गुरुग्राम। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं प्रसिद्ध समाजसेवी बोधराज सीकरी का तीन अध्यादेशों को लेकर कहना है कि तीनों ही अध्यादेश किसानों के हित में है। यह बात समझनी होगी। विपक्ष जिस तरह से किसानों को बरगला रहा है, वह सही नहीं है। अध्यादेश को बारीकी से पढ़ें तो पता चलता है कि जो किसान आज तक पूंजीपतियों के हाथों पिसते आए, आज उन किसानों को सरकार ने स्वतंत्र करने का काम किया है।

बोधराज सीकरी का कहना है कि यह अध्यादेश राज्यों के कृषि उत्पाद मार्केट कानूनों के अंतर्गत अधिसूचित बाजारों के बाहर किसानों की उपज के मुफ्त व्यापार की सुविधा देता है। इस अध्यादेश के प्रावधान राज्यों के एपीएमसी एक्ट्स के प्रावधानों के होते हुए भी लागू रहेंगे। इस बदलाव के जरिए किसानों और व्यापारियों को किसानों की उपज की बिक्री और खरीद से संबंधित आजादी मिलेगी। जिससे अच्छे माहौल पैदा होगा और दाम भी बेहतर मिलेंगे। किसानों के नाम पर राजनीति करने वालों को सरकार का यह कदम हजम नहीं हो रहा है।

वहीं, हरियाणा की पहल पर केंद्र सरकार ने हर वर्ष फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य बिजाई सीजन शुरू होने से पहले ही घोषित करने की जो शुरुआत की गई है, वह किसान हित में है। केन्द्र सरकार द्वारा रबी की प्रमुख फसलों जैसे गेहूं, चना, सरसों, जौं, मसूर तथा कुसुम के न्यूनतम समर्थन मूल्यों में 50 रुपये से 300 रुपये तक की वृद्घि की घोषणा किसानों के लिए बड़ी राहत है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करने के लक्ष्य के अनुरूप फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने का स्थायी फॉर्मूला तय कर दिया है। गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य में 50 रुपये की बढ़ोतरी कर 1975 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया गया है।

श्री सीकरी के मुताबिक चने का 4875 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5100 रुपये निर्धारित किया है। सरसों का 4425 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 4650 रुपये किया गया है। जौं का 1525 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1600 रुपये प्रति क्विंटल है, मसूर का 4800 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5100 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है तथा कुसुम का 5215 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5327 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है। उनका प्रदेश-देश के सभी नागरिकों से अपील है कि इसके प्रति लोगों को जागरुक करें। हम सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आभारी हैं, जिन्होंने किसानों के हित की सोची और उसे पूरा करके माइल स्टोन स्थापित किए। अब हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम विपक्ष के बहकावे में ना आकर किसानों को उनके हित की बातों को समझाएं।

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