भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। वर्तमान में सभी राजनैतिक दल 2024 के चुनाव की तैयारी में लगे हैं। हरियाणा की बात करें तो हरियाणा में भाजपा का दावा 10 की 10 सीटें हम लेंगे, कांग्रेस भी इसमें पीछे नहीं। मजेदारी यह है कि जजपा-इनेलो के दावे भी लोकसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के हैं और आप पार्टी की तो बात ही अलग है, उनके तो दावे ही बहुत बड़े हैं। शायद धरातल पर कुछ हो या न हो।

आज करेंगे सत्तारूढ़ दल भाजपा की। भाजपा के नए-पुराने सभी कार्यकर्ता आज दोराहे पर खड़े हैं। शीर्ष नेताओं के लिए दोराहा तो यह है कि वे प्रधानमंत्री मोदी की सुनें या जनता की और उसके बाद संगठन के कार्यकर्ताओं में स्थिति यह है कि वे मुख्यमंत्री के अनुयायी बनें, गृहमंत्री के, प्रदेश अध्यक्ष के और दक्षिणी हरियाणा में क्या राव इंद्रजीत के?  इसी तरह जाट बैल्ट में चौधरी बीरेंद्र सिंह का नाम लिया जा सकता है। जो भाजपा के पुराने समर्पित कार्यकर्ता थे, वे अधिकांश निष्क्रिय होकर बैठे हैं। वर्तमान में तो दूसरे दलों से आए और चापलूसों का बोलबाला संगठन पर नजर आता है।

अब गुरुग्राम पर नजर डालते हैं। गुरुग्राम में चर्चा यह है कि मुख्यमंत्री यहां से चुनाव लड़ेंगे। दूसरी बात प्रदेश अध्यक्ष का निवास भी गुरुग्राम में ही है। अनेक संगठन के उच्च अधिकारी भी गुरुग्राम में ही निवास करते हैं। ऐसी स्थिति में कह सकते हैं कि जैसे एक चावल देख खिचड़ी का अनुमान लगाया जाता है, वैसे ही गुरुग्राम देख संपूर्ण हरियाणा का अनुमान लग सकता है।

विधायक और जिला अध्यक्ष की भूमिका किसी भी विधानसभा क्षेत्र में बहुत अहम होती है और यहां विधायक की ओर से सोशल मीडिया और प्रेस विज्ञप्तियों में टीम विधायक लिखा जाता है।

इसी प्रकार जिला अध्यक्ष के बारे में भी लिखित में तो कहीं नहीं दिखाई दिया लेकिन कार्यकर्ताओं के मुख से यह अवश्य सुना जाता है कि वह टीम जिला अध्यक्ष से हैं। 

इसी प्रकार प्रदेश के एक उपाध्यक्ष ब्राह्मण नेता बन अपना अलग स्थान बनाए हुए हैं। इसके अतिरिक्त एक विभाग के अध्यक्ष अपने आपको विधायक का उम्मीदवार बता हर कार्य खुद करने का श्रेय लेते नजर आते हैं।

विधायक की बात आई तो भाजपा के केंद्र और प्रदेश संगठन की ओर से कहा जा रहा है कि वर्तमान में हमें सिर्फ लोकसभा की तैयारी करनी है, विधानसभा बाद में देखेंगे लेकिन गुरुग्राम में विधायक पद के अनेक उम्मीदवार प्रयासरत हैं।

इनके अतिरिक्त मुख्यमंत्री के ओएसडी जवाहर यादव अपना अलग ही स्थान बनाकर अपने समर्थक एकत्र कर रहे हैं। सुना जाता है कि उनका भी बादशाहपुर से विधायक का चुनाव लडऩे का प्रयास है। इसके अतिरिक्त पूर्व सांसद और संसदीय समिति की सदस्य सुधा यादव का एक अपना अलग ही स्थान है। 

15 अगस्त संपन्न हुआ। उस पर भाजपा के अनेक कार्यक्रम संगठन की ओर से घोषित किए गए थे, जिनमें मेरी माटी-मेरा देश, हर घर तिरंगा, तिरंगा यात्रा आदि प्रमुख थे लेकिन गुरुग्राम में देखने में यह आया कि किसी भी कार्यक्रम को आशातीत सफलता नहीं मिली। यहां तक कि तिरंगा यात्रा में पार्टी के सभी पदाधिकारी भी शामिल नहीं हुए। ऐसी स्थिति में अनुमान भाजपा को ही लगाना है कि वह कहां खड़ी है।

इन सब बातों से यह दिखाई दे रहा है कि भाजपा के साधारण कार्यकर्ता इसी दुविधा में हैं कि वह किस नेता के समर्थन में जाएं और हमारे किसी के समर्थन में जाने से कौन नाराज होगा? स्थिति वही दुविधा में भाजपाई, इधर कुआं-उधर खाई।

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