कहीं गुटबाजी का फायदा ना उठा ले जाए कांग्रेस 

गुरुग्राम सीट पर दो बार ही जीती भाजपा 

रामपुरा हाउस की ‘ठसक’ अब मोदी परिवार 

बाहरी बनाम स्थानीय की लड़ाई, बीजेपी कांग्रेस में किसका पलड़ा भारी

राव राजा पर दान सिंह (अहीर प्रत्याशी) का विरोध न करने का सामाजिक दबाव 

अशोक कुमार कौशिक 

ग्लोबल सिटी गुरुग्राम में इस बार लोकसभा का चुनाव बड़ा दिलचस्प हो रहा है। नूंह, गुरुग्राम व रेवाड़ी तक फैली गुड़गांव संसदीय सीट में अहीरवाल के ‘राजा’ और फिल्म इंडस्ट्री में लंबे समय तक ‘राज’ करने वाले राज बब्बर के बीच चुनावी जंग है। मामला आमने-सामने का है। इस बार यहां दो बार से भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और अभिनेता से नेता बने कांग्रेसी दिग्गज राज बब्बर के बीच मुख्य मुकाबला है। कांग्रेस ने गुरुग्राम में फिल्म अभिनेता और पूर्व सांसद राज बब्बर को केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के मुकाबले उतार कर चुनावी मुकाबले को रोचक बनाने की कोशिश की है। हालांकि, इस सीट पर जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने सिंगर-रैपर राहुल यादव या फाजिलपुरिया को टिकट देकर मुकाबले को दिलचस्प बनाने की कोशिश की है। गुरुग्राम में इस बार भी एक दिलचस्प प्रत्याशी सातवीं बार अपनी चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं, कुशेश्वर भगत जो कि पाव भाजी बेचते हैं। 

गुड़गांव में ‘चुनावी बॉक्स ऑफिस’ पर राजा और राज के बीच भिड़ंत है। राव इंद्रजीत सिंह की दक्षिण हरियाणा में पुरानी और जबरदस्त पकड़ है। इस बात का अंदाजा इससे भी होता है कि वे अभी तक पांच बार और लगातार चार बार लोकसभा पहुंच चुके हैं। गुरुग्राम में जीत की हैट्रिक लगा चुके 

राव इंद्रजीत सिंह लोकसभा में ‘सिक्सर’ लगाने के लिए चुनावी मैदान में डटे हैं। राव इंद्रजीत सिंह के पिता राव बीरेंद्र सिंह हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हैं। इंद्रजीत इस बेल्ट में प्रभावी हैं तभी तो भिवानी-महेंद्रगढ़ और रोहतक लोकसभा क्षेत्र में भी उनका असर है। भिवानी-महेंद्रगढ़ में भाजपा ने राव इंद्रजीत सिंह की सिफारिश पर ही लगातार तीसरी बार धर्मबीर सिंह को टिकट दिया है। 

वहीं रोहतक से चुनाव लड़ रहे डॉ़ अरविंद शर्मा को भी 2019 की तरह राव इंद्रजीत के भरोसे रोहतक लोकसभा क्षेत्र के कोसली हलके से अच्छा रिस्पांस मिलने की उम्मीद है। कोसली की लीड के बूते ही अरविंद शर्मा 2019 में कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा को चुनाव में शिकस्त देकर संसद पहुंचने में कामयाब हुए थे। 

लोकसभा सीट पर बीजेपी-कांग्रेस के पास हैं 4-4 सीटें

गुरुग्राम लोकसभा सीट में नौ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनके नाम बावल, रेवाड़ी, पटौदी, बादशाहपुर, गुरुग्राम, सोहना, नूंह, फिरोजपुर झिरका और पुन्हाना हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में इनमें से चार विधानसभा सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी जबकि कांग्रेस के खाते में भी चार सीटें आई थी। एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीते थे।

2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में आसानी से और अच्छे मार्जन के साथ जीत हासिल करने में कामयाब रहे राव इंद्रजीत सिंह की राह में रुकावटें पैदा करने के लिए कांग्रेस ने यहां से नये चेहरे को टिकट दिया। पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव भी यहां से टिकट के मजबूत दावेदार थे, लेकिन कांग्रेस ने राज बब्बर पर भरोसा जताया है।

