वैद्य पंडित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 26 मार्च 2025: श्री दुर्गा देवी मंदिर, पिपली के पीठाधीश एवं हार्मनी ऑकल्ट वास्तु ज़ोन, पिपली के चेयरमैन, ज्योतिष एवं वास्तु आचार्य डॉ. मिश्रा ने बताया कि 30 मार्च 2025, रविवार से नया संवत्सर 2082, सिद्धार्थी नाम से आरंभ होने जा रहा है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना भी इसी दिन की थी। इसी तिथि से नवरात्रि व्रत का शुभारंभ भी होता है।
संवत 2082 में राजा और मंत्री दोनों सूर्य होंगे, जिससे भारत की आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक उन्नति के संकेत मिलते हैं। नवसंवत्सर के राजा सूर्य होने के कारण देश को तकनीकी क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां मिलेंगी, वहीं मंत्री सूर्य होने से देशभक्ति की भावना प्रबल होगी और धन-धान्य में वृद्धि होगी।
संवत्सर पूजन एवं नवरात्रि साधना के लाभ
रविवार को प्रातः स्नान के बाद संवत्सर पूजन, घटस्थापना, पंचदेव पूजन और श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। श्रद्धालु अपने पूजा स्थान पर नवार्ण मंत्र और विशेष मंत्रों का जप करें। गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ने भी माँ दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की थी, जो मुख्य रूप से “चंडी दी वार” के रूप में प्रसिद्ध है।
30 मार्च से 6 अप्रैल 2025 तक विशेष नवरात्रि व्रत रहेगा, जिसमें माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना महोत्सव एवं भगवान राम का जन्मोत्सव भी चैत्र नवरात्रि के अंतर्गत मनाया जाएगा।
नवरात्रि में विशेष साधनाएं
हर नवरात्रि के दिन माँ दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा का विशेष महत्व है:
- पहला दिन (माँ शैलपुत्री): माँ दुर्गा के बालिका स्वरूप की पूजा होती है। इस दिन सफेद वस्त्र पहनकर घी का भोग अर्पित करें।
- दूसरा दिन (माँ ब्रह्मचारिणी): इस दिन हरा वस्त्र पहनकर माँ को शक्कर का भोग लगाएं।
- तीसरा दिन (माँ चंद्रघंटा): दूध या खीर का भोग अर्पित करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- चौथा दिन (माँ कूष्मांडा): नारंगी वस्त्र धारण कर माँ को मालपुए का भोग अर्पित करें, जिससे रोगों से मुक्ति मिलती है।
- पाँचवां दिन (माँ स्कंदमाता): उजले वस्त्र धारण कर माँ को केले का भोग अर्पित करें।
- छठा दिन (माँ कात्यायिनी): लाल वस्त्र धारण कर शहद का भोग अर्पित करें, जिससे माँ का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- सातवां दिन (माँ कालरात्रि): नीला वस्त्र धारण कर गुड़ का भोग अर्पित करें और ब्राह्मणों को दान करें।
- आठवां दिन (माँ महागौरी): गुलाबी वस्त्र पहनकर नारियल का भोग अर्पित करें, जिससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
- नौवां दिन (माँ सिद्धिदात्री): बैंगनी वस्त्र धारण कर तिल का भोग अर्पित करें।
नवरात्रि के इन नौ दिनों में माँ दुर्गा की विधिपूर्वक आराधना करने से साधक को सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।