कहा : संवैधानिक अधिकारों व सामाजिक न्याय के हनन के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ेंगे

बोले : दलितों का उत्पीड़न-दमन-शोषण बना भाजपा और उसकी पुरानी साथी जजपा की पहचान

कैथल, 07 अप्रैल 2024 – चंदाना गेट स्थित रामलीला ग्राउंड में आज बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर के 134वें जन्मोत्सव पर संविधान बचाओ-आरक्षण बचाओ और गरीब बचाओ सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता डॉ भीमराव अम्बेडकर प्रगतिशील मंच के प्रधान सोनू मचल द्वारा की गई। सम्मेलन में लोगों ने बढ़चढ़कर भाग लिया। इस सम्मेलन में बतौर मुख्यातिथि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस महासचिव व सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला व विशिष्ट अतिथि के तौर पर कुरुक्षेत्र लोकसभा से इंडिया गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी डॉ सुशील गुप्ता ने शिरकत की।

संविधान के शिल्पकार व हमारे प्रेरणास्त्रोत, बाबा साहेब डॉ अंबेडकर की आने वाली 134 वीं जयंती पर आज कैथल में “संविधान बचाओ गरीब बचाओ” रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सुरजेवाला ने कहा कि मोदी व खट्टर-सैनी सरकारें बाबा साहेब के भारत के अधिकारों पर षडयंत्रकारी हमला बोल रहे हैं।

सुरजेवाला ने कहा कि दलितों का उत्पीड़न व संवैधानिक अधिकारों का हनन अब भाजपा व उसकी बिछ्ड़ी हुई साथी जजपा की पहचान बन गई है। सच्चाई यह है कि मोदी व खट्टर-सैनी सरकारों की मानसिकता ही दलित व गरीब विरोधी है। यह कुछ बातों से बिल्कुल साफ है।

आरक्षण समाप्त करने की भाजपाई साजिश संविधान बदलने का षडयंत्र

पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा सांसद, अनंत कुमार हेगड़े ने हाल में कहा कि भाजपा “400 पार” की बात इस लिए कर रही है क्योंकि बाबासाहेब व कांग्रेस द्वारा बनाया संविधान बदल सके। राजस्थान के नागौर की भाजपा लोकसभा प्रत्याशी ज्योति मिर्धा कहती हैं कि कुछ “कड़े फ़ैसले” लेने के लिए संविधान में बदलाव ज़रूरी है। ये भाजपा एवं संघ परिवार के संविधान विरोधी, बाबासाहेब विरोधी व दलित विरोधी एजेंडे का कड़वा सच है।

भाजपाई सदैव गरीबों के आरक्षण के खिलाफ रहे हैं। खुद संघ प्रमुख, श्री मोहन भागवत ने कहा था कि “आरक्षण पर राजनीति हो रही है और इसका दुरुपयोग किया जा रहा है। इसे देखते हुए आरक्षण पर फिर से विचार करने की जरूरत है”। पूरे देश में विरोध के बाद इसे वापस लेना पड़ा। परंतु अब चोर दरवाजे से आरक्षण को खत्त्म किया जा रहा है। इसका सबूत मोदी सरकार द्वारा बेचे जाने वाले सारे सरकारी उपक्रम व फैक्ट्रियां हैं। 70 साल में बनाई देश की संपत्ति को सरकार बेचकर पैसा हड़प लेगी और इन उपक्रमों व फैक्ट्रियों में काम करने वाले लाखों लोगों का आरक्षण अपने आप समाप्त हो।

दलितों के लिए न नौकरियां, न बैकलॉग भरा जा रहा

प्रधानमंत्री ने 2 दिसंबर, 2021 को दिए गए संसद के जवाब में यह माना कि भारत सरकार में 8,72,243 पद खाली हैं। बैकलॉग सहित दलितों के इसमें 40 प्रतिशत रिक्त पद हैं, यानि 3,48,897। यही नहीं, मोदी सरकार ने 12 अप्रैल, 2017 को यह हिदायत भी जारी कर दी कि अगर कोई पद दो साल तक नहीं भरा जाएगा, तो वह पोस्ट ही खत्म कर दी जाएगी। यह दलितों की नौकरियों को खत्म करने का एक और अनूठा तरीका है। पहले पद न भरो और फिर पद खत्म कर दो।

दलित सबप्लान खत्म किया दलितों के अधिकार छीने

साल 2010 में कांग्रेस सरकार ने यह अनिवार्य किया था कि बजट में दलितों की जनसंख्या के आधार पर बजट का हिस्सा सुनिश्चित करना जरूरी है यानि जितने प्रतिशत दलितों की जनसंख्या होगी, बजट का उतना ही हिस्सा दलितों के लिए देना होगा। केंद्र व हरियाणा में अब दलित सबप्लान को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। यहां तक कि बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर फाउंडेशन के बजट में भी इस वर्ष 68 करोड़ रुपये काट लिए।

