मुश्किल का सबक बनेंगे किसान, पहलवान, जवान व बेरोजगार अशोक कुमार कौशिक पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल के गढ़ रहे भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में एक तरफ पारा 45 डिग्री को पार कर रहा है तो दूसरी तरफ रोज नई उंचाई छू रहे सियासत के तापमान से भी कोई अछूता नहीं है। इस क्षेत्र के लोगों ने हरियाणा में हुए बड़े आंदोलनों में शिद्दत से भागीदारी की है। जाटलैंड और अहीरवाल के मिश्रण वाले इस क्षेत्र के लोगों का दिल महिला पहलवानों के साथ अन्याय पर रोया है। अग्निवीर के खिलाफ युवाओं के गुस्से की तपिश भी यहां महसूस की गई थी। किसान आंदोलन में भागीदारी में भी यहां के लोग आगे थे। बेरोजगारों की बारात भी यहां निकल चुकी है। 10 साल से केंद्र और राज्य की सत्ता में काबिज बीजेपी से यहां का मतदाता कठिन सवाल पूछ रहा है। ग्रामीण मतदाताओं की बहुलता वाले इस लोकसभा क्षेत्र के गावों में बीजेपी की मुश्किलें कहीं ज्यादा हैं। बेशक, शहरों में बीजेपी थोड़ी राहत की सांस ले सकती है। भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा के 9 विधानसभा क्षेत्रों में 4 महेंद्रगढ़, नारनौल, अटेली और नांगल चौधरी अहीर बाहुल्य तो लोहारू, चरखी दादरी, बाढड़ा, तोशाम और भिवानी जाट और सैनिक बाहुल्य हैं। भारतीय जनता पार्टी ने यहां से अनिच्छा के बावजूद चौधरी धर्मबीर सिंह को लगातार तीसरी बार उम्मीवार बनाया है। वहीं कांग्रेस ने इस बार नया प्रयोग करते हुए अहीरवाल से आने वाले और महेंद्रगढ़ से वर्तमान विधायक राव दान सिंह को प्रत्याशी बनाया है। चौधरी धर्मवीर की अनिच्छा के बावजूद उन्हें टिकट देने पर भी लोग सवाल कर रहे हैं। जजपा ने कांग्रेस छोड़कर आने वाले राव बहादुर सिंह को उम्मीदवार बनाया है। यहां लोगों के बीच हर वह सवाल चुनावी मुद्दा है, जो लोगों की जिंदगी से जुड़ा है। जातीय गुणा-भाग भी लोग खूब लगा रहे हैं। चरखी दादरी में रामप्रकाश हलवाई कहते हैं कि धर्मवीर की इच्छा न होने के बावजूद उन्हें टिकट मिलना ही बीजेपी को यहां भारी पड़ने वाला है। जातीय गणित भी यहां लोगों के पास खूब है। वे कहते हैं कि इस बार 80 प्रतिशत जाट वोट कांग्रेस का है। इस सीट के लिए कांग्रेस के लिए अहीर वोट निर्णायक रहेंगे कि वह किसके पक्ष में लामबंद होते हैं। इसके साथ राजपूत समुदाय की भाजपा से नाराजगी क्या गुल खिलाएगी यह देखने वाली बात होगी। दलित भाईचारे के वोट भी बहुतायत में वह कांग्रेस की तरफ जाने की बात करते हैं। वहीं खड़े राजू धानक इस बात की तस्दीक करते हैं। आकोदा गांव में चार लोग चुनाव पर चर्चा कर रहे हैं। इनमें एक किसान, एक पूर्व सैनिक, एक टैक्सी चालक (सभी हिंदू समुदाय से) और एक मुस्लिम किसान शामिल हैं। लेकिन ‘बंटवारा’ करने वाले चुनाव प्रचार के बीच यहां सभी लोग आपस में मोहब्बत के साथ रहते हैं। हालांकि इन सभी का राजनीतिक नजरिया अलग-अलग है और उनके पास इसकी वजह भी है। कांग्रेस प्रत्याशी राव दान सिंह की जीत का दावा जाट समुदाय से संबंध रखने वाले और खेती किसानी करने वाले तेजपाल कहते हैं कि लोग बदलाव चाहते हैं। वह दावा करते हैं कि यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार राव दान सिंह यहां के मौजूदा सांसद और बीजेपी के उम्मीदवार