– जन्म जयंती पर भाजपाइयों ने उन्हें याद किया गुरुग्राम। एकात्म मानववाद और अंत्योदय के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म जयंती पर भाजपा अर्जुन मंडल की ओर से आयोजित कार्यक्रम में भाजपाइयों के साथ समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं हरियाणा भाजपा भवन निर्माण समिति प्रमुख जीएल शर्मा ने शिरकत की तथा अध्यक्षता अर्जुन मंडल अध्यक्षा महेश वशिष्ठ ने की। उपाध्याय जी के चित्र पर पुष्प अर्पित करने उपरांत जीएल शर्मा ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दीनदयाल उपाध्याय जी राजनेता मात्र नहीं थे, वह उच्च कोटि के चिंतक, विचारक और लेखक भी थे। इस रूप में उन्होंने श्रेष्ठ शक्तिशाली और संतुलित रूप में विकसित राष्ट्र की कल्पना की थी। दीनदयाल जी के अनुसार ‘हमारी राष्ट्रीयता का आधार भारत माता है। केवल माता शब्द हटा दीजिए, तो भारत जमीन का टुकड़ा मात्र बनकर रह जाएगा।’ एकात्म मानववाद और अंत्योदय दर्शन के प्रणेता दीनदयाल की आज जयंती है। उनके दिखाए इसी मार्ग पर आगे बढ़ते हुए भाजपा की केंद्र और प्रदेश सरकार इन सिद्धान्तों को संकल्प के रूप में फलीभूत कर रही है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में भी गांव, गरीब के लिए अनेक विकास योजनाएं लागू की। जन धन योजना, आयुष्मान भारत योजना, उज्जवला योजना, जैसी गरीब उत्थान की योजनाओं को धरातल पर उतारा। कोरोना जैसी महामारी में भी सरकार ने गरीबों के कल्याण के लिए हर जरूरी कदम उठाए। जन धन खातों के माध्यम से गरीब परिवारों को सीधे नकद धनराशि पहुंचाई गई, उज्जवला योजना के तहत छह गैस सिलेंडर मुफ्त दिए गए। साथ ही गरीबों के लिए गरीब कल्याण योजना लागू कर मुफ्त दुगना राशन पहुंचाने का काम भी किया। प्रदेश सरकार ने गरीब परिवार की बेटी के विवाह की शगुन राशि बढ़ाई, गरीबों के हित में और भी कई कल्याणकारी योजनाओं को अमलीजामा पहनाया। प्रदेश के हर जिले और ब्लॉक में अंत्योदय सरल केंद्र स्थापित किए। जिनके माध्यम से लोगों को सरकार की योजनाओं की न केवल जानकारी दी जा रही है बल्कि उनका लाभ भी दिलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दीनदयाल जी कठिन परिस्थितियों के बीच धरती पर आए। उन्होंने निजी हित व सुख सुविधाओं का त्याग कर दिया था। व्यक्तिगत जीवन में उनकी कोई महत्वाकांक्षा भी नहीं थी। उन्होंने अपना जीवन समाज और राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। यही बात उन्हें महान बनाती है। राजनीति में लगातार सक्रियता के बाद भी वह अध्ययन व लेखन के लिये समय निकालते थे। आमजन के बीच रहना उन्हें अच्छा लगता था। शायद यही कारण था कि वह देश के आम व्यक्ति की समस्याओं को भलीभांति समझ चुके थे। यह विषय उनके चिंतन व अध्ययन में समाहित था। इनका वह कारगर समाधान भी प्रस्तुत करते थे। जीएल शर्मा ने कहा कि एकात्म मानववाद के रूप में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने भारत की तत्कालीन राजनीति और समाज को उस दिशा में मुड़ने की सलाह दी है, जो सौ फीसदी भारतीय है। एकात्म मानववाद के इस वैचारिक दर्शन का प्रतिपादन पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने मुंबई में 22 से 25 अप्रैल, 1965 में चार अध्यायों में दिए गए भाषण में किया। इस भाषण में उन्होंने एक मानव के संपूर्ण सृष्टि से संबंध पर व्यापक दृष्टिकोण रखने का काम किया था। शर्मा ने कहा कि वे मानव को विभाजित करके देखने के पक्षधर नहीं थे। वे मानवमात्र का हर उस दृष्टि से मूल्यांकन करने की बात करते हैं, जो उसके संपूर्ण जीवनकाल में छोटी अथवा बड़ी जरूरत के रूप में संबंध रखता है। दुनिया के इतिहास में सिर्फ ‘मानव-मात्र’ के लिए अगर किसी एक विचार दर्शन ने समग्रता में चिंतन प्रस्तुत किया है तो वो एकात्म मानववाद का दर्शन है। 