वाद को वाद ही रहने दें, विवाद न बनने दें…

– सुशील कुमार ‘नवीन’

हरियाणवी म्यूजिक इंडस्ट्री में इन दिनों गन कल्चर के नाम पर मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा। हाल ही में हरियाणा पुलिस ने गन कल्चर को बढ़ावा देने वाले गानों पर सख्ती दिखाते हुए लगभग दस गानों को यूट्यूब से हटवा दिया है। इनमें से सात गाने एक ही गायक के होने की चर्चा है, जिससे उस गायक के फैंस में रोष है। इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर बयानबाजी का दौर जारी है, जो किसी भी तरह से इंडस्ट्री के लिए शुभ संकेत नहीं है।

गन कल्चर के नाम पर म्यूजिक इंडस्ट्री में हलचल

हरियाणा पुलिस ने मुख्यमंत्री के निर्देश पर गन कल्चर को बढ़ावा देने वाले गानों पर कार्रवाई शुरू की है। अब तक 10 गानों को यूट्यूब से हटाया जा चुका है और बताया जा रहा है कि करीब 100 और गाने भी पुलिस की रडार पर हैं। इस बीच, गायकों के समर्थक सोशल मीडिया पर विरोध कर रहे हैं। एक गायक के गाने हटने के बाद उसके फॉलोवर्स में आक्रोश है।

गायकों के बीच बढ़ता तनाव

सरकार के इस कदम के बाद हरियाणवी संगीत जगत में तनातनी बढ़ गई है। गायक एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी में लगे हुए हैं। सोशल मीडिया पर एक-दूसरे पर कटाक्ष करने और पलटवार करने का सिलसिला जारी है। हालात यह हैं कि कुछ माइक वाले भाई भी इस विवाद में आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। वे एक गायक के बयान के बाद दूसरे के पास जाकर प्रतिक्रिया मांगने लगते हैं। नतीजतन, बयानबाजी का यह सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा।

असली समस्या पर क्यों नहीं हो रही चर्चा?

इस पूरे विवाद का सबसे दुखद पहलू यह है कि गायकों के बीच एक-दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ मची हुई है। अगर एक गायक गन कल्चर को बढ़ावा देने वाला गाना बनाता है, तो दूसरा उसे पीछे छोड़ने के लिए और भी उग्र गाना बना देता है। एक पिस्टल की बात करता है, तो दूसरा बंदूक का जिक्र कर देता है। एक-दूसरे को नीचा दिखाने की यह होड़ कहीं न कहीं म्यूजिक इंडस्ट्री को नुकसान पहुंचा रही है।

सरकार और कलाकार मिलकर निकालें हल

अब सवाल यह उठता है कि समाधान क्या है? वाद को विवाद बनने से कैसे रोका जाए? इसका समाधान सिर्फ सरकार या गायकों के बीच संवाद से ही निकल सकता है। इंडस्ट्री के जिम्मेदार और अनुभवी कलाकारों को आगे आकर आपसी बातचीत का माहौल बनाना चाहिए।

राममेहर महला और रामकेश जीवनपुरिया जैसे कलाकार, जो विवादों से दूर रहते हैं और अपनी कला से हरियाणवी संस्कृति को जीवित रखते हैं, उन्हें इस मुद्दे पर पहल करनी चाहिए। मां-बोली की गरिमा को बनाए रखने के लिए सभी को एकजुट होकर सरकार से चर्चा करनी चाहिए।

गंभीर चिंतन और एकजुटता जरूरी

अगर समय रहते इस विवाद को सुलझाया नहीं गया, तो हरियाणवी म्यूजिक इंडस्ट्री को अपूरणीय क्षति हो सकती है। सरकार को भी सख्ती दिखाने के साथ-साथ संवाद का रास्ता अपनाना चाहिए। वहीं, कलाकारों को अपनी कला को विवादों से दूर रखते हुए सकारात्मक दिशा में ले जाने का प्रयास करना चाहिए।

निष्कर्ष

चाणक्य नीति में कहा गया है – “प्रभूतं कार्यमपि वा तत्परः प्रकर्तुमिच्छति। सर्वारम्भेण तत्कार्यं सिंहादेकं प्रचक्षते।” अर्थात्, छोटा हो या बड़ा, जो भी काम करना चाहें, उसे पूरी शक्ति से करें। इस विवाद को सुलझाने के लिए भी सरकार और गायकों को पूरी ईमानदारी और समझदारी के साथ कदम उठाना होगा। आपसी मतभेदों को दूर कर, एकजुट होकर हरियाणवी म्यूजिक इंडस्ट्री को विवादों से मुक्त रखना ही सबसे बड़ी चुनौती है।

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