गुडग़ांव, 10 अगस्त (अशोक) : बिजली निगम द्वारा उपभोक्ता पर लगाए गए बिजली चोरी के मामले को अदालत ने गलत पाते हुए उपभोक्ता को आरोपों से मुक्त कर दिया था और बिजली निगम को आदेश दिया था कि उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई
जुर्माना राशि को 12 प्रतिशत ब्याज दर से वापिस किया जाए। लेकिन बिजली निगम ने ऐसा नहीं किया।

उपभोक्ता की गुहार पर सिविल जज सौरभ शर्मा की अदालत ने 4 लाख 52 हजार 554 रुपए की धनराशि के लिए बिजली निगम का अकाउंट अटैच कर दिया है। सैक्टर 39 की उपभोक्ता शकुंतला के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2017 की 18 जनवरी को बिजली निगम के कर्मचारियों ने उसके आवास पर लगा बिजली का मीटर उतारकर लैब में जांच के लिए भेज दिया था और उस पर आरोप लगाया गया था कि वह डायरेक्ट लूप लगाकर बिजली की चोरी कर रही और उस पर 2 लाख 54 हजार 340 रुपए का जुर्माना भी लगा दिया था। कहीं बिजली का कनेक्शन न कट जाए, इस डर से पूरी जुर्माना राशि जमा भी कर बिजली निगम के खिलाफ अदालत में केस दायर कर दिया था।

तत्कालीन सिविल जज मनीष कुमार की अदालत ने उपभोक्ता के हक में अपना फैसला दिया था और 12 प्रतिशत ब्याज दर से उपभोक्ता को जुर्माना राशि वापिस करने के आदेश भी दिए थे। निचली अदालत के आदेश को बिजली निगम ने जिला एवं सत्र
न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसे तत्कालीन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय कुमार शर्मा की अदालत ने खारिज करते हुए निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा था।

लेकिन निगम ने उपभोक्ता को ब्याज सहित जुर्माना राशि नहीं लौटाई। उपभोक्ता ने अदालत में एग्जिक्यूशन पिटिशन दायर कर दी, जिस पर सिविल जज सौरभ शर्मा की अदालत ने बिजली निगम का बैंक अकाउंट अटैच कर दिया है।

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