मेवात जिला के तीन हलकों – नूंह, फिरोजपुर-झिरका व पुन्हाना में कांग्रेस का प्रभाव साफ नजर आ रहा है। सोहना विधायक व राज्य मंत्री संजय सिंह, बावल विधायक व कैबिनेट मंत्री बनवारी लाल, गुरुग्राम विधायक सुधीर सिंगला व पटौदी विधायक सत्यप्रकाश जरावता, राव इंद्रजीत सिंह के लिए जोर लगा रहे हैं। रेवाड़ी में कांग्रेस के चिरंजीव राव विधायक हैं और उनके पिता कैप्टन अजय सिंह यादव भी अब राज बब्बर के लिए मोर्चा संभाल चुके हैं। आफताब अहमद, मामन खान इंजीनियर व मोहम्मद इलियास के अलावा कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष जितेंद्र भारद्वाज व युवा नेता वर्द्धन यादव ने राज बब्बर के चुनाव की कमान संभाली हुई है।

राव इंद्रजीत सिंह ने पहला लोकसभा चुनाव कांग्रेस टिकट पर 1998 में महेंद्रगढ़ से जीता था। इसके बाद 1999 में वे भाजपा की सुधा यादव के हाथों चुनाव हार गए। वर्ष 2004 में उन्होंने अपनी हार का बदला लिया और महेंद्रगढ़ से दूसरी बार जीत हासिल की। 2009 में गुड़गांव सीट फिर से अस्तित्व में आई तो राव इंद्रजीत सिंह ने यहां से भी जीत हासिल की। 2014 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर ली और वे भाजपा टिकट पर गुरुग्राम से जीतने में कामयाब रहे। 2019 में भी उन्होंने गुरुग्राम से जीत हासिल करके पांच बार सांसद बनने का रिकार्ड बनाया। 

कौन हैं राव इंद्रजीत सिंह?

राव इंद्रजीत सिंह अहीरवाल यानी दक्षिणी हरियाणा के दिग्गज नेताओं में शुमार हैं। उन्हें अहीरवाल का राजा भी कहा जाता है। उनके पिता राव बीरेंद्र सिंह हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री बने थे। राव इंद्रजीत सिंह पांच बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। तीन बार गुरुग्राम सीट से जीत दर्ज करने के अलावा वह दो बार भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से भी सांसद रहे हैं।

पार्टी बदली, कम नहीं हुआ प्रभाव

राव इंद्रजीत सिंह ने 2014 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन की, लेकिन इलाके में उनका प्रभाव कम नहीं हुआ। 2009 में कांग्रेस टिकट पर गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र से उन्होंने 2 लाख 78 हजार 516 वोट हासिल करके जीत हासिल की और बसपा के जाकिर हुसैन को हराया। 2014 में भाजपा की टिकट पर इंद्रजीत सिंह ने इनेलो के जाकिर हुसैन को 2 लाख 74 हजार 722 मतों के अंतर से हराया। कांग्रेस के राव धर्मपाल की जमानत भी नहीं बची। 2019 में इंद्रजीत का मुकाबला कांग्रेस के कैप्टन अजय यादव से हुआ। आठ लाख 81 हजार 546 वोट लेकर राव इंद्रजीत सिंह ने अजय यादव को 3 लाख 86 हजार 256 मतों से शिकस्त दी।

राव इंद्रजीत सिंह जब कांग्रेस में थे तब भी उनका बड़ा कद था और वह मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री थे। बीजेपी में आने के बाद भी वह पिछले 10 साल से मोदी सरकार में मंत्री हैं। राव इंद्रजीत सिंह 2009 में गुरुग्राम से कांग्रेस के टिकट पर जीते थे लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वह बीजेपी में शामिल हो गए थे।

गुटबाजी के शिकार राव राजा 

गुरुग्राम लोकसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को इस बार गुटबाजी का सामना करना पड़ रहा है। हालात कुछ ऐसे हैं कि गुरुग्राम में बीजेपी के दो विधायक राव इंद्रजीत सिंह के चुनाव प्रचार में नहीं दिखाई दे रहे हैं। इसके अलावा पार्टी के कुछ बड़े नेता भी उनके चुनाव प्रचार में सिर्फ नाम मात्र के लिए ही दिख रहे हैं। 

ये विधायक हैं चुनाव प्रचार से दूर

राव इंद्रजीत सिंह जानते हैं कि चुनाव में उन्हें इस गुटबाजी से नुकसान हो सकता है इसलिए वह पूरी ताकत के साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं। लेकिन गुरुग्राम सीट के विधायक सुधीर सिंगला, सोहना सीट से विधायक संजय सिंह राव इंद्रजीत सिंह के प्रचार में नजर नहीं आए हैं। बताया जा रहा है कि सुधीर सिंगला के गले का ऑपरेशन हुआ है, इसलिए वह चुनाव प्रचार से दूर हैं। बादशाहपुर से निर्दलीय विधायक लेकिन राज्य की भाजपा सरकार को समर्थन देने वाले राकेश दौलताबाद भी राव इंद्रजीत सिंह के प्रचार में नहीं दिखाई दे रहे हैं।

