चंडीगढ़ : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हटाए गए 1983 पीटीआई अध्यापकों को मंगलवार को बड़ी राहत मिली है। इन हटाए गए सभी पीटीआई टीचरों को अब विभाग में एडजस्ट किया जाएगा। यह आश्वासन हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दिया। जिसके बाद पीटीआई टीचर काफी खुश हैं।

क्या था मामला

हरियाणा के 1983 पीटीआई शिक्षकों की आखिरकार नहीं बच सकी थी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासनकाल में नियुक्‍त हुए इन शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट तक गुहार लगाई, लेकिन उनको निराशा ही हाथ लगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इन शिक्षकों की याचिका को खारिज कर उनकी जगह नई नियुक्ति का आदेश देकर उनकी आखिरी उम्‍मीदों को तोड़ दिया था। यह मामला 2012 से चर्चा था। हाईकोर्ट ने इन नियुक्तियां में अनियमितता की बात कहते हुए इन्‍हें रद्द कर दिया था।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में हाईकोर्ट के उस निर्णय को सही ठहराया था, जिसमें हाईकोर्ट ने इन पीटीआई शिक्षकों की भर्ती को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को एक तय समय में इन पदों पर नए सिरे से भर्ती करने का भी आदेश दिया था। हाईकोर्ट की एकल बेंच ने 11 सितंबर 2012 को भर्ती रद करने का फैसला दिया था। इसके बाद 30 सितंबर 2013 को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने भी इस फैसले पर मुहर लगाई थी। इसके बाद प्रभावित शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी।

यह था हाईकोर्ट का आदेश

बता दें कि 11 सितंबर 2012 को हाई कोर्ट के जस्टिस एजी मसीह ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासनकाल में भर्ती 1983 पीटीआइ शिक्षकों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने इस मामले में दायर एक साथ 68 याचिकाओं पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाया था। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने 10 अप्रैल 2010 को फाइनल चयन सूची जारी कर ये नियुक्तियां की थीं। हाईकोर्ट ने कमीशन को निर्देश जारी किए थे कि नियमों के तहत नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू करे और पांच महीने के अंदर इस भर्ती प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि ये नियुक्तियां निर्धारित नियमों के तहत नहीं हुई हैं और इन्हें गैरकानूनी कहलाना गलत नहीं है।

हाईकोर्ट ने इस नियुक्ति प्रक्रिया में आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाया था। हाईकोर्ट ने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान साक्षात्कार होल्ड करवाने वाले आयोग की सिलेक्शन कमेटी के सदस्यों द्वारा कार्यवाहियों में शामिल न होने से आयोग की नकारात्मक छवि को उजागर करता है। हाईकोर्ट ने कहा कि दस्तावेज खुलासा के एक बिंदु से संकेत मिलता है कि ये नियुक्तियां आयोग के निर्धारित नियमों के तहत नहीं हुई है और इन्हें गैरकानूनी कहना गलत नहीं होगा।

खंडपीठ ने इस मामले में कमीशन के कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते यह तक कहा कि बहुसदस्य कमीशन होने के बाद भी कार्यप्रणाली से ऐसा लगता है कि यह सब एक व्यक्ति के कहने से चल रहा है। कोर्ट ने कमीशन के तत्‍कालीन चेयरमैन पर भी प्रतिकूल टिप्पणी की।

कैसे-कैसे उम्मीदवारों का चयन किया गया

चयनित कुछ उम्मीदवार तो ऐसे थे जिन्होने पीटीआई का डिप्लोमा पहले किया व दसवीं बाद में की। कुछ उम्मीदवारों ने चयन के बाद आवेदन फार्म भी जमा करवाया। कुछ के फार्म के साथ फीस जमा नही करवाई गई। इस बात का पूरा रिकार्ड डिवीजन बेंच ने तलब भी किया था और भर्ती पर हैरानी जताई थी। कई दर्जन ऐसे उम्मीदवारों का चयन किया गया, जो योग्यता पूरी नहीं करते थे। दर्जनों उम्मीदवार ऐसे है जो अमरावती या महाराष्ट्र से पीटीआई कोर्स पूरा कर आए थे। उनके प्रमाण पत्र में परिणाम घोषित करने की तिथि के साथ छेड़छाड़ की गई है।