धर्मबीर चौधरी को टक्कर दे रहे हैं। तेजपाल यह दावा तब भी करते हैं जब इस संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाली तोशाम सीट से विधायक किरण चौधरी के समर्थक राव दान सिंह का पूरे मन से समर्थन नहीं कर रहे हैं। किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को इस बार कांग्रेस ने यहां से टिकट नहीं दिया है। किरण चौधरी पिछले एक सप्ताह से भुपेंद्र हुड्डा तथा कांग्रेस प्रत्याशी दानसिंह पर तीखे वार कर रही है। दादरी रैली में राहुल गांधी के समक्ष भी वह दानसिंह से उलझती दिखाई दी। चुनावी चर्चा में शामिल टैक्सी चलाने वाले पंडित बुधराम कहते हैं कि उन्हें इस बात का भरोसा है कि कांग्रेस के उम्मीदवार को यहां से जीत मिलेगी। पंडित बुधराम की गाड़ियों को राव दान सिंह के समर्थकों ने चुनाव प्रचार के लिए किराए पर लिया हुआ है। किसान सादिक़ खान भी पंडित बुधराम की हां में हां मिलाते हैं। इन लोगों की राय के विपरीत पूर्व सैनिक और जाट समुदाय से आने वाले धर्मबीर बीजेपी का खुलकर समर्थन करते हैं और इसके पीछे वह मोदी फैक्टर को वजह बताते हैं। धर्मबीर कहते हैं, “मैंने सियाचिन श्रीनगर, लेह, नागालैंड, सिक्किम, पालमपुर और अन्य जगहों पर नौकरी की है। पहले चलाई जाने वाली हर गोली गिनी जाती थी लेकिन मोदी के आने के बाद ऐसा नहीं है। हमें ऐसे नेता को वोट क्यों नहीं देना चाहिए जिसने आर्मी का साथ दिया हो और हमारे दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देता हो।” यहां बैठे कई लोग मौजूदा सांसद धर्मबीर सिंह के समर्थन में नहीं हैं लेकिन वे कहते हैं कि मोदी के तीसरी बार सत्ता में आने के लिए वे बीजेपी को वोट देंगे। लेकिन चुनावी चर्चा के बीच सादिक़ खान इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते और कहते हैं कि बीजना गांव में जो कुछ मुस्लिम परिवार रहते हैं, उन्होंने पहले कभी भी ऐसा महसूस नहीं किया जैसा अब करते हैं। वह कहते हैं कि पिछले कुछ सालों में हालात बदल गए हैं।सादिक़ खान कहते हैं, “हमें ऐसा लगता है कि हम यहां के हैं ही नहीं। खासतौर से बीजेपी के नेताओं के भाषणों की वजह से।” 9 में से 5 सीटें हैं बीजेपी के पास भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट में नौ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें से पांच विधानसभा क्षेत्रों (लोहारू, भिवानी, अटेली, नारनौल और नांगल चौधरी) में बीजेपी के विधायक हैं जबकि तोशाम और महेंद्रगढ़ विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस के पास हैं। एक सीट बाढड़ा पर जेजेपी को और दादरी सीट पर निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान को जीत मिली थी। उन्होंने हाल ही में कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान किया है दिया है जबकि निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान भी कांग्रेस के ही साथ हैं। इधर अटेली से पूर्व विधायक रहे नरेश यादव भी राव दान सिंह के समर्थन में आ गए हैं। यहां से कुछ किलोमीटर की दूरी पर बूचावास गांव है। यहां रहने वाले बबलू सिंह कहते हैं, “बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है मेरे दो बेटे हैं, दोनों पढ़े-लिखे हैं लेकिन दोनों ही बेरोजगार हैं। राष्ट्रीय