चुनावी सुधारों से जानबूझकर भाग रही मोदी सरकार, वोट चोरी की सच्चाई अब संसद में उजागर: वेदप्रकाश विद्रोही

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गृहमंत्री अमित शाह के जवाब ने साबित किया—वोट चोरी कोई आरोप नहीं, कड़वी सच्चाई है”

“राहुल गांधी के तीन अहम सवालों का जवाब देने से क्यों बची भाजपा सरकार?”

“चुनाव आयुक्तों को इम्युनिटी देकर मनमानी की खुली छूट—विद्रोही का आरोप”

चंडीगढ़/रेवाडी, 11 दिसंबर 2025 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने संसद में चुनाव सुधारों पर हुई बहस के बाद केंद्र सरकार और गृहमंत्री अमित शाह पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा सरकार वोट चोरी की खुली दोषी है और संसद में उसका रवैया यह साबित करता है कि निष्पक्ष चुनाव करवाने में उन्हें रत्तीभर भी रुचि नहीं है।

विद्रोही ने कहा कि संसद में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा उठाए गए एक भी सवाल का जवाब न देकर भाजपा सरकार ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि चुनाव आयोग की पारदर्शिता, ईमानदारी और स्वतंत्रता भाजपा सरकार के एजेंडे में है ही नहीं। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह ने वोट चोरी, ईवीएम की संदेहास्पद कार्यप्रणाली और चुनाव आयोग की मनमानी रोकने की दिशा में कोई भी सकारात्मक कदम उठाने से जानबूझकर इनकार किया।

“वोट चोरी कोई आरोप नहीं, भाजपा-चुनाव आयोग की मिलीभगत की जमीनी हकीकत”

विद्रोही ने कहा कि सरकार ने जानबूझकर इस बहस का मजाक बना दिया। भाजपा न तो चुनाव सुधार चाहती है और न ही चुनाव आयोग की गिरती साख को बचाने के लिए कोई ईमानदार कदम उठाना। उन्होंने कहा, “जब मोदी-भाजपा-संघ सरकार चुनाव सुधारों के प्रति गंभीर ही नहीं, तो संसद में यह बहस करवाने का नाटक क्यों किया गया? यह जनता को गुमराह करने और विपक्ष की आवाज़ दबाने की एक और कुटिल चाल है।”

राहुल गांधी के तीन सवालों ने सरकार की पोल खोल दी—पर भाजपा ने जवाब देना जरूरी नहीं समझा

विद्रोही ने बताया कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने तीन बेहद गंभीर और संवेदनशील सवाल उठाए, जिनका जवाब टालकर सरकार ने खुद को कठघरे में खड़ा कर दिया—

  1. चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से सीजेआई को क्यों हटाया गया?
  2. चुनाव आयुक्तों को ऐसी कानूनी इम्युनिटी क्यों दी गई कि वे चाहे जो मनमानी करें, उन पर कोई मुकदमा ना चले?
  3. चुनाव के 45 दिन बाद ही सीसीटीवी फुटेज और डेटा नष्ट करने का कानून बनाकर सरकार आखिर क्या छिपाना चाहती है?

विद्रोही ने कहा कि इन सवालों पर सरकार का मौन यह साबित करता है कि भाजपा चुनावी धांधली को कानून का संरक्षण दे रही है, ताकि जनादेश को मनचाहे तरीके से मोड़ा जा सके।

“जनादेश पर डाका डाल रही भाजपा, चुनाव आयोग बना कठपुतली”

विद्रोही यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि आज चुनाव आयोग भाजपा की जेब में पड़ा हुआ संस्थान बन चुका है, जिसकी विश्वसनीयता और पवित्रता को सरकार ने जानबूझकर नष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा,

“चुनाव आयोग और भाजपा की मिलीभगत से लोकतंत्र को कुचला जा रहा है। जनादेश की चोरी अब संगठित अपराध बन चुकी है, और संसद में भाजपा नेताओं का रवैया इस षड्यंत्र की खुली गवाही है।”

“भारत के लोकतंत्र को ध्वस्त कर, संघी फासीवाद थोपने की कोशिश”

वेदप्रकाश विद्रोही ने चेतावनी देते हुए कहा कि देश में चुपचाप संघी फासीवाद थोपने की तैयारी चल रही है और चुनाव आयोग को इस खेल का सबसे बड़ा औजार बना दिया गया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार कांग्रेस पर पुराने आरोप लगाकर भागने की कोशिश कर रही है, जबकि असली सवालों से बचकर वह यह साबित कर रही है कि धांधली ही उसकी सबसे बड़ी चुनावी रणनीति बन चुकी है।

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Author: Bharat Sarathi

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