ऐसी बहन पाकर बहुत खुश, जिसने मुझे जिंदगी का दूसरा चांस दिया   
बहन ने लीवर डोनेट कर दिया भाई को बांधी राखी मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में हुआ सफल ट्रांसप्लांट                    
भारत में लीवर डिजीज के मामले काफी बढ़ रहे जो चिंताजनक

 फतह सिंह उजाला                                       

गुरुग्राम 29 अगस्त । रक्षाबंधन पर बहन अपने भाई की रक्षा के लिए कामना करती हैं और भाई उन्हें तोहफा देते हैं. एक बहन ने अपने छोटे भाई की रक्षा के लिए खुद अपना लीवर डोनेट कर दिया और उसका जीवन बचाकर उसे ही राखी गिफ्ट दे दिया. बूटा सिंह लीवर की बीमारी से ग्रसित थे और एंड स्टेज में थे, उनके पास लीवर ट्रांसप्लांट के अलावा कोई बेहतर विकल्प नहीं बचा था. महिलाएं बच्चों को जन्म देने के साथ उनकी रक्षा भी करती हैं. ठीक उसी तरह एक बहन ने अपना फर्ज निभाते हुए अपने भाई को नया जीवन दिया है. मैरिंगो हॉस्पिटल्स में आए मरीज के लिए उसकी बहन ने अपना लीवर डोनेट कर दिया, जिसके बाद लीवर इम्प्लांट कर मरीज का जीवन बचाया गया.

मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स में लीवर ट्रांसप्लांट एंड एचपीबी सर्जरी के डायरेक्टर व एचओडी डॉक्टर पुनीत सिंगला ने कहा, ”40 वर्षीय बूटा सिंह पंजाब से जब हमारे अस्पताल में लाए गए तो वो एंड स्टेज की लीवर डिजीज से घिरे हुए थे. उन्हें पीलिया भी था, पेट में पानी हो गया था और किडनी से जुड़ी समस्याएं भी थीं.  लो ब्लड प्रेशर और यूरिन न होने के चलते मरीज अर्ध-चेतन अवस्था में था. मरीज पिछले 2-3 साल से इस बीमारी से जूझ रहा था. कुछ समय बाद, मरीज की हालत बिगड़ गई. इस हालत में तत्काल लीवर ट्रांसप्लांटेशन सर्जरी ही एकमात्र जीवन रक्षक विकल्प बचा था. मरीज को ट्रांसप्लांट के लिए कहा गया. मरीज की पत्नी ने लीवर डोनेट करने के लिए कहा लेकिन वो मेडिकली फिट नहीं पाई गईं. इसके बाद अपने भाई की हालत देखते हुए बूटा सिंह की बड़ी बहन शरणजीत कौर (45 वर्ष) ने लीवर डोनेट करने का फैसला किया. वो फिट पाई गईं और इस तरह उनका लीवर भाई के अंदर इम्प्लांट किया गया. इस प्रक्रिया के बाद मरीज की रिकवरी अच्छे से हो रही है.”

डॉक्टर पुनीत सिंगला ने आगे बताया, ”ट्रांसप्लांट की इस प्रक्रिया में करीब 10 घंटे लगे. इसके बाद मरीज ने बहुत तेजी से रिकवरी की. सर्जरी के बाद डोनर और मरीज दोनों स्वस्थ हैं. टाइम पर लीवर ट्रांसप्लांट मरीज के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है. वो सर्जरी के बाद नॉर्मल लाइफ जी पाते हैं. दरअसल, लीवर मानव शरीर का एकमात्र अंग है जो समय के साथ पुनर्जीवित होता है, और लगभग अपने मूल आकार में वापस आ जाता है. ज्यादातर डोनर को बहुत कम समय में अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है और वे चार से छह सप्ताह के बाद काम पर लौट सकते हैं.”

बहन से लीवर पाकर नया जीवन पाने वाले बूटा सिंह काफी खुश हैं. उन्होंने कहा, ”मैं ऐसी बहन पाकर बहुत खुश हूं. उन्होंने मुझे जिंदगी का दूसरा चांस दिया है. ये रक्षाबंधन मेरे लिए बहुत स्पेशल है.” बूटा सिंह ने अपनी बहन के अलावा डॉक्टर पुनीत सिंगला और मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स का भी शुक्रिया अदा किया जहां ये सफल ट्रांसप्लांट किया गया जिससे उनका जीवन आसान हो सका. भारत में लीवर डिजीज के मामले काफी बढ़ रहे हैं जो चिंताजनक है.  खराब लाइफस्टाइल जैसे कई कारण हैं जिसके चलते लीवर की दिक्कतें बढ़ रही हैं. वहीं, जब मामला एंड स्टेज तक पहुंच जाता है तो लीवर ट्रांसप्लांट के लिए कोई कारगर उपाय नहीं बचता है.

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