मुद्दे अपनी जगह ठीक हैं लेकिन हमें अपने परिवार और बच्चों के बारे में भी सोचना है।” बीजेपी सांसद माफिया बृजभूषण शरण सिंह से न्याय के लिए संघर्ष करने वाली विनेश फोगाट के गांव बलाली के रहने वाले राजू धानक कहते हैं कि हमारे गांव में बदलाव की हवा है। अधिकतर वोट कांग्रेस के पक्ष में जाने वाले हैं। गांव से दूध लाकर शहर में सप्लाई करने वाले राजेश दूधिया भी कहते हैं कि हमारे गांव में भी बदलाव की हवा है। लोग कांग्रेस के पक्ष में बात कर रहे हैं। वहीं मिले चौधरी चरण सिंह के साथी रहे और विधानसभा का चुनाव लड़ चुके धर्मपाल सांगवान दावे से कहते हैं कि अहीरवाल का भी आधा वोट कांग्रेस प्रत्याशी राव दान सिंह को मिलने वाला है। महिला पहलवानों के न्याय के संघर्ष में चरखी दादरी के लोगों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया था। कुश्ती को नया मुकाम देने वाली फौगाट बहनों का गांव बलाली यहीं है। किसान आंदोलन का असर भी यहां साफ दिखता है। चंद दिनों पहले भी किसानों ने यहां ट्रैक्टर मार्च निकाला है। हरियाणा में हुए सभी आंदोलनों में यहां की खाप पंचायतों का रोल बेहद अहम रहा है। चरखी दादरी से निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस के साथ खड़े हो गए हैं। उसका भी असर यहां है। सोमवीर सांगवान खाप के मुखिया भी हैं। सीएम के दावे के उलट हैं हालात मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इस बात का दावा करते हैं कि उनकी सरकार ने पूरे हरियाणा में पीने के पानी की उपलब्धता को सुनिश्चित किया है। लेकिन भिवानी-महेंद्रगढ़ में आज भी पीने के पानी समस्या साफ दिखाई देती है। तोशाम में बायपास रोड पर कुछ ऐसे हालात दिखते हैं। यहां आदमी, औरत और बच्चे एक हैंडपंप पर पानी के लिए कतार में खड़े हैं। कतार में खड़े विनोद जांगड़ा कहते हैं कि हमारे घरों में नल लगे हुए हैं लेकिन हफ्ते में सिर्फ दो या तीन दिन ही पानी आता है। हम लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरत के लिए हैंडपंप पर निर्भर रहने के लिए मजबूर हैं। उनके ही साथ खड़े दुलीचंद कहते हैं कि पहले पानी की कमी की समस्या खेतों में ही थी, वह कुछ हद तक ठीक हुई है लेकिन पीने का पानी आज भी एक बड़ा मुद्दा है। उधर अटेली के बड़े गांव कांटी में पहाड़ के साथ रहने वाले निवासियों की भी यही शिकायत है गर्मी के मौसम में पीने का पानी न के बराबर आ रहा है। भिवानी शहर में एक चाय की दुकान में सजी चुनावी चौपाल में लोगों के बीच गर्मा-गर्म चर्चा से यहां के सियासी तापमान का अंदाजा लगता है। चुनावी बहस में शामिल सुभाष कहते हैं कि एक छोरे (राहुल गांधी) ने अकेले दम पर कांग्रेस पार्टी को खड़ा कर दिया। यह पार्टी आज मोदी के सामने खम ठोक कर खड़ी है। बीजेपी के फिर सत्ता में आने पर संविधान और आरक्षण पर खतरे की बात भी वहां होती है। एससी समाज से आने वाले सुभाष कहते हैं कि वह लंबे समय से बीएसपी को वोट कर रहे हैं, लेकिन इस बार कांग्रेस के साथ हैं। अनिल और अशोक भी इस चर्चा में भागीदार बनते हुए रोजगार की गंभीर स्थिति की बात करते हुए कहते हैं कि 10 साल किसी भी सरकार के लिए काफी होते हैं। महेंद्रगढ़ शहर में एक हलवाई की दुकान पर बीजेपी की बात होती है। अचानक वहां एक महिला बातचीत