ये सीनियर नेता भी नहीं दिखते चुनाव प्रचार में

राव इंद्रजीत सिंह को चुनाव प्रचार के दौरान विधायकों के अलावा पार्टी के बड़े नेताओं से भी सहयोग नहीं मिल पा रहा है। गुरुग्राम लोकसभा सीट पर पूर्व सांसद सुधा यादव, पूर्व कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह, पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास अहीरवाल के इस दिग्गज नेता के प्रचार से लगभग दूर ही हैं। ये नेता पार्टी के किसी बड़े नेता के आने पर ही चुनाव प्रचार में दिखाई देते हैं। 

सुधा यादव को नहीं मिला टिकट

सुधा यादव 1999 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर राव इंद्रजीत सिंह को हरा चुकी हैं। सुधा यादव इस बार गुरुग्राम सीट से टिकट मांग रही थी लेकिन पार्टी ने एक बार फिर राव इंद्रजीत सिंह पर ही भरोसा जताया। सुधा यादव की तरह रणधीर सिंह कापड़ीवास और राव नरबीर सिंह भी भाजपा प्रत्याशी के प्रचार में खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं।

इसके पीछे यह वजह बताई जाती है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में जब राव नरबीर सिंह बादशाहपुर से टिकट मांग रहे थे और रणधीर सिंह कापड़ीवास रेवाड़ी सीट से टिकट के दावेदार थे तो उनका टिकट काट दिया गया था। बताया जाता है कि उस वक्त टिकट बंटवारे में राव इंद्रजीत सिंह की चली थी और इन दोनों नेताओं का राव इंद्रजीत सिंह से 36 का आंकड़ा माना जाता है।

नहीं आए थे प्रदेश प्रभारी

बीते महीने जब राव इंद्रजीत सिंह ने गुरुग्राम लोकसभा सीट के अंदर आने वाली बावल विधानसभा सीट पर चुनावी जनसभा का आयोजन किया था तो इसमें पार्टी के प्रदेश प्रभारी बिप्लव देब नहीं आए थे। बीजेपी का भी कोई बड़ा नेता इस चुनावी जनसभा में नहीं पहुंचा था। इसका दर्द भी राव इंद्रजीत सिंह के भाषण में दिखाई दिया था।

चुनाव के बाद होगा हिसाब: राव इंद्रजीत सिंह

राव इंद्रजीत सिंह जानते हैं कि उन्हें चुनाव के दौरान गुटबाजी का शिकार होना पड़ रहा है। इसलिए कुछ दिन पहले उन्होंने भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से बीजेपी के उम्मीदवार चौधरी धर्मबीर सिंह की चुनावी सभा में अपने दिल का दर्द बयां किया था। उन्होंने कहा था कि इस लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा का नक्शा बदलेगा। उन्होंने कहा था कि बीजेपी में परिवर्तन होगा और जो लोग बड़े-बड़े पदों पर बैठे हैं, यह जरूरी नहीं है कि वे लोग आगे भी बैठे रहेंगे, हमें बीजेपी के अंदर अनुशासन लाना है। 

कांग्रेस ने राज बब्बर को उतारा है मैदान में

कांग्रेस ने गुरुग्राम सीट से पूर्व अभिनेता राज बब्बर को टिकट दिया है। राज बब्बर सपा से होते हुए कांग्रेस में आए हैं। वह उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं और लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं।

गुरुग्राम का जातीय और धार्मिक समीकरण

इस चुनाव क्षेत्र में 20% मेव मुसलमान, 18% अहीर, 15% अनुसूचित जाति और 8% जाट मतदाता हैं। मिले आंकड़ों के मुताबिक, गुरुग्राम सीट पर कुल 25,49,628 मतदाता हैं। इसमें अहीर 19%, मुस्लिम 17%, पंजाबी और राजपूत 8% हैं। इस सीट पर अनूसूचित जाति वर्ग के मतदाता 18% हैं। इसके अलावा ब्राह्मण और जाट मतदाता 7-7% हैं। यहां ओबीसी और वैश्य मतदाताओं की भी अच्छी संख्या है। 