650 साल पुराने गुरु रविदास मंदिर को भाजपा ने तुड़वाया

साल 1509 से तुगलकाबाद दिल्ली में बने गुरु रविदास मंदिर को भाजपा ने तुड़वाया। मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग कर रहे गरीबों को लाठियों से पीटा। सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप कर मंदिर के पुनर्निर्माण की व्यवस्था करनी पड़ी। यह भाजपाई की मानसिकता को दिखाता है।

दलितों पर बेहिसाब अत्याचार

दलित अत्याचार की सीमा यह है कि 2013 से 2022 के बीच 46.11% बढ़ गए। अकेले 2022 में 57428 दर्ज हुए यानि रोज़ाना 157 अपराध होते हैं। फ़रीदाबाद के एक गांव में जब दो दलित बच्चों को जिंदा जलाए जाने की घटना सामने आई तब मोदी सरकार के तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह ने 22 अक्टूबर 2015 को कहा था कि – “अगर कोई कुत्ते पर पत्थर फेंकता है, तो इसमें सरकार का क्या काम।“ ये शर्मनाक बयान मोदी सरकार की दलित विरोधी नीतियों का प्रमाण है।

आज भी वो हाथरस का एक दलित बेटी से गैंगरेप का दिल दहला देने वाला मामला हो, या लखीमपुर खीरी में जिंदा जलाने की बात हो, सुनकर ही मन कंपकंपा जाता है। हैदराबाद में एक मेधावी दलित छात्र, रोहित वैमुला को आत्महत्या के लिए मजबूर करना हो या ऊना, गुजरात में दलितों को लोहे की चेन से बांधकर चमड़ी उधेड़ने की घटना हो, यह अमानवीयता का सरासर उदाहरण है। जिस प्रकार से एक दलित आईपीएस अधिकारी, सुश्री संगीता कालिया को अपगानित किया गया, या फिर स्वतंत्रता दिवस के रामारोह में दलित विधायक, बिशंबर बाल्मीकी को स्टेज पर बैठने तक की जगह नहीं दी गई या फिर मुलाना की पूर्व विधायक, श्रीमती संतोष सारवान चौहान पर जानलेवा हमले की बात हो, ऐसे अनेकों उदाहरण हैं।

अनुसूचित जाति के छात्रों के वजीफे में भारी कटौती

दलित छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना को 2021-22 में बंद कर दी गई है। दलित छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना को 2023-24 में 6,359 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन केवल 5,400 करोड़ रुपये दिए गए। मोदी सरकार ने गरीबों के 959 करोड़ रुपये काट लिए।

पीएम-अजय योजना के लिए वित्त मंत्री ने 2023-24 में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए 2,050 करोड़ रुपये के बजट की घोषणा की। जबकि केवल 450 करोड़ रुपये दिए गए। मोदी सरकार ने गरीबों के 1,600 करोड़ रुपये काट लिए। 01-12-2021 को सामाजिक न्याय मंत्रालय ने संसद में दिए जवाब में बत्ताया कि मैला ढोने वाले प्रथा से जुड़े लोगों में लगभग 97 प्रतिशत लोग दलित हैं।

सुरजेवाला ने कहा कि सच्चाई यह है, कि मोदी व खट्टर सरकारें बाबा साहेब द्वारा निर्मित संविधान व उसमें चिन्हित गरीबों के अधिकारों को निरंतर खत्म करने में लगी है।

आईये! आज बाबा साहेब की जयंती पर संकल्प लें एक नए संघर्ष की शुरुआत करें। इस अवसर सुदीप सुरजेवाला, आदित्य सुरजेवाला, अध्यक्ष सोनू मचल,उपअध्यक्ष राजेश बहादुर, कोषाध्यक्ष राकेश बिड़लान रवि कल्याण, राष्ट्रीय अध्यक्ष ऑल इंडिया अम्बेडकर महासभा राकेश बहादुर,प्रदेश अध्यक्ष रीना वाल्मीकि,महासचिव अमरनाथ किठानीया, सचिव रमेश सजुमा, निक्को बहोत, बिट्टू बहोत, सुरेन्द्र पहलवान, सुनील,राजु चड्डा, दीपक रती, बोबी मचल, राहुल मचल , सरदार अमरीक सिंह बांगड़, राजकली भाटिया पार्षद, सन्नी सीवन, विक्की भोला, विनोद बाल्मीकि, लख्मी पबनावा, लख्मी क्योडक, दयानन्द भानपुरा सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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