में कूदते हुए कहती है कि कांग्रेस की सरकार बन गई तो देश में मुसलमानों का राज आ जाएगा। महिला की बात इसकी तस्दीक है कि समाज में किस तरह कट्टरपंथ का जहर भरा गया है और इससे एक छोटा वर्ग प्रभावित भी है, जो खतरनाक है। नारनौल में चौराहे पर एक शू स्टोर के मालिक कृष्ण सैनी कहते हैं कि यहां बनिया वर्ग का वोट कांग्रेस को जाने वाला है। केजरीवाल को जेल भेजने से यह वर्ग नाराज है। केजरीवाल जब जेल गए थे तो इसके विरोध में यहां एक जुलूस भी निकला था। सैनी समाज से आने वाले कृष्ण कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि सीएम नायब सिंह सैनी की वजह से पूरा सैनी समाज बीजेपी की तरफ जा रहा है। वह अपनी बात करते हुए कहते हैं कि उनका वोट तो कांग्रेस के साथ जाएगा। वह कहते हैं कि बीजेपी के पास हिंदू-मुसलमान के अलावा तो कुछ है नहीं। वहीं अमित कहते हैं कि बीजेपी सरकार ने 10 साल में क्या काम करवाए इस पर प्रधानमंत्री बात क्यों नहीं करते। नारनौल से उलट मंडी अटेली के लालचंद सैनी व बिल्लू सैनी सब्जी विक्रेता भाजपा की खुलकर मुखालफत करते हैं। भाजपा से जुड़े रहे वैश्य समुदाय के परमेश्वर दयाल व श्यामसुंदर सोनी कहते हैं कि स्थानीय नेताओं ने पुराने कार्यकर्ताओं को उपेक्षित कर रखा है। पुराना कार्यकर्ता नाराज हैं। यही के विनोद कुमार धर्मवीर से बेहद नाराज़ हैं उन्हें तीसरी बार टिकट देने पर नाराजगी हैं। उन्होंने कहा कि तीसरे चुनाव में ही पहली बार लोगों ने उनका चेहरा देखा है। पर हम मोदी के नाम पर वोट देंगे। बाछौद गांव के वीरेंद्र ने कहा कि कर्मचारी नाराज हैं। सरकार से और तबका दुखी है। युवाओं में अग्निवीर को लेकर गहरी नाराजगी है। नारनौल में ही डा. भीम सिंह प्रधानमंत्री के भाषणों पर सवाल खड़े करते हुए कहते हैं कि सुबह से शाम तक पीएम कुछ भी बोलते हैं। कांग्रेस एक भैंस खोल ले जाएगी। महिलाओं का मंगल सूत्र ले लेगी। यह प्रधानमंत्री को शोभा देता है। डा. भीम सिंह कहते हैं कि पीएम ने पद की गरिमा को रसातल में पहुंचा दिया है। ईवीएम में किसी गड़बड़ी की आशंका भी यहां लोगों ने जाहिर की। यहां एक बात और साफ हो गई कि बनिया वर्ग में बीजेपी को समर्थन को लेकर डिवीजन है। भिवानी-महेंद्रगढ़ में अग्निवीर भी बड़ा मुद्दा है। बड़ी मात्रा में यहां के युवा सेना में जाते हैं। जवान, किसान और पहलवान बीजेपी पर कहीं भारी न पड़ जाएं, इसकी चर्चा यहां है। बीजेपी प्रत्याशी धर्मवीर की लोगों से कम कनेक्टिविटी भी यहां एक मसला है। 2019 में भी चौधरी धर्मवीर ने प्रचार तक नहीं किया था। मोदी के चेहरे पर ही उनका बेड़ा पार हुआ था। इस बार वह लोकसभा का चुनाव लड़ने की जगह अपने बेटे के लिए विधानसभा चुनाव में टिकट चाह रहे थे, लेकिन राव इंद्रजीत की पैरवी पर फिर बीजेपी ने उन्हें उतार दिया। कांग्रेस प्रत्याशी राव दान सिंह के साथ एक प्लस प्वाइंट और है कि वह अहीरवाल के महेंद्रगढ़ से विधायक हैं, जबकि जाटलैंड भिवानी जिले में उनका पैतृक गांव है। इसका भी उन्हें फायदा मिल सकता है। भिवानी-महेंद्रगढ़ का समीकरण भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 17 लाख 88 हजार है। इनमें 9 लाख 43 हजार 237 पुरुष और 8 लाख 44 हजार 780 महिलाएं हैं। जाटलैंड भिवानी और चरखी-दादरी जिले में तकरीबन 