लेखनी के माध्यम से इन सूचनाओं की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। उन्होंने कहा की विस्तार प्रोफेशनल्स को भी किसानों की सूचना सम्बन्धी आवश्यकताओं को समझना चाहिये और उपयुक्त जनमाध्यम से ये प्रेषित करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि एक अच्छा लेखक सर्जनशील होता है और वह समाज को एक नई दिशा व दशा प्रदान करता है। यदि कृषि के क्षेत्र में अच्छी रिपोर्टिंग और अच्छा कार्य किया जाता है तो निसंदेह राष्ट्र विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित एग्रीकल्चर एक्सटेंशन ऑफिसर्स द्वारा की जायेगी। उन्होंने प्रिंट मीडिया तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनेक उदहारण दिए और बताया कि किस प्रकार मीडिया के माध्यम से किसानों को सशक्त किया जा सकता है।

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