चुनावी मुकाबले को ‘बाहरी बनाम लोकल’ बनाने की कोशिश

राव स्थानीय अहीर राजवंश राव तुलाराम के वंशज है। समय का तकादा है एक समय दक्षिणी हरियाणा में रामपुर हाउस की तूती बोलती थी और रामपुर हाउस अपनी राजनीतिक ठसक के लिए जाना जाता था उसी रामपुरा हाउस को आज मोदी परिवार में शामिल होकर मोदी के नाम पर वोट मांगने पड़ रहे हैं। उनकी कोशिश इस चुनावी मुकाबले को ‘बाहरी बनाम लोकल’ बनाने की है। वहीं राज बब्बर क्षेत्र में जन-सुविधाओं की बातों पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। वे पंजाबी समाज से आते हैं, जो गुड़गांव और रेवाड़ी विधानसभा क्षेत्रों में बड़ी तादाद में हैं।

राव राजा को भिवानी महेंद्रगढ़ सीट से अहीर प्रत्याशी का विरोध पड़ रहा है भारी

राव राजा के सामने एक बड़ी सामाजिक मुसीबत उनके लिए परेशानी का सबब बढ़ती जा रही है। एक तरफ उनके अजीज मित्र चौधरी धर्मवीर सिंह भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनका टिकट दिलाने में राव राजा का बड़ा हाथ रहा है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के द्वारा खेला गया तुरुप का पत्ता अहीर प्रत्याशी के रूप में राव दान सिंह का चयन उनके लिए सामाजिक सिर दर्द बन गया है। उनके ऊपर अहीर समाज का दबाव है कि वह पहली बार मिल रही दूसरी अहीर सांसदी में रोड़ा न अटकाए। 

पिछले साल नूंह में भड़क चुकी है सांप्रदायिक हिंसा

लेकिन, एक बात बहुत ही अहम है कि यह चुनाव पिछले साल वीएचपी की शोभा यात्रा के दौरान नूंह में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के बाद हो रहा है। बीजेपी प्रत्याशी ने उस समय वीएचपी यात्रा को हैंडल करने को लेकर खुलकर सवाल उठाए थे और यहां तक कहा था कि यात्रा की वजह से यहां का माहौल बदल गया।

मुस्लिम वोटरों की गोलबंदी से बीजेपी परेशान,

मेव बेल्ट में सेंधमारी की कोशिश

नूंह में मतदाताओं से संपर्क के दौरान उन्होंने कहा कि वे गुड़गांव और रेवाड़ी से तो अच्छी संख्या से जीतेंगे, ‘लेकिन, मेरे दिल में नूंह-मेवात क्षेत्र से जीतकर लोकसभा पहुंचने की लालसा है।’ भाजपा को गुड़गांव को लेकर चिंता नहीं है, लेकिन शहरी मतदाताओं की उदासीनता और मुस्लिम वोटों की गोलबंदी जरूर परेशान कर रहा है। ऊपर से जाट मतदाताओं को लेकर भी पार्टी असमंजस में दिख रही है।

गुड़गांव लोकसभा में तीन मेव मुस्लिम (मेवात के मुसलमान) बहुल विधानसभा हैं- नूंह, फिरोजपुर झिरका और पुन्हाना। जहां तक मिलेनियम सिटी गुरुग्राम की बात है तो यहां के निवासियों की तमाम समस्याएं लगभग उसी तरह की हैं, जो आमतौर पर यूपी के एनसीआर शहरों- नोएडा और गाजियाबाद में भी देखी जा सकती हैं।

गिनवा रहे हैं विकास 

ओल्ड गुरुग्राम में मेट्रो के अलावा शहर में मेट्रो विस्तार, दिल्ली-द्वारका एक्सप्रेस-वे, गुरुग्राम शहर में कई नये फ्लाईओवर और अंडरपास के अलावा कई बड़े प्रोजेक्ट्स वे अपने संसदीय क्षेत्र में लाने में कामयाब रहे हैं। नूंह में भी उन्होंने कई प्रोजेक्ट दिए हैं। नूंह जिले के औद्योगिक विकास का भी खाका तैयार है। दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर नूंह से निकल रहा है और इससे जिले में विकास के नये रास्ते खुलेंगे। यहां कई कंपनियां आ भी चुकी हैं। इंद्रजीत मुस्लिम बाहुल्य नूंह जिला में अपना आधार बनाने की कोशिश शुरू से ही करते आ रहे हैं। उनका राजनीतिक और सामाजिक कद भी उनके काम आ रहा है। उनकी मजबूती का दूसरा सबसे बड़ा कारण यह भी है कि वे अपने विरोधियों पर भी भारी पड़ते हैं।

