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गुरुग्राम, 1 मार्च 2025 – गुड़गांव ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास (JMFC) मुकेश कुमार की अदालत द्वारा जारी समन के बावजूद एसडीएम आफिस बादशाहपुर से अधिकारी खाली हाथ हाजिर हुए। यह मामला एडवोकेट मुकेश कुल्थिया की शिकायत पर दर्ज आपराधिक मुकदमे COMI-739/2024 से जुड़ा है, जिसमें एसडीएम बादशाहपुर अंकित कुमार चौकसे, ट्रांसपोर्ट कमिश्नर हरियाणा यशेन्दर सिंह एवं सुपरिंटेंडेंट वरिंदर शर्मा के खिलाफ फर्जीवाड़े और गैरकानूनी पाबंदियों को लेकर केस दायर किया गया था।

क्या है मामला?
एडवोकेट मुकेश कुल्थिया की शिकायत के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों में फर्जीवाड़ा कर गरीब जनता की मौजूदा गाड़ियों पर गैरकानूनी पाबंदी लगाई जा रही है, ताकि नई गाड़ियों की बिक्री को बढ़ावा दिया जा सके। इस घोटाले का हिस्सा बनते हुए एसडीएम बादशाहपुर अंकित कुमार चौकसे ने 5 वर्ष पुरानी गाड़ियों का बादशाहपुर, गुरुग्राम में हस्तांतरण पूरी तरह से बंद कर दिया।

कई बार समझाने और कानूनी नोटिस भेजने के बावजूद न तो एसडीएम बादशाहपुर और न ही ट्रांसपोर्ट कमिश्नर यशेन्दर सिंह ने इस मुद्दे पर कोई संज्ञान लिया। मजबूर होकर एडवोकेट मुकेश कुल्थिया को अदालत का सहारा लेना पड़ा और उन्होंने गुड़गांव मजिस्ट्रेट कोर्ट में आपराधिक मुकदमा दायर किया।

कोर्ट का कड़ा रुख, लेकिन प्रशासन की लापरवाही जारी
गुड़गांव JMFC मुकेश कुमार की कोर्ट ने मामले पर संज्ञान लेते हुए ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ऑफिस हरियाणा, चंडीगढ़ एवं एसडीएम ऑफिस बादशाहपुर को दो बार समन जारी किए।

इसके बावजूद जब अधिकारी अदालत में पेश हुए, तो वे खाली हाथ पहुंचे और कोई ठोस दस्तावेज या स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं किया। कोर्ट के आदेश गुड़गांव कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।

क्या होगा अगला कदम?
अगर प्रशासन इस मुद्दे पर जल्द कार्रवाई नहीं करता, तो एडवोकेट मुकेश कुल्थिया आगे की कानूनी कार्यवाही करने के लिए तैयार हैं। अब यह देखना होगा कि न्यायालय इस लापरवाही पर क्या सख्त कदम उठाता है और क्या गुरुग्राम प्रशासन पर कानूनी शिकंजा कसता है।

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