10 लाख और 7 लाख से ज्यादा मतदाता अहीरवाल के महेंद्रगढ़ जिले में हैं। सबसे अधिक तकरीबन 4 लाख जाट मतदाता यहां हैं। उसके बाद करीब 3 लाख अहीर, 1.50 लाख से ज्यादा ब्राह्मण, 1 लाख से ज्यादा राजपूत और 3 लाख के करीब अनुसूचित जाति के वोटर हैं। जाट और अहीर मिलाकर तकरीबन साढ़े 8 लाख मतदाता हैं, जो कुल वोटर का तकरीबन 50 फीसदी हैं। खाती और कुम्हार की संख्या भी 50-50 हजार से ज्यादा है। पिछले दो चुनावों में अहीर मतदाताओं ने निर्णायक भूमिका निभाई है। शहरी क्षेत्र में बीजेपी का असर है, लेकिन यहां ग्रामीण मतदाता अधिक हैं। ग्रामीण इलाकों में बीजेपी प्रत्याशी धर्मवीर का भारी विरोध हो रहा है। इसमें अहीरवाल में आते महेंद्रगढ़ जिले में भी विरोध काफी है। पिछले दो चुनाव में बड़ी बढ़त धर्मवीर को यहां से मिली है। कांग्रेस ने महेंद्रगढ़ से ही विधायक राव दान सिंह को उतारकर बीजेपी के इस किले को तोड़ने की कोशिश की है। अटेली, नांगल चौधरी और नारनौल में भी राव दान सिंह की दखल है। जाट बाहुल्य भिवानी और चरखी-दादरी जिले में पिछले चुनाव में बढ़त पाने वाली बीजेपी से ग्रामीण क्षेत्र में गहरी नाराजगी है। इसका नुकसान बीजेपी को होता दिख रहा है। जाट मतदाता खुलकर कांग्रेस के साथ है तो दूसरी जातियों में डिवीजन है। पिछड़ी जातियां और दलित समाज सामान्यतः साइलेंट है। इनका वोट निर्णायक होगा। सरकार के खिलाफ 10 साल की एंटी-इंकंबेंसी भी है। मुकाबला जबर्दस्त है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के नजदीकी धर्मवीर को नांगल चौधरी से विधायक और राज्य सरकार में सिंचाई मंत्री अभय यादव से भितरघात का भी खतरा है। अभय यादव और राव इंद्रजीत सिंह में छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है। कांग्रेस के पक्ष में है हवा बीजेपी और कांग्रेस, दोनों को ही इस बात को भरोसा है कि वे इस सीट पर जीत हासिल करेंगे। राव दान सिंह कहते हैं कि लोग 2014 और 2019 में की गई अपनी गलतियों को सुधारेंगे जबकि भाजपा के उम्मीदवार धर्मबीर दावा करते हैं कि लोगों को पता है कि उन्हें अपना वोट मोदी को देना है। राव दान सिंह कहते हैं, “निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान मेरे साथ प्रचार कर रहे हैं। इससे पता चलता है कि कांग्रेस के पक्ष में हवा बह रही है। हरियाणा में बीजेपी की सरकार खतरे में है और यह बहुमत खो चुकी है।” हरियाणा की भाजपा सरकार को समर्थन दे रहे तीन निर्दलीय विधायकों ने हाल ही में पाला बदलते हुए समर्थन वापस ले लिया था और वे कांग्रेस के साथ आ गए थे। इसके बाद से ही राज्य में राजनीतिक संकट का दौर चल रहा है। कांग्रेस के उम्मीदवार राव दान सिंह आरोप लगाते हैं कि बीजेपी जनता से किए गए अपने वादों को पूरा करने में नाकामयाब रही है और लोग इस बार बीजेपी को वोट नहीं देंगे। भाजपा प्रत्याशी धर्मबीर सिंह कहते हैं, “लोग अपना वोट बर्बाद नहीं करेंगे और वे जनता के द्वारा खारिज किए जा चुके लोगों के हाथ में देश को नहीं सौंपेंगे। हमें अपने आंतरिक मतभेदों को भुला देना चाहिए और देश की तरक्की के लिए वोट करना चाहिए।” Post navigation ‘राजा’ और ‘राज’ के बीच ‘जंग’, क्या सिक्सर लगा पाएंगे राजा मुद्दे हैं, मुद्दों से क्या ….. हरियाणा में हो सकता है करिश्मा !