बागवानी को बढ़ावा देने के लिए गांव फूलकां में खोला जाए बागवानी विवि का क्षेत्रीय संस्थान : कुमारी सैलजा

कौशल प्रशिक्षण क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना से किसानों और युवाओं को सबसे ज्यादा लाभ

चंडीगढ़, 16 अगस्त। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने केंद्रीय ग्रामीण विकास, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर कहा है कि सिरसा और फतेहाबाद जिला बागवानी में हरियाणा ही नहीं उत्तर भारत में प्रमुख फल उत्पादक जिलों में आते है। सिरसा जिला के गांव फूलकां में सौ एकड़ भूमि पड़ी है और उसमें विशाल भवन बना हुआ जो कभी कुरूक्षेत्र विवि का क्षेत्रीय केंद्र होता था वहां पर महाराणा प्रताप बागवानी विश्व विद्यालय करनाल, या आईसीएआर भारतीय बागवानी संस्थान का क्षेत्रीय संस्थान और कौशल प्रशिक्षण क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना की जा सकती है जिससे दोनों ही जिलों के किसानों और युवाओं को लाभ होगा। क्षेत्र में बागवानी और सब्जी उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे पत्र में कुमारी सैलजा ने कहा है कि सिरसा और फतेहाबाद जिले बागवानी में हरियाणा में अग्रणी जिले है जहां पर भारी मात्रा में फल, अमरूद, किन्नू, बेर, आंवला और सब्जियों की पैदावार होती है।

उन्होंने पत्र में लिखा है कि जिला फतेहाबाद और सिरसा में बागवानी की प्रमुखता के बावजूद, इस क्षेत्र में विशेष शिक्षा और कौशल विकास में एक उल्लेखनीय अंतर है। वर्तमान में कृपक परिवारों के छात्रों को चिकित्सा, वाणिज्य या मानविकी जैसे असंबंधित शैक्षणिक धाराओं को आगे बढ़ाने के लिए मजबूर किया जाता है। ये क्षेत्र उनकी व्यावहारिक जरूरतों या कृषि में भविष्य के कैरियर की संभावनाओं के अनुरूप नहीं है। मौजूदो संस्थानों को सीमित क्षमता हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) और करनाल और हिसार में अन्य बागवानी संस्थान मूल्यवान शिक्षा प्रदान करते हैं, उनकी क्षमता इन दो जिलों के इच्छुक छात्रों की बढ़ती संख्या को समायोजित करने के लिए अपर्याप्त है। यह भौगोलिक दूरी और सीमित प्रवेश प्रासंगिक शिक्षा तक पहुंचने की चुनौती को बढ़ाता है।

उन्होंने कहा है कि स्थानीय कौशल विकास सिरसा के गांव फूलकां में बागवानी विज्ञान अध्ययन और कौशल प्रशिक्षण क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना से स्थानीय बागवानी प्रथाओं और आवश्यकताओं के अनुरूप विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाए तो इससे छात्रों को प्रासंगिक कौशल और ज्ञान प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जिससे उनके परिवारों और क्षेत्र के कृषि क्षेत्र को सीधे लाभ होगा। उन्होंने कहा है कि बागवानी में बढ़े हुए शैक्षिक अवसर स्थानीय नवाचार और उत्पादकता को बढ़ावा देने पर इन जिलों के आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा। इससे शिक्षा क्षेत्र और संबंधित उद्योगों में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। हमारे क्षेत्र में बागवानी के महत्व और वर्तमान शैक्षिक कमी को देखते हुए, फूलकां गांव में एक समर्पित बागवानी विज्ञान अध्ययन और कौशल प्रशिक्षण क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना एक महत्वपूर्ण कदम होगा। प्रदेश में सिरसा 20 प्रतिशत फल उत्पादन के साथ पूरे हरियाणा में पहले स्थान पर है। कुमारी सैलजा ने कहा है कि उन्हें आशा हैं कि उनके इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने और इस दृष्टिकोण को साकार करने के लिए आवश्यक निर्देश देंगे, जिससे हरियाणा में स्थानीय समुदाय और बागवानी क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।

सिरसा और फतेहाबाद में किन्नू और अमरूद का होता है सबसे अधिक उत्पादन

उन्होंने कहा है कि सिरसा जिला में 1552.4 हेक्टेयर में अमरूद, 12696.30 हेक्टेयर में किन्नू, 273 हेक्टेयर में बेर, 221 हेक्टेयर में आंवला, इसी प्रकार फतेहाबाद जिला में 859.20 हेक्टेयर में अमरूद, 1288.50 हेक्टेयर में किन्नू, 90 हेक्टेयर में बेर और 38 हेक्टयेर में आंवला होता है। किन्नू और अमरूद उत्पादन में दोनों ही जिले प्रमुख स्थान रखते हे जबकि किन्नू उत्पादन में सिरसा और फतेहाबाद की गिनती उत्तर भारत के प्रमुख फल उत्पादक जिलों में होती है। सिरसा के गांव फूलकां में महाराणा प्रताप बागवानी विश्व विद्यालय करनाल, या आईसीएआर भारतीय बागवानी संस्थान का क्षेत्रीय संस्थान और कौशल प्रशिक्षण क्षेत्रीय केंद स्थापित करने से बागवानी को और अधिक बढ़ावा मिलेगा तथा फलों की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। साथ ही दोनों ही जिलों के किसानों और युवाओं को लाभ होगा।

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