गुरुग्राम और फरीदाबाद में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार, एडवांस लिया लेकिन कोई हिसाब नहीं!
चंडीगढ़, 24 मार्च – हरियाणा में भ्रष्टाचार का एक और बड़ा मामला सामने आया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार दावा तो करती है कि उसने भ्रष्टाचार पर काबू पाया है, लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट है – भ्रष्टाचार कम होने की बजाय बढ़ रहा है।
निकायों में फैला भ्रष्टाचार: 1400 करोड़ रुपये की अनियमितता
कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा के 62 शहरी निकायों में 1400 करोड़ रुपये की गड़बड़ी सामने आई है। नगर निगमों के अधिकारियों ने कामकाज के लिए एडवांस लिया, लेकिन इसका कोई हिसाब या सबूत तक नहीं दिया।
सबसे ज्यादा घोटाले गुरुग्राम और फरीदाबाद नगर निगमों में हुए हैं – फरीदाबाद नगर निगम में 781.75 करोड़ रुपये का बकाया
गुरुग्राम नगर निगम में 403.86 करोड़ रुपये की अनियमितता
यह चौंकाने वाली गड़बड़ी किसी बाहरी जांच एजेंसी ने नहीं, बल्कि हरियाणा विधानसभा की शहरी स्थानीय निकाय एवं पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित समिति ने पकड़ी है।
निकायों में भ्रष्टाचार की गूंज, लेकिन कार्रवाई क्यों नहीं?
कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा के नगर निकाय भ्रष्टाचार की खान बन चुके हैं।
हर दस्तावेज और हर फाइल से भ्रष्टाचार की बू आती है।
अब तक कई घोटाले सामने आ चुके हैं, लेकिन किसी को भी सजा नहीं मिली।
भ्रष्टाचार उजागर होते ही दोषियों को बचाने की कवायद शुरू हो जाती है।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में नए मेयरों के पद संभालने से पहले ही 10 नगर निगमों में भारी वित्तीय घोटाले सामने आ गए हैं।
क्या होनी चाहिए कार्रवाई?
कुमारी सैलजा ने कहा कि सरकार को इसकी न्यायिक जांच करवानी चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
ऐसा दंड दिया जाए कि भविष्य में कोई अधिकारी या नेता इस तरह के घोटाले की हिम्मत न कर सके।
उन्होंने मांग की कि प्रदेश की सभी नगर पालिकाओं, नगर परिषदों और नगर निगमों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, जिससे यह पता चले कि भ्रष्टाचार का असली मास्टरमाइंड कौन है।
देश का सबसे बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है!
विधानसभा समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2018-19 में भी शहरी स्थानीय निकायों में 1,316.40 करोड़ रुपये की अनियमितता पाई गई थी।
संपत्ति कर, भवन योजना आवेदन, बकाया प्रमाण पत्र जैसे महत्वपूर्ण सरकारी अभिलेख कई वर्षों से ऑडिट के लिए प्रस्तुत तक नहीं किए गए।
यह लापरवाही नहीं बल्कि सुनियोजित भ्रष्टाचार है।
अगर सरकार सभी निकायों की पूरी तरह से जांच कराए, तो देश का सबसे बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है।
निष्कर्ष
हरियाणा के 62 निकायों में 1400 करोड़ रुपये की वित्तीय गड़बड़ी उजागर हुई।
गुरुग्राम और फरीदाबाद नगर निगम सबसे बड़े भ्रष्टाचार के केंद्र बने।
भ्रष्टाचार को उजागर करने वाली रिपोर्ट खुद विधानसभा समिति ने जारी की।
सरकार को इसकी न्यायिक जांच कर दोषियों को कड़ी सजा देनी चाहिए।
अब सवाल उठता है – क्या हरियाणा सरकार इस घोटाले पर चुप्पी तोड़ेगी, या हमेशा की तरह इसे दबाने की कोशिश करेगी?