कमलेश भारतीय

 महात्मा गाँधी की एक बात हमेशा मन में रहती है कि जो साध्य आप प्राप्त करना चाहते हो , उसका साधन भी पवित्र होना चाहिए । जिस मंजिल को पाना चाहते हो , उस तक पवित्र तरीके से ही पहुंचने का मार्ग अपनाओ लेकिन आजकल हर कोई शाॅर्टकट अपना कर मंजिल पाने की होड़ में है । फिर चाहे संत महात्मा ही क्यों न हो । अभी खबर है कि दिल्ली में शनि महाराज के नाम से चर्चित दाती महाराज ने अपने शनि मंदिर में श्रद्धालुओं के साथ भव्य स्तर पर पूजा की और वीडियो वायरल होने के बाद उन पर लाॅकडाउन की धज्जियां उड़ाने के आरोप में केस दर्ज कर लिया है ।

पहले तो यह दाती एक रेप केस में जमानत पर बाहर है और ऊपर से पूजा का ढोंग क्यों ? यह बाबाओं का खेल जारी क्यों रखती है जनता ? बाबा आसाराम हो या राम रहीम सबके सब नारी उत्पीड़न के बाद ही आसन से जेल तक पहुंचे । बाबा आसाराम ने तो जेल के अंदर रहते भी किसी मुम्बइया अंडरवर्ल्ड डाॅन की तरह पानीपत तक अपने खिलाफ गवाही देने वालों पर गोलियां चलवाईं । ये बाबा हैं या अंडरवर्ल्ड डाॅन ? जनता इन्हें पहचानने में इतनी भूल क्यों कर रही है ?

पूरा सच अखबार और छत्रपति की कलम से डरे बाबा राम रहीम ने उसी पर गोलियां बरसवा दीं और मोगम्बो की तरह खुश हुआ कितने साल तक । आखिर आम भाषा में जब उसके पास का घड़ा भर गया तब सुनारियां जेल की रोटियां खानी पड़ रही हैं । फिर भी कोशिश कोई न कोई बहाना लगा कर जेल से बाहर निकलने की रहती है । कभी मां की बीमारी तो कभी डेरे की खेती की देखभाल । यह बहाने मीडिया चलने नहीं दे रहा । छत्रपति के परिवार की ओर से भी तुरंत विरोध आ जाने से सरकार भी राम रहीम को कोई राहत नहीं दे रही , यह अच्छी बात है ।

दाती महाराज जैसे लोगों को जमानत ही क्यों मिलती है ? नित्यानंद को पहले जमानत दे देते हैं फिर हिमाचल जाकर गिरफ्तार करते हैं और आजकल वह फिर विदेश भाग गया है । ऐसा मौका बार बार क्यों? जितने स्वामियों की चर्चा की जाए कम है । ब्रजेश्वर बाबा को कितनी छूट मिली रही ? यह पूजा का ढोंग क्यों करने दिया गया ? सिर्फ एफआईआर तक ही क्यों रूक गये ? साधारण आदमी लाॅकडाउन तोड़ता है तो कितनी बुरी तरह पुलिस पीटती नजर आती है । दंड बैठक से लेकर बुरी तरह डंडे बरसाये जाते हैं । फिर दाती महाराज को छूट कैसी ? यह हमारा कानून और पुलिस भी कितने चेहरे रखता है । प्लीज । एक ही डंडे से हांक दीजिए न इन बाबाओं को भी ।