25 सितम्बर 1916 को मथुरा जिले के नगला चन्द्रभान ग्राम में जन्में उपाध्याय जी ने 19 वर्ष की अवस्था तक मृत्यु-दर्शन से गहन साक्षात्कार कर लिया था। जीएल ने कहा कि 1937 में जब वह कानपुर से बी०ए० कर थे, अपने सहपाठी बालूजी महाशब्दे की प्रेरणा से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आये। संघ के संस्थापक डॉ० हेडगेवार का सान्निध्य कानपुर में ही मिला। उपाध्याय जी ने पढ़ाई पूरी होने के बाद संघ का द्वितीय वर्ष का प्रशिक्षण पूर्ण किया और संघ के जीवनव्रती प्रचारक हो गये। आजीवन संघ के प्रचारक रहे। संघ के माध्यम से ही उपाध्याय जी राजनीति में आये। 21 अक्टूबर 1951 को डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में ‘भारतीय जनसंघ’ की स्थापना हुई। 1952 में इसका प्रथम अधिवेशन कानपुर में हुआ। उपाध्याय जी इस दल के महामंत्री बने। इस अधिवेशन में पारित 15 प्रस्तावों में से 7 उपाध्याय जी ने प्रस्तुत किये। डॉ० मुखर्जी ने उनकी कार्यकुशलता और क्षमता से प्रभावित होकर कहा- “यदि मुझे दो दीनदयाल मिल जाएं, तो मैं भारतीय राजनीति का नक्शा बदल दूँ।” शर्मा ने कहा कि 1967 तक उपाध्याय जी भारतीय जनसंघ के महामंत्री रहे। 1967 में कालीकट अधिवेशन में उपाध्याय जी भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वह मात्र 43 दिन जनसंघ के अध्यक्ष रहे। 10/11 फरवरी 1968 की रात्रि में मुगलसराय स्टेशन पर उनकी हत्या कर दी गई जिसकी सूचना पर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गयी। उपाध्याय जी ने राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और स्वदेश जैसी पत्र-पत्रिकाएँ प्रारम्भ की। जीएल शर्मा ने कहा कि एकात्म मानववाद मानव जीवन व सम्पूर्ण सृष्टि के एकमात्र सम्बन्ध का दर्शन है। इसका वैज्ञानिक विवेचन पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने किया था। एकात्म मानववाद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मार्गदर्शक दर्शन है। आज भाज वीपा उनके इसी दर्शन से पथ प्रदर्शन लेे आगे बढ़ रही है। आज समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक भी भाजपा विकास कि लौ पहुंचकर दीनदयाल जी को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर रही है। इस मौके पर अर्जुन मंडल अध्यक्ष महेश वशिष्ठ, महामंत्री सोमदत्त वशिष्ठ, महिला मोर्चा मंडल अध्यक्षा नेहा वर्मा, बस्ती राम प्रजापति, ओंकार खुराना, महेंद्र मुनि, नवीन शर्मा, आरपी कौशिक, पवित्रा वशिष्ठ, यशोदा। देवी, शारदा देवी, प्रताप रजावत, पी डी भारद्वाज, विप्र फाउंडेशन के संगठन महामंत्री योगेश कौशिक, आदर्श ब्राह्मण महासभा के राम निवास वत्स, मधु खुराना, राजेश पाठक, जवाहर ग्रोवर, जोगिंदर धनखड़, विजय शर्मा, नरोत्तम वत्स, अनिल अत्री, रमन वर्मा सहित बड़ी संख्या में मंडल कार्यकर्ता उपस्थित रहे। Post navigation तीनों अध्यादेश व न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी बड़ा तोहफा: बोधराज सीकरी चांदनी चौक दिल्ली की तर्ज पर सदर बाजार गुरुग्राम बनेगा वॉक-वे