गुरूग्राम को स्वच्छता सर्वेक्षण में पीछे ढकेलने वालों पर हो कार्रवाई : हरियाणा को सबसे अधिक रेवेन्यू देने के बाद भी गुरूग्राम को नहीं मिल पा रही सुविधाएं

गुडग़ांव, 21 मई. गुरुग्राम शहर हरियाणा का सबसे बड़ा रेवेन्यू देने वाला जिला होने के बावजूद इस सरकार के लिए कोई मायने नहीं रखता है। कारण यह है कि सबसे अधिक रेवेन्यू देने के बाद भी शहर को वो सुविधाएं नहीं मिल पा रही जो मिलनी चाहिए।

दरअसल देश में हुए स्वच्छता सवेक्षण में सन 2018 में गुरूग्राम 105 रैंक पर था, वर्ष 2019 में यह 83 पे पहुंचा और 2020 में यह दोबारा 133 रैंक पे पहुंच गया। सब इसके बारे में सब बातें कर रहे हैं पर कोई इसका कारण नहीं बता पा रहा है।

नव जन चेतना मंच के संयोजक वशिष्ट कुमार गोयल का आरोप है कि शहर में जिस कंपनी को शहर की गंदीगी साफ करने का ठेका दिया गयसा है उस कंपनी के संचालकों के तार इतने ऊपर तक जुडें हैं कि इस कंपनी लापरवाही पर कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है।

श्री गोयल का कहना है कि ऐसा नहीं है कि यहां के निगम अधिकारियों व सरकार में बैठे नेताओं को कंपनी की लापरवाहियों की जानकारी नहीं है। सभी जानकारी और सैकड़ों शिकायतें फाइलों में दफन हो चुकी है। उनका कहना है की 2019 में निगम आयुक्त यशपाल एवं उपायुक्त वाईएस गुप्ता ने तत्कालीन इकोग्रीन की ऑपरेशन टीम के साथ एक जुट होकर काम किया और जनता को जागरूक कर वह छलांग मारी थी। जिससे एकबार लगने लगा था कि शहर सिर्फ रेवेन्यू में ही नहीं बल्कि सफाई व्यवस्था में भी नंबर वन बन जाएगा। लेकिन इस समय नगर निगम अपने सारे ठेकेदारों से काम लेने में नाकाम साबित हो रहा है।

यह निगम के अधिकारी इकोग्रीन से बंधवारी में रीसाइक्लिंग करवाने में नाकाम रहे और इनकी आंखों के सामने यह कूड़ा रूपी दैत्य खड़ा हो चुका है। जो कभी भी यहां आस-पास के दर्जनों गांवों को प्रभावित कर सकता है। वशिष्ट कुमार गोयल ने निगम अधिकारियों व प्रदेश सरकार से सवाल किया है कि क्या निगम यह बता सकता है कि कितने माक्र्स निगम ने खोये इस स्वछ्ता सर्वेक्षण में, वह भी सिर्फ  कूड़े के रीसाइक्लिंग न हो पाने के कारण। क्या निगम अपने अफ सरों को इकोग्रीन पर सख्त तरीके से काम लेने के लिए आदेश दे सकता है।

क्या इस बात की छान बीन हो सकती है कि कितनी गाड़ी इकोग्रीन के पास कम है। क्या निगम इकोग्रीन से पूछेगा कि कितने कर्मचारी कम हैं उसके पास। जब सोच बनेगी कि हम भी 5 स्टार रेटिंग के लिए काम करेंगे तभी ठेकेदार और निगम अधिकारी सब एक ही दिशा में चल पड़ेंगे। बतादें कि इंदौर हर साल यह कारनामा कर रहा है और अंबिकापुर जैसा शहर गुरुग्राम को मुंह चिड़ा रहा है 5 स्टार रेटिंग लेकर।    

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