अच्छी क्वालिटी के फूलों की पौध कलकता से आती है. आज सीएम के नाम ज्ञापन देंगे फूल उत्पादक किसान फतह सिंह उजालापटौदी। फूलों की खेती के लिए मशहूर नवाबी शहर फर्रुखनगर में जहां एक ओर सरकार परम्परागत खेती को छोड़ बागवानी और फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रेरित कर रही है। वहीं लॉक डाउन के चलते फूलों की खेती करने वाले किसान बर्बादी के कगार पर पहुंच गए है। रविवार को क्षेत्र के दर्जनों किसानों ने छत्तर की ढ़ाणी में बैठक करके सर्व सम्मति से लिया निर्णय । सोमवार को क्षेत्र के दर्जनों किसान मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपेंगे। किसान नेता राव मानसिंह, रामबीर यादव, मास्टर जेपी यादव, मुकेश सैनी, रोशन लाल, शिवचरण सिमार, दीपक यादव, रामपत सैनी, मूला सैनी, श्याम सैनी, जगदीश आदि ने बताया कि सरकार की योजनाओं से प्रेरित होकर क्षेत्र के किसानों ने करीब 200 एकड भूमि पर मोतिया, चमेली, चम्पा, गुलदावरी, गुलाब, गैंदा आदि के फूलों की खेती की तरफ रुख किया। अच्छी क्वालिटी के फूलों की पौध कलकता से आती है। लाखों रुपए खर्च करके किसान एक बार फूलों की पौध लगा कर हर साल गुजारे लायक दिहाडी निकाल लेता है। पौधों में मार्च से फूलों का उत्पादन शुरु होता है। लेकिन वर्ष के मार्च माह में ही कोरोना के चलते लॉक डाउन शुरु कर दिया। तीन चरण पूरा होने से उनकी खेती पूरी तरह से बार्बाद हो गई। प्रति एकड़ एक लाख मुआवजा देंकिसानों की आर्थिक हालत काफी खराब हो गई। उनके पास मजदूरी, बिजली, पानी, कीटनाशाक, निराई, गुडाई आदि के लिए भी रुपए नहीं है। लॉक डाउन के चलते उन्होंने गेंदा के फूलों की खेती से कोई लाभ होने की उम्मीद छोड़ हैरों चला कर उन्हे नष्ट करना पड़ा है। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि फूलों की खेती करने वाले किसानों के या तो सरकार भावांतर योजना के तहत फूलों को खरीद करके इत्र, अगरबती आदि में उपयोग के लिए खरीदे या फिर किसानों को प्रति एकड़ एक लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए। ताकि किसानों के घाटे की भरपाई की जा सके। Post navigation बिहार के मुजफ्फरपुर के लिए दूसरी ट्रेन गुरुग्राम रेलवे स्टेशन से 7:00 बजे रवाना विप्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय परिषद की बैठक संपन्न : कुलदीप वशिष्ठ