कब से कब तक हैं श्राद्ध, कौन कर सकता है, क्या और किसे खिलाएं, बता रहे पंडित जी

अशोक कुमार कौशिक 

श्राद्ध पक्ष यानी पितृ पक्ष अपने पितरों को याद करके उनके प्रति श्रद्धा भाव प्रदर्शित करना है। साथ ही अपनी नई पीढ़ी को प्राचीन वैदिक-पौराणिक संस्कृति से परिचित कराने का पर्व है। यह करना इतना प्रभावी है कि पित्रों का श्राद्ध करने से जन्म कुंडली में होने वाले पितृदोष से भी हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है। इस बार श्राद्ध कब से कब तक हैं, इन्हें कौन कर सकता है, श्राद्ध वाले दिन क्या बनाएं और किसे खिलाएं, महिलाएं या कन्या श्राद्ध कर सकती हैं या नहीं, जिनके संतान नहीं उनका श्राद्ध कौन कर सकता है, ज्योतिषाचार्य पंडित पुष्कर दत्त शर्मा रामपुरा (नावदी) वाले ने श्राद्ध पक्ष से जुड़े कई सवालों के जबाव ज्योतिष और सनातन धर्म के अनुरूप दिए हैं।

17 सितंबर से होंगे श्राद्ध शुरू

ज्योतिषाचार्य पंडित पुष्कर दत्त शर्मा ने बताया कि इस बार भाद्रपद शुक्ल पक्ष पूर्णिमा 17 सितम्बर दोपहर 11:44 से अश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या 2 अक्टूबर 2024 तक श्राद्ध पक्ष रहेगा। पूर्णिमा 17 सितंबर को दोपहर 11:44 से प्रारंभ होगी, जो 18 सितंबर की सुबह 08: 03 मिनट तक रहेगी। श्राद्ध मध्यान्ह का विषय है, इसलिए पूर्णिमा का श्राद्ध 17 सितंबर को ही माना जाएगा और प्रतिपदा पड़वा का श्राद्ध 18 सितंबर को माना जाएगा।

ये हैं श्राद्ध तिथियां

* पूर्णिमा का श्राद्ध 17 सितंबर * प्रतिपदा पड़वा श्राद्ध 18 सितंबर * द्वितीया श्राद्ध 19 सितंबर * तृतीय श्राद्ध 20 सितंबर

* चतुर्थी श्राद्ध 21 सितंबर भरणी श्राद्ध पंचमी श्राद्ध 22 सितंबर * षष्ठी श्राद्ध 23 सितम्बर * सप्तमी श्राद्ध 24 सितम्बर

* अष्टमी श्राद्ध 25 सितंबर जितिया श्राद्ध * मातृ नवमी 26 सितंबरसुहागन मृत स्त्रियों का श्राद्ध * दशमी श्राद्ध 27 सितम्बर

* एकादशी श्राद्ध 28 सितंबर * द्वादशी श्राद्ध 29 सितंबर संन्यासियों के लिए श्राद्ध * त्रयोदशी श्राद्ध 30 सितंबर

* चतुर्दशी श्राद्ध 01अक्टूबर शस्त्र, विष, जीव-जंतुओं के काटने से अल्प मृत्यु वालों के लिए श्राद्ध

* पितृ विसर्जन 02अक्टूबर अज्ञात, भूले बिछड़े वालों का श्राद्ध

ये है महापर्व

पंडित पुष्कर दत्त शर्मा ने बताया कि इसे महापर्व बोला जाता है। नौदुर्गा महोत्सव नौ दिन का व दशहरा पर्व दस दिन का होता है। पितृ पक्ष सोलह दिनों तक चलता है।

इन दिनों पूर्वज रहते हैं परिजनों के निकट

उन्होंने बताया कि पितृ पक्ष में हमारे पूर्वज मोक्ष प्राप्ति की कामना लिए अपने परिजनों के निकट अनेक रूपों में आते हैं। पितरों के प्रति श्रद्धा, कृतज्ञता व उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है। उनसे जीवन में खुशहाली के लिए आशीर्वाद की कामना की जाती है।

कब और कौन करे श्राद्ध

उन्होंने बताया कि माता-पिता, दादा-दादी आदि की मृत्यु हो, उन 16 दिनों में उसी तिथि पर श्राद्ध करना चाहिए। पूर्वजों के पुत्र या पौत्र द्वारा श्राद्ध किया जाता है तो पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्रीमद भागवत् गीता या भागवत पुराण का पाठ अति उत्तम है। श्राद्ध दोपहर 12 बजे के लगभग करना ठीक माना जाता है। किसी सरोवर, नदी, घर पर किया जा सकता है। अपने पितरों के आवाहन के लिए भात, काले तिल व घी का मिश्रण करके पिंड दान व तर्पण किया जाता है। बाद में विष्णु व यमराज की पूजा-अर्चना की जाती है।

तीन पीढ़ी पूर्व तक की पूजा, ये खिलाएं और यह करें

उन्होंने बताया कि अपनी तीन पीढ़ी पूर्व तक के पूर्वजों की पूजा करनी चाहिए। ब्राह्मण को घर पर बुलाकर पूजा करवाने के बाद अपने पूर्वजों के लिए बनाया गया भोजन खिलाएं। पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों के लिए कद्दू की सब्जी, दाल-भात, पूरी व खीर बनाना शुभ माना जाता है। पूजा के बाद पूरी व खीर सहित अन्य सब्जियां एक थाली में सजाकर गाय, कुत्ता, कौवा और चींटियों को देना चाहिए। ब्राह्मण को दक्षिणा, फल, मिठाई और वस्त्र आदि दिया जाता है। चरण स्पर्श कर आशीष लेना चाहिए।

यह न करें

श्राद्ध पक्ष में किसी से गलत नहीं बोलना चाहिए, ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए, गुस्सा नहीं करना चाहिए। घर पर लहसुन, प्याज, मांसाहार, नशे का सेवन नहीं करना चाहिए।

पूर्वज के मृत्यु की सही तिथि न पता हो तो

यदि माता-पिता, दादा-दादी इत्यादि के मृत्यु की सही तिथि का ज्ञान नहीं हो तो इस अंतिम दिन यानी अमावस्या पर उनका श्राद्ध करना सही होता है।

ऑनलाइन श्राद्ध

ऑनलाइन कोर्स, शोपिंग की तरह अब ऑनलाइन श्राद्ध भी होने लगे हैं। विदेश या बहुत दूर रहने पर श्राद्ध करने के लिए ब्राह्मण से संपर्क साधा जाता है। पूजा, श्राद्ध के भोजन, ब्राह्मण के लिए कपड़े, दक्षिणा आदि के रूपयों ऑनलाइन भेज दिए जाते हैं। ब्राह्मण खाने की चीजें बनावाकर या खरीद कर श्राद्ध प्रक्रिया और पूजा पूरी करता है। गाय, कुत्ता, कौवा और चींटियों को भोज्य पदार्थ खिलाता है। उसके बाद दूर बैठे परिजन भोजन करते हैं। ब्राह्मण पूजा आदि को ऑनलाइन दिखाता भी है।

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