-कमलेश भारतीय कल चार राज्यों के परिणाम कांग्रेस के लिए सिवाय तेलंगाना को छोड़कर निराशाजनक रहे थे। आज भी मिजोरम में हुई मतगणना के दौरान वही निराशा ही हाथ लगी। वहां भी सत्ता परिवर्तन हुआ और नयी पार्टी जेडपीएम ने सबको चौंकाने हुए पूर्ण बहुमत प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की। यह पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की सिक्युरिटी इंचार्ज रहे एक आईपीएस अधिकारी ने बनाई है। सत्ताधारी पार्टी एमएनएफ को हार का सामना करना पड़ा जबकि कांग्रेस, सबसे अंतिम पायदान पर रही। भाजपा को दो सीटें मिलीं। इस तरह पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में सिर्फ तेलंगाना की जीत से ही कांग्रेस को संतोष करना पड़ा। मिजोरम के शुरुआती रुझान में दस का आंकड़ा छूने वाली कांग्रेस सिर्फ एक सीट पर लुढ़क गयी। मिजोरम से भी आस टूट गयी कांग्रेस की! राजस्थान में सत्रह तो मध्यप्रदेश में बारह मंत्री हारे जबकि इन राज्यों में भाजपा के एक दर्जन सांसदों को भी हार का सामना करना पड़ा। इस तरह जिन मंत्रियों ने जनता की आकांक्षाओं को पूरा नहीं किया, उन्हें जनता ने अपनी वोट की चोट से सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने में देर नहीं लगाई। सांसदों को वापिस संसद में जाने का फैसला सुनाया। आज संसद का शीतकालीन सत्र परंपरागत हंगामे के साथ शुरू हुआ और शुरू होते ही मोदी, मोदी-तीसरी बार भी मोदी के नारे सत्ता पक्ष के सांसद तालियाँ के साथ लगाने लगे। जीत की गारंटी मोदी के नारे भी लगे। विपक्ष ने भी हंगामा शुरू कर दिया। लोकसभा बारह बजे तक स्थगित कर दी गयी। संसद में प्रवेश करने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विपक्ष नकारात्मकता छोड़ कर सकारात्मक रवैया अपनाये। वे तीन राज्यों में भाजपा की जीत से गद्गगद् थे और कहा कि वे जमीनी स्तर पर काम करते हैं । राहुल गांधी ने तीन राज्यों में हार को स्वीकार किया और तेलंगाना की जनता का आभार भी व्यक्त किया। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में मुकाबला मोदी बनाम बघेल था और राजस्थान में भी मोदी बनाम गहलोत के बीच मुकाबला रहा। इस तरह प्रधानमंत्री गाँव गाँव घूम रहे थे। यह भाजपा की नहीं, मोदी की बंपर जीत है। इसी प्रकार कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने भी कहा कि तीन राज्यों में कांग्रेस की हार निराशाजनक तो है लेकिन वोट प्रतिशत में ज्यादा अंतर नहीं। यानी मोदी फैक्टर अभी काम कर रहा है। इसे स्वीकार कर रहे हैं। एनसीपी नेता शरद पवार ने भी इन चुनाव परिणामों पर हैरानी जताई। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी कहा कि ये नतीजे दिल को छूने वाले नहीं है। शिवसेना सांसद व प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि बस एक चुनाव वैलेट पेपर पर करवायें, फिर पता चले। इस तरह ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं ये नेता! सपा के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा कि राजनीति में ऐसे नतीजे आते रहते हैं और वे निराश नहीं हैं। यह लंबी लड़ाई है। मध्यप्रदेश में छह सीटों पर बात हुई थी लेकिन वहां परिस्थिति अलग थी। राजस्थान में आप के सभी प्रत्याशियों की जमानतें जब्त होने की भी चर्चा है तो हरियाणा की जजपा पार्टी को भी कोई सफलता नहीं मिली । इन चुनाव परिणामों का असर विपक्ष के इंडिया संगठन पर भी पड़ने की आशंका होने लगी है। सवाल उठता है कि लोकसभा चुनाव तक इंडिया ऐसे ही एकजुट रहेगा? अब पांचों राज्यों में कौन बनेगा मुख्यमंत्री की दौड़ शुरू हो गयी है। अपने अपने दावे जताये जा रहे हैं। तेलंगाना में कांग्रेस को भी संभल कर मुख्यमंत्री का चुनाव करना होगा। इन पांचों राज्यों के परिणामों की अभी तक सबसे बड़ी बात यह है कि सभी राज्यों में जीतने वाले दल को पूर्ण बहुमत दिया है जनता ने। बुक करवाये रिजोर्ट खाली रह गये। विधायकों की खरीद फरोख्त का कोई अवसर नहीं और न ही कोई दल यह उलाहना दे सकेगा कि पूर्ण बहुमत नहीं दिया । अब अगले लोकसभा चुनावों की तैयारियों में सभी दल जुट जायेंगे। Post navigation मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का किया शुभारंभ हरियाणा के डॉ. सत्यवान सौरभ को लखनऊ में ‘पं. प्रताप नारायण मिश्र राष्ट्रीय युवा साहित्यकार सम्मान’