भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा हर जिले में कार्यकर्ता सम्मेलन कर रहे हैं और सूचनाएं मिलती हैं कि कार्यकर्ता सम्मेलन ने जनसभा का रूप ले लिया। इतनी भीड़ आई कि लोगों को खड़े रहना पड़ा और बाहर भी खड़े रहे। इसी कड़ी में 6 जनवरी को गुरुग्राम में भी कार्यकर्ता सम्मेलन कर रहे हैं, जिसका बड़े जोर-शोर से प्रचार भी कुछ कांग्रेसी नेता कर रहे हैं। और लगभग सप्ताह-10 दिन पहले गुरुग्राम के कांग्रेस प्रभारी करण सिंह दलाल भी आकर मीटिंग ले गए थे। तात्पर्य यह है कि बड़े योजनाबद्ध तरीके से इसकी तैयारी की जा रही है।

हमने पूर्व मंत्री सुखबीर कटारिया से फोन पर संपर्क कर इसके बारे में जानकारी लेनी चाही लेकिन उन्होंने हमारा फोन उठाना शायद मुनासिब नहीं समझा। अत: कुछ अन्य कांग्रेसियों से इसके बारे में जानकारी प्राप्त की तो ज्ञात हुआ कि मीटिंग में कांग्रेस से विधानसभा की टिकट मांगने वाले और संगठन में पद प्राप्त करने की अकांक्षा रखने वाले कार्यकर्ताओं को लोगों को लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

इस कड़ी में ज्ञात हुआ है कि 6 हजार लोगों को लाने का वादा कार्यकर्ताओं ने किया है लेकिन ज्ञात हुआ कि जिस नोटिन हिल वाटिका में यह कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा और नोटिन हिल में लगभग 15 सौ या सौ-दौ सौ से अधिक कुर्सियां ही लगाने का स्थान है। फिर 6 हजार लोगों को कहां बिठाएंगे? और फिर भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष उदयभान भी आ रहे हैं तो माना जा सकता है कि उनके साथ भी दो-ढ़ाई सौ लोगों का काफिला तो आएगा ही। यही चर्चा का विषय बना हुआ है।

गुरुग्राम जिले में चार विधानसभा क्षेत्र हैं गुरुग्राम, बादशाहपुर, सोहना और पटौदी। और इन चारों विधानसभा क्षेत्रों के बूथों की संख्या का अनुमान लगाया जाए तो 13 सौ के लगभग अवश्य है। ऐसे में यह विचार मन में आया कि एक बूथ में लगभग 1000 हजार वोटर होते हैं। और हर बूथ से यदि दो व्यक्ति भी जाएं तो आने वाले लोगों की संख्या 2600 सौ हो जाती है। ऐसे में यह लगता है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा या आयोजक पहले ही बैकफुट पर हैं। उन्हें यह विश्वास नहीं है कि बिना ड्यूटी लगाए हमारे पास 15 सौ कार्यकर्ता भी जुड़ पाएंगे?

कार्यकर्ताओं से बात कर यह भी ज्ञात हुआ कि कांग्रेस का एक धड़ा इस कार्यक्रम से दूरी बनाए हुए है और कुछ ने यह भी बताया कि यह भूपेंद्र सिंह हुड्डा की रणनीति है कि 15 सौ कुर्सी लगाई जाएं और दो-ढ़ाई हजार लोग आ जाएं तो उनकी फोटो लेकर प्रेस में दिया जा सके कि कार्यकर्ता सम्मेलन के लिए लोगों में इतना उत्साह था कि वह कार्यकर्ता सम्मेलन न होकर जनसभा का रूप ले गया। वैस कुछ कार्यकर्ताओं ने यह भी बताया कि जिन टिकटार्थियों की ड्यूटी लगाई गई है लोगों को लाने की, वह जो उनके साथ लोग आएंगे तो उनके बारे में भी यह नहीं कहा जा सकता कि वे कांगे्रस विचारधारा के ही हैं, क्योंकि वह तो अपने प्रभाव से और पैसे खर्च कर लाए हुए लोग होंगे, ऐसी भी चर्चाएं हैं।

कुछ कार्यकर्ताओं ने यह भी बताया और साथ ही हमसे भी पूछ लिया कि गुरुग्राम में कांग्रेस के पास जिताऊ उम्मीदवार की तो बात छोड़ो क्या कोई ऐसा उम्मीदवार भी दिखाई देता है जो 20 हजार वोटों का भी आंकड़ा पार कर सके? खैर जो भी होगा आगे लिखेंगे।

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