अब अस्थि विसर्जन की रकम से करेंगे श्मशान भूमि के विकास में सहयोग
हरिद्वार के पंड़ों को देने वाली राशि अब से श्मशान के सुधार में होगी खर्च
फूल चुगने की रस्म के दौरान एकत्र हुई धनराशि से श्मशान में होगा पौधारोपण व सफाई का काम

हिसार। तलवंडी राणा के ग्रामीणों ने अपने श्मशान घाट की सुन्दरता बढ़ाने के लिए ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब ग्रामवासी अस्थि विसर्जन की रस्म से पहले श्मशान भूमि में अस्थि संचय (फूल चुगने की रस्म) के दौरान मृतक के परिजनों एवं ग्रामीणों की ओर से थाली में एकत्र की गई धनराशि को हरिदार में पंड़ों को देने की बजाय अब वो इसे अपने गांव की श्मशान भूमि के विकास में ही खर्च करेंगे। यह फैसला समाजसेवी बलबीर खटाणा की मौत के बाद उनके परिजनों की पहल के बाद सैकड़ों ग्रामीणों ने लिया है। इस दौरान मृतक समाजसेवी बलबीर खटाणा के पुत्रों पहलवान अमरजीत खटाणा, चन्द्रभान एवं रामअवतार खटाणा ने अस्थि संचय (फूल चुगने की रस्म) की रकम के अलावा अपनी तरफ से श्मशान भूमि सुधार समिति को 1100 रुपये का सहयोग भी किया। इस दौरान एकत्र हुई धन राशि से श्मशान भूमि में बुर्जुगों के बैठने के लिए एक दस फूट बाई दो फूटी विशेष कुर्सी बनाई बनेगी। मृतक की फूल चुगने की रस्म के दौरान ही ग्रामीणों ने पूर्व पंच जगदीश रावत एवं वर्तमान पंच बलवंत खटाणा की अगुवाई में यह फैसला लिया गया।
इस दौरान सरपंच प्रतिनिधि ऋषिराम मोलिया, राह संस्था नरेश सेलपाड़, मदन खटाणा, बलवंत खटाणा, चिमन खटाणा, रामसिंह बावता, सारदुल वर्मा, सतबीर रावत, रामजीलाल सुधार, कुलदीप रावत, मगत खटाणा, लीलाराम खटाणा, गुलाब मेघवाल, अमर सिंह तंवर, कृष्ण सैन, धर्मबीर सेन, माईराम चावड़ा, पप्पु बटार, महाबीर बटार, रणबीर रावत, डा. ओमप्रकाश कोहली, राजेश लुहार, रुलीराम खटाणा, उजाला राम वर्मा, माईराम तंवर भारी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद रहे।
इस रकम से हो सकेंगे ये काम

इस दौरान पूर्व पंच जगदीश एवं वर्तमान पंच बलवंत खटाणा ने कहा है अस्थि संचय (फूल चुगने की रस्म) के दौरान पुरुषों एवं महिलाओं द्वारा एकत्र धनराशि का गांव अलग-अलग श्मशान भूमियों की सुन्दरता बढ़ाने, उनमें पौधारोपण करने, फूलों के बीज या पौध खरीदने, पेयजल सुविधाएं बढ़ाने, बागवानी के उपकरण खरीदने, पेड़-पौधों में किटनाशक दवाईयां छिड़कने, श्मशान भूमि में पाईप लाईन बिछाने या सफाई करवाने जैसे काम हो सकेंगे। इसके अलावा श्मशान भूमि में सुविधाएं बढ़ाने के लिए भी यह धनराशि खर्च हो सकेगी।
हवन सामग्री की राख भी पानी में नहीं बहाएंगे:-
एक अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक मामले में गांव तलवंडी राणा के भैरो मंदिर में आयोजित एक कार्यक्रम में पं. संतोष मिश्रा शास्त्री ने भी ग्रामीणों को हवन की राख एवं दूसरी सामग्री नहरों या पानी में नही बहाने की शपथ दिलवाई। इस दौरान पं. संतोष मिश्रा शास्त्री ने कहा कि घरों में होने वाले हवन की राख एवं दूसरी सामग्री नहरों में बहाना पूर्ण रूप से गलत है। यदि किसी जजमान की पूजा के बाद बची हवन राख की किसी भी कारण से बेकद्री होती है, तो उससे यज्ञ/ हवन का पुण्य भी कम हो जाता है। उन्होंने कहा कि हवन की राख एवं दूसरी सामग्री का सबसे बेहत्तरीन उपयोग यही है कि उसे श्मशान भूमि या किसी दूसरे स्थान पर खड़े पेड़-पौधों से दो-तीन फीट की दूरी पर गड्डा खोद कर इसे मिट्टी में दबा दिया जाए।