भर्ती में रिजर्व श्रेणी के कई उम्‍मीदवारों का चयन सामान्य श्रेणी में किया गया। एक मामले में तो हैरानी करने वाली बात यह है कि चयनित एक उम्‍मीदवार का परिणाम पहले घोषित कर दिया और उसने फार्म बाद में जमा करवाया। यह भी आरोप था कि महिला के लिए रिजर्व सीट पर पुरूष उम्‍मीदवार का चयन किया गया। एक चयनित उम्‍मीदवार दसवीं में फेल था। एक उम्‍मीदवार ने तो पीटीआई का कोर्स 1995 में किया लेकिन दसवीं 1997 में की।

हाई कोर्ट ने अपील दायर करने पर एचएसएससी व हरियाणा सरकार को लगाया था जुर्माना

एकल बेंच के फैसले के खिलाफ हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने डिवीजन बेंच में अपील दायर की तो उसे खारिज करते हुए कड़ी टिप्‍पणी की थी। हाईकोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत पर आधारित डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि एकल बेंच ने जिन तथ्यों पर यह भर्ती रद्द की है उससे हम पूर्ण रूप से सहमत हैं और हमने पूरा रिकार्ड देखा है जिससे साबित होता है कि यह भर्ती में पूर्ण धांधली हुई है।

बेंच ने इस भर्ती में चयनित उम्मीदवारों के दस्तावेज जांचने में जल्दीबाजी व ओवर ऐज उम्मीदवारों के चयन पर भी सवाल उठाया था और हरियाणा सरकार को भर्तियों में भविष्य में भर्ती में सचेत रहने को कहा। बेंच ने इस मामले में एकल बेंच के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने पर स्टाफ सलेक्शन कमीशन को प्रत्येक अपील पर पचास हजार का जुर्माना, हरियाणा सरकार को प्रत्येक अपील पर दस हजार का जुर्माना व अपील करने वाले उम्मीदवार पर भी दस हजार रूपये जुर्माना लगाया था। अपील करने वाले उम्‍मीदवार ने एकल बैंच पर पक्ष न सुनने का आरोप लगाया था।

भर्ती का क्या था घटनाक्रम

20 जुलाई 2006 को कर्मचारी चयन आयोग ने 1983 पीटीआई की भर्ती के आवेदन मांगे।

21 अगस्त तक आवेदन जमा करने थे, 21 जनवरी 2007 को लिखित परीक्षा का नोटिस।

धांधली की शिकायतें मिलने की बात कहकर परीक्षा को खारिज कर दिया गया।

फिर 20 जुलाई 2008 को परीक्षा तय की गई जिसे प्रशासनिक कारणों का हवाला दे खारिज किया।

इसके बाद पात्रता तय कर पदों से 8 गुणा उम्मीदवार सीधे इंटरव्यू के लिए बुला लिए गए।

2 सितंबर 2008 से लेकर 17 अक्टूबर 2008 तक उम्मीदवारों के इंटरव्यू लिए गए।

पहले इंटरव्यू के 25 अंक तय किए गए थे, वहीं इसे बाद में बदलकर 30 कर दिया गया।

10 अप्रैल 2010 को भर्ती का परिणाम घोषित किया गया। 1983 उम्मीदवारों को नियुक्ति दी गई।

11 सितंबर 2012 को हाईकोर्ट की एकल बेंच ने भर्ती रद की।

30 सितंबर 2013 को हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच ने एकल बेंच के आदेश पर मुहर लगाई।

8 अप्रैल 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया।

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