… पटौदी में कांग्रेस क्या हार की है ट्रिक बनाएगी या फिर !

125 गांव और 42 दावेदार मतलब प्रत्येक तीसरे गांव से एक दावेदार

लोगों में जिज्ञासा पॉलिटिक्स की पिच पर क्या खिलाड़ी बदला जाएगा

कांग्रेस को पटौदी में 2014 में 15652 और 2019 में 18994 वोट मिले

फतह सिंह उजाला 

पटौदी । हरियाणा में राजनीति के समीकरण और माहौल को देखते हुए स्पष्ट है की मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच में ही होना है । हरियाणा में चुनाव का कार्यक्रम चुनाव आयोग के द्वारा घोषित भी किया जा चुका है । आरक्षित विधानसभा क्षेत्र पटौदी में वर्ष 2009 से लेकर 2014 और 2019 में भी कांग्रेस को यहां कामयाबी नहीं मिल सकी है । 2014 और 2019 की बात की जाए तो कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद चिंताजनक कहा जा सकता है।

लोकसभा चुनाव में आरक्षित पटौदी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस और कांग्रेस के उम्मीदवार राज बब्बर को मिले यहां के वोट और जन समर्थन उम्मीद से बेहतर कहा जा रहा है। इसका मुख्य कारण है पटौदी विधानसभा क्षेत्र केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का मजबूत राजनीतिक गढ़ है । एक या दो अपवाद को छोड़कर पटौदी क्षेत्र से जितने भी विधायक बने हैं, उनके चुने जाने में परोक्ष अथवा अपरोक्ष रूप से राव इंद्रजीत सिंह का दखल ठहराया जाता है । 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को पटौदी में 15652 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहना पड़ा। इसके बाद 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को चौथे स्थान पर रहते हुए 18994 वोट प्राप्त हुए । आजाद उम्मीदवार नरेंद्र पहाड़ी 24 000 तथा जननायक जनता पार्टी 19000 से अधिक वोट लेने में सफल रही।

पिछले दो विधानसभा चुनाव में तीसरे और चौथे स्थान पर कांग्रेस पार्टी के रहने को देखते हुए लोगों के बीच जिज्ञासा बनती जा रही है, क्या कांग्रेस पार्टी पटौदी में हार की हैट्रिक बनाएगी ? या फिर यहां विधानसभा चुनाव की पिच पर किसी नए खिलाड़ी को हार की हैट्रिक रोकने का जिम्मेदारी सौंप जाएगी। लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के पक्ष में लहर और माहौल को देखते हुए पटौदी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस टिकट के लिए 42 टिकट के दावेदारों के द्वारा आवेदन किया गया है । पटौदी क्षेत्र में 125 गांव है , कांग्रेस टिकट के 42 दावेदार देखते हुए कहा जा सकता है कि प्रत्येक तीसरे गांव से कांग्रेस टिकट का एक दावेदार अपनी दावेदारी चुनाव के लिए प्रस्तुत कर रहा है। दावेदारी किया जाना और चुनाव के मैदान में गंभीरता के साथ चुनावी पारी को खेलना दोनों ही अलग और चुनौती पूर्ण होते हैं। आम लोगों के बीच अब यही जिज्ञासा है कि कांग्रेस पार्टी के द्वारा कब तक और किसको टिकट देकर अपना उम्मीदवार बनाया जाएगा।

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