12 जून 2020.  स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि हरियाणा में गिरते भूजल स्तर पर सुधार के नाम पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जुमलेबाजी करके जड़ों का इलाज करने बजाए पत्तों का इलाज करके वास्तविकता से भाग रहे हैं1

 विद्रोही ने कहा कि विगत 45 वर्षों में हरियाणा में भूजल स्तर 10 मीटर गिरा है1 वही वर्ष 1999 से 2018 के बीच 20 वर्षों में यह भूजल स्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में एक मीटर से 23.36 मीटर तक गिरा है1 जहां फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, पानीपत, सिरसा जिलों में भूजल स्तर साल में 4 बार खेती करने के चलते जरूरत से ज्यादा भूजल स्तर का प्रयोग करने बड़ा कारण है1 जबकि इन जिलों में दक्षिणी हरियाणा की तुलना में 70 से 90त्न ज्यादा नहरी पानी दिया जा रहा है1           

विद्रोही ने कहा कि विगत 20 वर्षों में महेंद्रगढ़ जिले में 23.36 मीटर, रेवाड़ी जिले में 14.24 मीटर, गुरुग्राम में 11.66 मीटर, फरीदाबाद में 9.86 मीटर भूजल स्तर गिरा है1 जिसका मुख्य कारण इन क्षेत्रो को लहरी पानी न देना, कम वर्षा व उद्योगों में भूजल का अंधाधुंध प्रयोग बड़ा कारण है1 दक्षिणी हरियाणा के रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ जिले में वर्षा हर साल में औसतन 300 से 350 मिलीमीटर होती है1 जो जरूरत के अनुसार नग्णय है1 वहीं इन दोनों जिलों में जवाहरलाल नेहरू कैनाल व महेंद्रगढ़ कैनाल से औसतन 500 से 700 क्यूसिक नहरी पानी आता है, जो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है1

विद्रोही ने बताया इस नहरी पानी में भी 150 क्यूसिक पानी तो पेयजल आधारित परियोजनाओं पर खर्च हो जाता है1 वही सौ से डेढ़ सौ क्यूसिक पानी जोहड़-तालाब भरनेने के नाम पर चला जाता है1 खेती की सिंचाई के लिए रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ जिले में 200 से 300 क्यूसिक पानी बचता है जिसका होना या न होना एक समान है1                   

 विद्रोही ने सवाल किया कि एक तरफ मुख्यमंत्री खट्टरजी धान की खेती न करने के नाम पर पानी बचाने का जुमला उछलते हैं1 वहीं दूसरी तरफ केंद्र की मोदी सरकार अध्यादेश जारी करके किसानों को जितनी चाहे, जैसी चाहे फसल बोने का कानूनी अधिकार देती है1 केंद्र के अध्यादेश व मुख्यमंत्री खट्टर जी के धान की फसल न बोने के फरमान के बीच भारी विसंगति है1 वहीं जब तक प्रदेश में उपलब्ध पानी का समान बटवारा नहीं होगा तब तक दक्षिण हरियाणा में भूजल स्तर उठाना बहुत मुश्किल है1

विद्रोही ने कहा वर्षा के पानी की भी दक्षिणी हरियाणा में भूजल स्तर ऊपर उठाने की सभी योजनाएं कागजों तक सीमित है, धरातल पर नाम मात्र का काम हो रहा है1 पंजाब से रावी-ब्यास का पानी एसवाईएल द्वारा लाना मात्र एक सपना है, जो जमीनी धरातल की वास्तविकता से कोसों दूर है1 राजस्थान द्वारा साबी नदी, कृष्णावती, दोहन नदी का पानी बांध बांधकर वर्षों पूर्व रोका जा चुका है1 जिस पानी को भी दक्षिण हरियाणा में लाना मात्र एक सपना है1             

ऐसी स्थिति में विद्रोही ने कहा प्रदेश में उपलब्ध पानी का समान बटवारा ही आज की परिस्थितियों में व्यावहारिक विकल्प है1 प्रदेश में पानी का समान बटवारा तब तक संभव नहीं जब तक भाखड़ा सिस्टम व यमुना सिस्टम को जोड़ा नहीं जाता1 भाखड़ा सिस्टम व यमुना सिस्टम को जोडऩे के लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस सरकार के शासनकाल के दौरान 450 करोड़ रुपए की लागत से बनी हांसी-बुटाना मेन ब्रांच नहर को जब तक अजीमगढ़-कैथल के पास नरवाना-भाखड़ा नहर से नहीं जोड़ा जाएगा तब तक हरियाणा में उपलब्ध नहरी पानी का समान बटवारा संभव नहीं है1

विद्रोही ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से आग्रह किया यदि वे वास्तव में हरियाणा का भूजल स्तर ऊपर उठाने और दक्षिणी हरियाणा को पानी देने के प्रति गंभीर व ईमानदार हैं तो सुप्रीमकोर्ट द्वारा हांसी बुटाना मेन ब्रांच नहर को भाखड़ा नहर से जोडऩे पर लगाए गए स्टे को खत्म करवाने की दिशा में गंभीरता से काम करें1 वह हांसी-बुटाना मेन ब्रांच नहर को भाखड़ा सिस्टम से जोडक़र उसका पानी यमुना सिस्टम में लाकर प्रदेश में नहरी पानी के समान बंटवारे का रास्ता साफ करें1

error: Content is protected !!