राव इंद्रजीत सिंह गुरुग्राम और रेवाड़ी बेल्ट में पहले से प्रभाव रखते हैं। उनके प्रयासों से रेवाड़ी को एम्स की सौगात मिली है। ओल्ड गुरुग्राम में मेट्रो के अलावा शहर में मेट्रो विस्तार, दिल्ली-द्वारका एक्सप्रेस-वे, गुरुग्राम शहर में कई नये फ्लाईओवर और अंडरपास के अलावा कई बड़े प्रोजेक्ट्स वे अपने संसदीय क्षेत्र में लाने में कामयाब रहे हैं। नूंह में भी उन्होंने कई प्रोजेक्ट दिए हैं। नूंह जिले के औद्योगिक विकास का भी खाका तैयार है। दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर नूंह से निकल रहा है और इससे जिले में विकास के नये रास्ते खुलेंगे। यहां कई कंपनियां आ भी चुकी हैं। इंद्रजीत मुस्लिम बाहुल्य नूंह जिला में अपना आधार बनाने की कोशिश शुरू से ही करते आ रहे हैं। उनका राजनीतिक और सामाजिक कद भी उनके काम आ रहा है। उनकी मजबूती का दूसरा सबसे बड़ा कारण यह भी है कि वे अपने विरोधियों पर भी भारी पड़ते हैं।

अहीरवाल में एम्स रहा बड़ा मुद्दा

राव इंद्रजीत सिंह गुरुग्राम और रेवाड़ी बेल्ट में पहले से प्रभाव रखते हैं। उनके प्रयासों से रेवाड़ी को एम्स की सौगात मिली है। अहीरवाल में एम्स सबसे बड़ा मुद्दा रहा है। रेवाड़ी के माजरा गांव में एम्स की नींव पत्थर पीएम नरेंद्र मोदी रख चुके हैं। हालांकि जमीन विवाद के चलते अधिकारियों ने इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। पीएम नरेंद्र मोदी तक राव इंद्रजीत सिंह ने यह मामला पहुंचाया और आखिर में एम्स की नींव रखी गई। एम्स ने दक्षिण हरियाणा ही नहीं बल्कि राजस्थान के लोगों को भी फायदा होगा। इस एरिया में इस प्रोजेक्ट से रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे।

गुड़गांव लोकसभा शहरी और ग्रामीण मतदाताओं की मिलीजुली आबादी वाला चुनाव क्षेत्र है। शहरी वोटरों की समस्याएं लगभग वही हैं, जो आमतौर पर किसी भी भारतीय मेट्रोपॉलिटन शहर में देखी जाती हैं। वहीं ग्रामीण इलाकों में कुछ तो देश के दूर-दराज इलाकों की तरह ही पिछड़े नजर आते हैं।

राज के सामने बूथ मैनेजमेंट चुनौती

राज बब्बर के लिए गुरुग्राम पार्लियामेंट बिल्कुल नया क्षेत्र है। उनका यहां अपना कोई प्रभाव नहीं है। पूर्व सीएम व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा, कैप्टन अजय सिंह यादव व पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के सहारे ही वे चुनावी मैदान में डटे हैं। कांग्रेस द्वारा राज बब्बर को चुनावी मैदान में उतार कर बीसीए का कार्ड भी खेला जा रहा है। दरअसल, राज बब्बर पंजाबी सुनार जाति से आते हैं। सुनार पिछड़ा वर्ग-ए कैटेगरी में आते हैं। कांग्रेस यह भुनाने की कोशिश कर रही है कि पार्टी ने बीसी-बी से राव दान सिंह (यादव) और महेंद्र प्रताप सिंह (गुर्जर) को टिकट दिया है। वहीं बीसीए से राज बब्बर हैं। कांग्रेस की नजर बीसीए वोट बैंक पर हैं, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती यह है कि राज बब्बर पर बाहरी का टैग भाजपा लगा रही है।

गुड़गांव सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र

मतदाताओं के हिसाब से गुड़गांव सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र है। यहां 25 लाख से भी अधिक वोटर हैं। यूथ वोटर भी इस संसदीय क्षेत्र में काफी अधिक हैं। दुनियाभर की अधिकांश बड़ी कंपनियों – एमएनसी के मुख्यालय गुरुग्राम में हैं। गुरुग्राम, मानेसर व धारूहेड़ा बड़ा औद्योगिक एरिया है। गगनचुम्बी इमारतों वाले गुरुग्राम शहर में मतदान प्रतिशत ग्रामीण इलाकों से आमतौर पर कम रहता है। इस बार भाजपा शहरी क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत बढ़ाने पर भी जोर दे रही है। गुड़गांव संसदीय क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग के सबसे अधिक वोटर हैं। इसे भाजपा का बड़ा वोट बैंक माना जाता है।

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